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मनुष्य बाह्य नहीं अपितु आंतरिक जीवन में वैराग्य धारण करें – आचार्य रामश्याम तिवारी

ग्वालियर। मनुष्य बाह्य नहीं अपितु आंतरिक जीवन में वैराग धारण करें तभी वह अपना व संसार का भला कर सकता है। यह बात ग्वालियर स्थित न्यू जवाहर कॉलोनी, कंपू में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन सोमवार को भक्तों को कथा सुनाते हुए आचार्य रामश्याम तिवारी ने कही। आचार्य तिवारी ने कथा में सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, सुखदेव परीक्षित जन्म का विस्तार से वर्णन किया। मधुर भक्तिमय संगीत से सहायक व्यास चंद्रप्रकाश पांडे, तबला वादक महेश शुक्ला व ऑर्गन वादक संदीप दुबे ने भक्तों के अंतर मन को मोह लिया। इस अवसर पर कथा परीक्षत बृजबिहारी विमला वाजपेयी, कथा प्रबंध प्रमुख के.एल.कुशवाह, समाजसेवी शुभम चौधरी, राधेश्याम कुलश्रेष्ठ, पूर्व पार्षद संतोष राठौर, जगदीश भदौरिया, राकेश गुप्ता, आर.सी.अग्रवाल, देवेंद्र तोमर, जितेंद्र राजावत सहित सैकड़ो श्रोताओं ने श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर कथा लाभ प्राप्त किया।

व्यास पीठ से आचार्य रामश्याम तिवारी ने कहा संसार के सारे रिश्ते कुछ सालों के हैं, यह यहीं छूट जाने हैं। इसलिए अपनी जिम्मेदारियां को तय मानकों तक निभाते हुए अंतर मन में वैराग्य धारण करें और सत मार्ग पर चलें। हम सत मार्ग पर चल रहे हैं यह हमें तभी पता लगेगा, जब हमें कोई कार्य किसी से चोरी, छुपे नहीं करना पड़े और हमें आंतरिक सुख की अनुभूति होने लगें।