प्री बोर्ड परीक्षा का सिस्टम क्यों नहीं किया लागू, मात्र 54 प्रश्नपत्रों के लिए करोड़ों की वसूली ?
डीईओ के पत्र से हुआ कमीशन स्लैब का खुलासा..
भोपाल 20 नवंबर 2024। मप्र के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा परीक्षा के नाम पर वसूली का खेल दिनांक 5-11- 2024 को जारी लोक शिक्षण आयुक्त के पत्र से शुरू हुआ जिसमें 9 दिसंबर को शुरू हो रही कक्षा 9वीं से 12वीं तक की अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों के संदर्भ में आयुक्त शिल्पा गुप्ता द्वारा निर्देशित किया गया कि “प्रश्नपत्र म प्र राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा परिषद भोपाल द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से उपलब्ध कराए जावेगे”।इसी आधार/शय पर शिक्षा परिषद द्वारा प्रदेश के बच्चों से अनावश्यक 65 रुपए प्रति छात्र अर्धवार्षिक शुल्क के नाम पर वसूलने का फतवा जारी कर दिया गया।
ये सिलसिला यहीं नहीं रुका बल्कि अलग-अलग जिला के शिक्षा अधिकारी अपने-अपने इजात तरीकों से शुल्क वसूली का कॉन्ट्रैक्ट भिन्न-भिन्न दरों पर कार्यादेश के साथ संपादित करने में जुट गए हैं। अभी तक खुलासा हुई दरों में प्रति छात्र वसूली जाने वाली राशि 65 से 100 रु है और कहीं-कहीं इसी का परिवर्तित एवं व्यापक स्वरूप उजागर हुआ है जिसमें रुपए की जगह प्रतिशत का जिक्र किया गया है अर्थात इस हिडन आधार पर विद्यालयों को 100 रु से अधिक राशि वसूलने की खुली छूट दे दी है।
युग क्रांति को अभीतक प्राप्त पत्रों अथवा कार्यादेशों माध्यम से मुख्य रूप से छिंदवाड़ा-₹100, खरगोन-₹100, बैतूल-₹80 एवं विदिशा- (80 से 100%) जिलों के नाम सामने आये है और दिलचस्प बात यह है कि कुछ संयुक्त संचालकों को जिला शिक्षा अधिकारी के पत्र की जानकारी तक नहीं है। इन्हें आज युग क्रांति संपादक बृजराज तोमर द्वारा उक्त पत्र उपलब्ध कराकर पूरे मामले को संज्ञान में लाया गया, जिसमें इंदौर एवं नर्मदापुरम संभाग के संयुक्त संचालकों के नाम शामिल है।
प्री बोर्ड परीक्षा का सिस्टम…
ज्ञात हो कि पिछले सत्र इसी तरह वसूली का खेल शुरू हुआ, कुछ जिलों में वसूली भी की गई मगर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की फटकार के बाद परीक्षा के नाम पर वसूली बंद कर दी गई भले ही कुछ जिलों में वसूला गया पैसा खा लिया गया हो। माध्यमवर चारों कक्षाओं के लिए विषयवार प्रश्नपत्रों का एक-एक सेट अर्थात कुल 54 प्रश्नपत्रों को विमर्श पोर्टल के माध्यम से सभी विद्यालयों को भेज कर छात्रों को फोटोकॉपी अथवा प्रिंट के माध्यम से उपलब्ध करा दिए गए थे। यही सिस्टम हाल में 10वीं एवं 12वीं कक्षा की प्री बोर्ड परीक्षा के लिए लागू किया गया है जिसमें लोक शिक्षण संचालक डीएस कुशवाह द्वारा जारी पत्र क्रमांक.. / 1881 दिनांक 18-11-24 के माध्यम से प्रदेश के सभी संभागीय संयुक्त संचालक, जिला शिक्षा अधिकारी, सहायक आयुक्त जनजातीयकार्य विभाग एवं हाई स्कूल व हाई सेकेंडरी के सभी प्राचार्य को साफ तौर पर निर्देशित किया है कि” राज्य स्तर पर माध्यमवार उपलब्ध कराए जाने वाले प्रश्न पत्रों को सूची अनुसार विमर्श पोर्टल के माध्यम से प्राचार्य लॉगिन पर दिनांक 13-01- 2025 से उपलब्ध होंगे जिन्हें प्राचार्य डाउनलोड कर अपने विद्यालय की छात्रसंख्या अनुसार फोटोकॉपी अथवा मुद्रित कराकर वितरित कर सकेंगे”। संचालक कुशवाह की इसी मंसानुरूप प्रीबोर्ड परीक्षा की तरह अर्धवार्षिक परीक्षा क्यों नहीं कराई जा सकती जैसा कि विगत सत्र 2023- 24 में हुआ। फिर कक्षा 9 एवं 10 के लिए 66 प्रश्न पत्र एवं कक्षा 11 एवं 12 के लिए विषय/संकायवार 21 21 प्रश्न पत्र अर्थात कुल 54 प्रश्नपत्रों के लिए करोड़ों की वसूली का खेल क्यों ?
डीईओ के पत्र से हुआ कमीशन स्लैब का खुलासा..
एक जिला शिक्षा अधिकारी के पत्र ने तो कालेधन की अर्थव्यवस्था में वसूली गई राशि के बंदरबांट का कमीशन स्लैब को ही समझा डाला जिसमें प्रति छात्र वसूले जाने वाले सो रुपए को मानक मानते हुए साफ कर दिया गया के 65% मध्य प्रदेश राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड के, 5% संयुक्त संचालक के, 10% जिला शिक्षा अधिकारी के एवं 20% संबंधित विद्यालय के लिए निर्धारित है।
अब देखना ये होगा कि परीक्षा के नाम पर 10 करोड़ से अधिक कालाबाजारी के इस गोरखधंधे पर स्कूल शिक्षा मंत्री एवं भोपाल के वरिष्ठतम अधिकारी अंकुश लगाते हैं अथवा 65 प्रतिशत में से अपना हिस्सा लेकर चुप्पी साध लेते हैं।
इनका कहना है..
हां हमने 80 से ₹100 लेने का पत्र जारी किया है विद्यालय में परीक्षा से संबंधित अन्य गतिविधियां चलती हैं। संपादक द्वारा क्रॉस क्वेश्चनिंग करने पर उन्होंने कहा कि हम इस पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों से परामर्श लेंगे और देखेंगे कि इसमें क्या सुधार किया जा सकता है .. * कनुडे शैलेंद्र कुमार, डीईओ- जिला खरगोन
अभी मैं ऑफिस में नहीं हूं ऑफिस जाकर में पत्र को देखूंगा और संशोधन की गुंजाइश होगी तो किया जाएगा. *अनिल कुशवाह, डीईओ- बैतूल
हमारे विभाग से जारी पत्र को में दोबारा चेक करूंगा, लगता है कि कहीं ना कहीं जल्दबाजी में गलती हुई है जैसे अबिलंब सुधर जाएगा.. रामकुमार ठाकुर, डीईओ- विदिशा
इंदौर के संयुक्त संचालक अरविंद सिंह एवं नर्मदापुरम के संयुक्त संचालक भावना दुबे को अपने जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी किए गए पत्र की जानकारी नहीं होने पर संपादक तोमर से उक्त पत्र उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया।