भ्रष्टाचार के साजिशाना तरीका से लोक सेवकों को किया जा रहा है परेशान..
भोपाल-इंदौर 25 अक्टूबर 2024। मध्य प्रदेश के जनजाति कार्य विभाग के मंत्रालय द्वारा हाल ही में 14 अक्टूबर 2024 को जारी की गई उच्च पद प्रभार सौपे जाने की बहु प्रतीक्षित सूची एवं इस क्रम में जनजाति विभाग के इंदौर संभाग उपायुक्त बीसी पांडे ने सहायक आयुक्तों को दिनांक 18 अक्टूबर 2024 को आनन-फानन में पत्र भेजकर प्रदेश भर में खलबली मचा दी है।
संभाग उपायुक्त के फतवानुमा पत्र में आदेशित किया गया है कि “शासन के आदेश अनुसार संबंधित संवर्ग को उच्च पद का प्रभार सोपा गया है लिहाजा जिले से संबंधित सर्व संबंधित प्राचार्य/ व्याख्याता संवर्ग को उक्त आदेश की तामील करा कर उसकी पावती एवं सौंप गए उच्च पद पर कार्य ग्रहण संबंधी प्रतिवेदन प्राप्त कर कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें”, जबकि उच्च पद प्रभार के अनुसार प्रथम श्रेणी प्राचार्यो, हाई सेकेंडरी एवं हाई स्कूल के इन प्राचार्यो ने कार्यभार तक नहीं संभाला है क्योंकि कार्यभार संभालने के लिए यह आवश्यक है कि या तो प्रत्येक के लिए अलग से निर्धारित स्थान पर स्थापना का आदेश जारी हो अथवा उच्च पद प्रभार की जारी की गई इस इस सूची में पदस्थापना के स्थान का अनिवार्यतः उल्लेख होना चाहिए।
मनमाने ढंग से त्रुटि पूर्ण सूची की गई तैयार…
1 अप्रैल 2023 को जारी वरिष्ठता सूची में बड़ी संख्या में वे नाम छूट गए हैं जिन्हें 2021 की सूची को आधार मानकर एवं उसमें सुधार कर लंबे अंतराल बाद संशोधित सूची में 1 अप्रैल 2022 को बमुश्किल जोड़े गए थे। उच्च पद प्रभार की जारी इस सूची में अनेक पात्र लोक सेवकों के नाम छूट गए हैं जबकि उनसे कनिष्ठ लोक सेवकों के नाम आदेश में शामिल है।
सभी व्याख्याता, हाई स्कूल प्राचार्य एवं हायर सेकेंडरी प्राचार्य के द्वारा प्रतिवर्ष गोपनीय प्रतिवेदन (ACR) समय सीमा में जमा करने के बाद उसकी पदोन्नति/ क्रमोन्नति/समयमान वेतनमान की पात्रता के बावजूद उसका नाम इस सूची में क्यों नहीं जोड़ा गया जबकि नियमानुसार संबंधित लोक सेवक द्वारा स्वयं अपनी ACR नहीं भी जमा करने की स्थिति में वरिष्ठ अधिकारी द्वारा उसके कार्य का मूल्यांकन करके रिपोर्ट 31 दिसंबर तक संबंधित अंतिम अधिकारी तक पहुंचा दी जाती है। इस चैनल में मुख्य रूप से तीन अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित रहती है इसलिए अंतिम छोर के अधिकारी तक ACR न भेजने की स्थिति में किसी भी तरह के दंड शास्ति के अधिरोपित होने का भार भी इसी चैनल पर होना चाहिए न कि संबंधित लोक सेवक का।
कुछ जिलों में तो 5 वर्ष की ACR का बस्ता दबा कर रख लिया गया और इन गोपनीय प्रतिवेदनों को जानबूझकर जमा नहीं कराने की स्थिति में उच्च पद प्रभार के लिए रतलाम, छिंदवाड़ा,बड़वानी, धार आदि जिले इस सूची से पूर्णता वंचित रह गए।
कितनी विडंबनापुर स्थित है कि संबंधित प्राचार्य से कार्यभार संभालने का प्रतिवेदन जबरिया मांगा जा रहा है जबकि उसके लिए पदभार ग्रहण करने को कोई निर्धारित स्थान तक नहीं है।विभाग की मिलीभगत एवं बद्नियति से जानबूझकर ये भ्रामक आदेश जारी किया गया है ताकि संबंधित से परेशानी के अनुपातिक माफिक वसूली की जा सके।
जनजाति कार्य विभाग में शिक्षक संवर्ग के उच्च पद प्रभार हेतु जिला एवं संभाग स्तर पर स्वैच्छिक काउन्सलिंग के माध्यम से पदस्थापना दी गई है जबकि विभागीय मंत्री, प्रमुख सचिव एवं आयुक्त के अधीनस्थ प्रदेश स्तर पर व्याख्याता, हाई स्कूल प्राचार्य एवं हायर सेकेंडरी प्राचार्य को उच्च पद प्रभार के लिए प्रदेश स्तरीय स्वैच्छिक काउंसलिंग प्रक्रिया से दूर क्यों रखा गया यह बड़ा सवाल है? आखिरकार इस अव्यवस्थित एवं अनियमित प्रक्रिया का जिम्मेदार कौन?
इनका क्या कहना है..
कुछ लोग इस उच्च पद का प्रभार नहीं लेना चाहते हैं इसलिए इस आदेश की तामील करा कर रहे हैं, उच्च पद प्रभार का पद नहीं स्वीकारने का कारण वेतन में बढ़ोतरी न होना एवं स्वेच्छा बताते हुए उन्होंने कहा कि इच्छा व्यक्त करने के बाद उसकी पोस्टिंग अलग से होगी जैसे मान लो के लेक्चर है और उसकी प्रिंसिपल के लिए पद स्थापना हो गई इसके लिए पदभार ग्रहण करने के लिए अन्य विद्यालय में जाना पड़ेगा और उसके रिटायरमेंट के 6 महीने शेष है तो वह नहीं जाना चाहेगा और लिख कर देगा तो वह पत्र रिक्त हो जाएगा, इसी तरह किसी के रिटायरमेंट के 3 महीने 4 महीने अथवा 1 साल बचे हुए हैं तो दूसरी जगह जाने को को तैयार नहीं है ऐसी स्थिति में तमाम पद रिक्त होंगे इसलिए अभी आदेश की तमिल की स्थिति में सिर्फ संबंधित की स्वेच्छा पूछी जा रही है इसके बाद शासन स्तर पर सभी की पदस्थापना होगी.. *डीसी पांडे, उपायुक्त जनजाति कार्य विभाग इंदौर
* प्रमुख सचिव एवं आयुक्त ई रमेश कुमार कुछ बताने की स्थिति में नहीं
आपके माध्यम से विषय सामने आया है तो हम इसको दिखवाएगे, कोई खामी होगी तो उसे दूर किया जाएगा पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से पालन होगा, पूरे प्रदेश में किसी के साथ कोई भी अन्य नहीं होगा। *कुंवर विजय शाह, आदिम जाति कल्याण मंत्री म.प्र. शासन