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ब्रेकिंग

भेदभाव एवं बिना उचित प्रक्रिया के पालन के साथ हुई बालरंग योग प्रतियोगिता

ग्वालियर। अभी हाल में 2 दिन पूर्व उत्कृष्ट विद्यालय में आयोजित हुई  बालरंग योग प्रतियोगिता का बिना किसी उचित प्रक्रिया पालन के संपन्न कराई गई । इसमें जिला योग प्रभारी, विकासखंड योग प्रभारी को सूचित किए बिना या किसी विशेषज्ञ निर्णायक के बिना अपनी इच्छा से छात्र-छात्राओं का चयन जिला स्तर के लिए कर दिया गया। इस प्रतियोगिता में निर्णायक जज के रूप में स्वयं एक्सीलेंस स्कूल के प्राचार्य प्रबुद्ध गर्ग रहे जो मात्र योग के सर्टिफिकेट के आधार पर स्वयं को विशेषज्ञ होने का दावा करते हैं जबकि जज होने के लिए सर्टिफिकेट से ज्यादा शुद्ध अंतःकरण जरूरी है। इस कारण प्रतिभागी हतोत्साहित हो गए और व्यवस्था को दोष देते नजर आए । इस तस्वीर में शीर्षासन कर रहा सीएम राइस स्कूल का बालक रिजेक्ट हआ और पास में बैठा हुआ उत्कृष्ट विद्यालय का बालक सिलेक्ट कर लिया गया।

पंद्मा स्कूल की छात्रा और मॉडल स्कूल के छात्र ने आरोप लगाया कि मेरा प्रदर्शन चयनित खिलाड़ी से कहीं ज्यादा अच्छा था लेकिन हमारा चयन नही किया गया। इस प्रतियोगिता में 4 शासकीय स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया इसके लिए 11:00 बजे प्रतियोगियों को बुलाया गया लेकिन प्रतियोगिता 5:00 के बाद कराई गई जिससे प्रतिभागी भूख से बहुत परेशान हो गए वह अपने घर 7:00 बजे तक पहुंच पाए।

इनका क्या कहना है..

विकासखंड स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता ब्लॉक लेवल के उत्कृष्ट विद्यालय में रखी जाती है इसी क्रम में मुरार विकासखंड की प्रतियोगिता एक्सीलेंस स्कूल में रखी गई जिसके प्रभारी संस्था के प्रधानाचार्य प्रबुद्ध गर्ग रहे। हम लोग जब भी जिले लेवल पर कोई भी प्रतियोगिता रखते हैं तो उससे संबंधित एक्सपर्ट को ही जज बनने है। मैं इस बात से सहमत हूं की विकासखंड स्तर के एक्सपर्ट को बुलाना चहिए था मगर ऐसा क्यों नहीं किया यह हम जरूर दिखवाएगे और इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी से चर्चा करते हुए इस गलती को जरूर ठीक करेंगे जरूरत पड़ी तो आपत्तिकर्ता बच्चों की दोबारा ट्रायल अथवा पूरी प्रतियोगिता दोबारा कराई जएगी।  *शहजाद खान, जिला संस्कृति प्रभारी ग्वालियर 

इस प्रतियोगिता की मझे कोई जानकारी अथवा सूचना नहीं दी गई, इस संबंध में मैं ऑफीशियली और अनऑफिशियली यही कहूंगा कि जज के रूप में विशेषज्ञ को ही होना चाहिए ना कि संस्था प्रमुख को और खास कर तब तो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए जब उस संस्था के बच्चे प्रतिस्पर्धा में भाग ले रहे हो.. *दिनेश चाकंकर, जिला योग अधिकारी ग्वालियर