कलेक्टर ने किया कार्रवाई हेतु पत्राचार, वेतन रोकने की बात कही
इंदौर- बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिला में जनजाति कार्य/ आदिम जाति कल्याण विभाग में सहायक आयुक्त के रूप में पदस्थ गणेश भांबर की ताज़ा सुर्खियों पर चर्चा करने से पूर्व इनके सेवाकाल की चंद रोचक क्षणिकाओं पर रोशनी डालते हैं। जिसमें इन्हें महान कारनामों के चलते उपायुक्त से डिमोशन करते हुए न सिर्फ सहायक आयुक्त बनाया गया बल्कि इस पद के क्षेत्राधिकार को भी सीमित कर दिया गया।
ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2019-20 में भाबर अपनी जोड़-तोड़ से इंदौर संभाग के प्रभारी उपायुक्त बने, इससे पूर्व वे खंडवा, खरगोन- बड़वानी आदि जिलों में सहायक आयुक्त रहे। इसी दौरान खरगोन-बड़वानी (संयुक्त जिला) में भावर ने कर्मचारी भर्ती कांड को अंजाम दे डाला और इसी कर्मकांड का पाप उदय तब हुआ जब यह इंदौर संभाग के प्रभारी उपायुक्त थे। इसी दौरान इनके खिलाफ कर्मचारी भर्ती कांड पर विधानसभा में रीवा जिले से विधायक प्रदीप पटेल द्वारा प्रश्न उठाया गया जिसके चलते इन्हें भोपाल मुख्यालय भेज दिया गया और भाबर को इंदौर डीसी का पद गवाना पड़ गया। अपने उत्थान के तमाम प्रयासों के बाद इन्हें झाबुआ और उसके बाद सितंबर 2023 में मात्र एक ट्राइबल ब्लॉक वाले छोटे से जिला बुरहानपुर में सहायक आयुक्त के रूप में पदस्थ कर दिया गया जहां यह बिल्कुल भी जाना चाहते थे। क्योंकि इंदौर उपायुक्त को मध्य प्रदेश का आधा आयुक्त माना जाता है, इस संभाग में संपूर्ण मध्य प्रदेश के तकरीबन आधे ट्राईबल ब्लॉक हैं लिहाजा इंदौर संभाग के उपायुक्त रहते हुए तत्कालीन सहायक आयुक्त बीसी पांडे सहित अन्य पर रौब झाड़ने वाले गणेश भाबर भला इन्हीं बीसी पांडे, उपायुक्त इंदौर संभाग की अधीनस्थी कैसे स्वीकार्य हो!
लगातार अनुपस्थिति के बावजूद किया जा रहा है वेतन आहरण
इसी के चलते गणेश भाबर ने बुरहानपुर में सहायक आयुक्त के पद पर सितंबर 2023 में पदभार जरूर ग्रहण किया मगर सही मायने में कार्यभार ग्रहण नहीं किया क्योंकि अबतक के कार्यकाल में अधिकांशतया ये अनुपस्थित रहे और नौकरी के नाम पर सिर्फ विभाग से नियम विरुद्ध वेतन आहरण कर रहे हैं। सितंबर 2023 से दिसंबर 2023 तक भाबर कार्यालय में यदा कदा उपस्थित हो जाया करते थे इसके उपरांत लगातार 3 महीने अनुपस्थित रहे और जब मार्च एंड में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की बारी आई तो एक महीने की छुट्टी स्वीकृत कराकर पद का दुरुपयोग करते हुए 3 महीने का वेतन आहरण कर लिया जो के नियम विरुद्ध है। कलेक्टर श्रीमती भव्या मित्तल ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए दिशा निर्देश पूर्वक चेताया जिसके फल स्वरुप इन्होंने विभाग में पूर्णता जाना बंद कर दिया। सूत्रों की मांने तो हाल में दो-तीन दिन से भांबर को 6 माह के वेतन की जुगत में कार्यालय में देखा जा रहा है जबकि इन्हें एक भी दिन की छुट्टी स्वीकृत नहीं है। तकरीबन 6 माह के इस दौर में कलेक्टर श्रीमती मित्तल ने कई बार भांबर को कारण बताओं नोटिस जारी किए मगर उसका उत्तर देना भी भाबर ने मुनासिब नहीं समझा और लगातार अपने वरिष्ठ अधिकारी को ठेंगा दिखाते रहे। कलेक्टर द्वारा कई बार इनके विरुद्ध कार्रवाई हेतु विभाग /मध्य प्रदेश शासन भोपाल को पत्राचार किया जा चुका है मगर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार पैसे के दंभ से सिस्टम को खरीदने का दावा करने वाले ये महाशय इंदौर संभाग में पुनः उपायुक्त बनने की फिराक में शासन- प्रशासन में अपनी पैट लगाने में जुटे हुए जबकि सही मायने में यह सहा. आयुक्त के पद के लिए भी उपयुक्त/पात्र नहीं है।
“कई बार कारण बताओं नोटिस भेजे गए मगर कोई जवाब न मिलने की स्थिति में कार्रवाई के लिए डिपार्टमेंट को लिखा है क्योंकि क्लास वन और क्लास 2 के अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई का हमारे पास अधिकार नहीं है। अभी मुझे डिटेल में जानकारी ध्यान में नहीं है वह सब देख कर बता पाऊंगी मगर आपके माध्यम से छह माह की अनुपस्थिति के बावजूद वेतन आहरण के उनके प्रयास में मैं उनका वेतन अवश्य रुकवा दूंगी”। *श्रीमती भव्या मित्तल, कलेक्टर- बुरहानपुर