चंबल से ग्वालियर तक विख्यात है काले कारनामों का इतिहास
इनामी रह चुके अजय कटियार की बढ़ सकती है मुश्किलें
शिवपुरी सुसाइड कांड की याचिका सुप्रीम कोर्ट में हो चुकी है मंजूर
ग्वालियर 2 अप्रैल 2024। ज्ञातव्य है कि देश और दुनिया का वर्तमान एवं भविष्य हमारी शिक्षा पर टिका हुआ है जिसमें गुरुओं (शिक्षकों) की भूमिका सबसे ज्यादा अहमियत रखती है। इसीलिए हमारे देश में युगों-युगांतर से गुरुओं का दर्जा सर्वोच्च रहा है। संत कबीर दास ने भी अपनी अमृतवाणी में कहा है कि “गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपकी जो गोविंद दियो बताय”। इसी नजरिए से यदि हम शिक्षा के जिलाधिकारी की बात करें तो इस पर बुनियादी शिक्षा के विकास के साथ-साथ बच्चों में संस्कार, सभ्यता, सदाचार एवं मानवीय संवेदनाओं के सृजन एवं विकास का नैतिक जिम्मा होता है। जिला शिक्षा अधिकारी का पद B राजपत्रित अधिकारी के अंतर्गत आता है जो कि बुनियादी शिक्षा के क्षेत्र में विकास, नीतियां, उपस्थिति, निरीक्षण जैसे सभी जिला स्तरीय प्रशासनिक सेवाओं के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है..।
जिला शिक्षा अधिकारी के काले कारनामों का इतिहास..
अक्टूबर 2022 से ग्वालियर में पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी अजय कटियार पूर्व में चंबल संभाग के श्योपुर एवं ग्वालियर संभाग के शिवपुरी में जिला शिक्षा अधिकारी अधिकारी रहते बहुत बड़ी-बड़ी सुर्खियों में रहे जिनमें कुछ मुख्य अंश इस प्रकार हैं..
सहायक अध्यापिका के साथ अश्लील हरकत/ व्यवहार का मामला: जब अजय कटिहार श्योपुर में जिला शिक्षा अधिकारी थे तब उनके खिलाफ शासकीय विद्यालय की सहायक अध्यापिका अनीता तोमर ने दिनांक 4-11- 2016 को कोतवाली श्योपुर में गंभीर मामला दर्ज कराया था। अध्यापिका के इस कथन “तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने शासकीय कार्य के बहाने इन्हें घर पर बुलाया और अंदर कमरे में ले जाकर उल्टी सीधी अश्लील हरकतें करना एवं विरोध करने पर जान से मारने की धमकी वगैरा-वगैरा”..पर श्योपुर कोतवाली में भा.दं सं. की धारा 323 ,294, 354, 506 के अंतर्गत कटिहार के विरुद्ध मामला दर्ज हुआ (FIR no.-372…dt-04-11-2016) ।
शिवपुरी का अकाउंटेंट वृंदावन शर्मा सुसाइड कांड: श्योपुर से शिवपुरी स्थानांतरित हुए कटियार एक और नए कांड के लिए कुख्यात हुए। ज्ञात हो कि अपने ही विभाग के कर्मचारी अकाउंटेंट वृंदावन शर्मा द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या करने और सुसाइड नोट छोड़ने पर देहात थाना शिवपुरी पुलिस ने तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी अजय योगी बाबू कटियार और उनके सहयोगी बाबू सचिन अग्रवाल प्रशांत गुप्ता के खिलाफ 3 जुलाई 2020 को धारा 306, 34 भादवि के अंतर्गत मामला दर्ज हुआ और फिर सरगना कटियार अपने गिरोह के साथ फरार हो गया था ।जिस पर पुलिस अधीक्षक शिवपुरी ने गिरफ्तारी के लिए 2000 का इनाम घोषित किया था। पुलिस के भय से 10 दिसंबर 2020 को न्यायालय में सभी ने सरेंडर कर दिया और वहां से इन्हें जेल भेज दिया गया। 2 महीने से अधिक दिनों बाद जेल से रिहा हुए अजय कटियार को स्कूल शिक्षा विभाग की तत्कालीन उपसचिव अनुभा श्रीवास्तव द्वारा 15 फरवरी को निलंबित कर दिया गया। निलंबन अवधि के दौरान इनका मुख्यालय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ग्वालियर रहा।
नई दिल्ली में हुए फर्जी नियुक्ति मामले की जांच कर रही सीबीआई का एक दल अभी हाल में ग्वालियर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय डीईओ अजय कटियार के हस्ताक्षर से बने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र की जांच करने पहुंचा। जिसने तमाम कागजात और संबंधित दस्तावेज खंगाले मगर इस तरह के दस्तावेज वहां से पहले ही गायब होने की वजह से फिलहाल कटिहार बच निकले।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी से बढ़ सकती है मुश्किलें..
