hacklink al
jojobet girişjojobetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobet girişjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişholiganbetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişholiganbetholiganbet girişpadişahbetpaşacasinograndpashabetjojobetjojobet girişcasibom girişcasibom girişcasibom girişcasibom girişkralbetkingroyalmatbetmatbet girişmatbet güncel girişmatbetmatbet girişmatbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbet girişnakitbahisnakitbahis girişnakitbahisnakitbahis girişnakitbahisnakitbahis girişmatbetmatbet girişcasibomcasibom girişkavbetkavbet girişkavbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel giriş

परंपरागत खेती को छोड़कर कर रहे हैं फल उत्पादन

कृषक रामसनेही शर्मा ने फलों की खेती को बनाया लाभ का धंधा

भिण्ड 18 दिसम्बर 2024/ भिण्ड जिले के ग्राम दबोहा के कृषक श्री रामसनेही शर्मा ने बताया कि परिवार में पहले कई वर्षों से परंपरागत खेती चली आ रही थी। जिसमें वर्तमान में लाभ कम मिल पा रहा था। फिर में एक दिन आत्मा कर्मचारियों के मार्गदर्शन के माध्यम से मुझे कृषक संगोष्ठी, कृषक प्रशिक्षण में सम्मिलित होने के बारे बताया गया। फिर मैं आत्मा योजना के कृषक संगोष्ठी कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ। जिसमें मुझे फल उत्पादन करने की जानकारी दी गई।

कृषक श्री रामसनेही शर्मा ने बताया कि 1.5 बीघा में टीस्सू कल्चर केला के पौधे लगाए जिसमें 755 पौधे लगे हुये हैं। जिनको मैंने सचदेवा टीस्सू कल्चर लेब दबोह से पौधे प्राप्त किये उसके बाद केले के बीच में कटहल, आम, नींबू, चन्दन और सीताफल के पौधे लगाए हैं।
उन्होंने बताया कि केले की खेती के साथ-साथ पीली हल्दी, काली हल्दी, बैंगन, टमाटर की खेती भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि केला की लगभग 12 माह में फसल तैयार हो जाती है। उन्होंने बताया कि उन्हें बर्मी कंपोस्ट खाद उद्यानिकी विभाग के माध्यम से प्राप्त हुई जिसमें सब्सिडी भी मिली है, वे अपने खेतों में 70 प्रतिशत देशी खाद, 30 प्रतिशत एनपीके फर्टिलाइजर का छिड़काव करते हैं, जिससे फसल और मिट्टी पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता। केला की खेती से उन्हें लगभग 80 हजार रूपये की आय प्राप्त हो रही है।