भले ही अजय कटिहार ने शिवपुरी के न्यायालय प्रथम श्रेणी जेएमएफसी से हाई कोर्ट के माध्यम से FIR क्वेस करते हुए स्वयं को मुक्त करा लिया हो मगर इस सुसाइड कांड से फिलहाल छुटकारा मिलता दिखाई नहीं दे रहा। माननीय उच्च न्यायालय ब्रांच ग्वालियर द्वारा FIR क्वेस(संदर्भित) आदेश के विरुद्ध मृतक वृंदावन शर्मा की पत्नी सुमन शर्मा ने माननीय उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए 5 जनवरी 2024 को स्पेशल लीव पिटिशन SLP (CLR)No-472/2024 दायर की जिसे माननीय न्यायालय द्वारा मंजूर कर लिया गया है। इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन एवं अन्य (अजय कटिहार एवं दो साथी) को उपस्थित होकर 5 फरवरी 2024 को पक्ष रखने के लिए पहला नोटिस नोटिस जारी किया इसके उपरांत दूसरे नोटिस की तामिल की तिथि यही 1 मार्च थी और अब तीसरे नोटिस पर सुनवाई मई में होनी है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के कानूनी दृष्टिकोण की माने तो मई के इस महीने में अजय कटियार एवं दो सहयोगियों की सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुश्किल में बढ़ सकती हैं क्योंकि अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए अजय कटियार में निचली अदालत को पूरी तरह से गुमराह करने की कोशिश की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया सुनवाई में अपने संज्ञान में ले लिया है। देश और दुनिया के भविष्य को गढ़ने वाली स्कूल शिक्षा विभाग की इतनी अहम जिम्मेदारी पर आखिरकार ये तथाकथित सदाचारी ग्वालियर में जिला शिक्षा अधिकारी के रूप में कैसे पदस्थ है ये अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है? क्या सरकार की नजर में क्या मध्य प्रदेश का संपूर्ण शिक्षा जगत गुणी और सदाचारियों से विहीन है। अब देखना यह होगा कि लोकसभा चुनाव के बाद स्कूल शिक्षा मंत्री इस पर क्या निर्णय लेते हैं ?
स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह से संपादक तोमर की बातचीत.
मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह से युग क्रांति संपादक ने श्योपुर से शिवपुरी और शिवपुरी से ग्वालियर तक शिक्षा अधिकारी के सुर्खियों भरे सफर की चर्चा करते हुए पूछा कि क्या मध्य प्रदेश में जिला शिक्षा अधिकारी पद के लिए दूसरा कोई सुपात्र व्यक्ति नहीं है, क्या हम यह माने कि सरकार की दृष्टि में मध्य प्रदेश का संपूर्ण शिक्षा जगत सदाचारी एवं गुणवान शिक्षाविदों से विहीन हो चुका है.. तो इस पर मंत्री श्री सिंह ने चुनाव आचरण संहिता का पालन करते हुए कम शब्दों में जवाब दिया कि कुछ मामले मेरी जानकारी में है और आपसे बातचीत के बाद लगभग पूरा मामला मेरे संज्ञान में स्पष्ट है इस पर चुनाव के बाद अवश्यक निर्णय लिया जाएगा।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए.
📝 संपादक की प्रस्तुति