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श्योपुर में हुए करोड़ों के गबन की जांच में हुआ गड़बड़ घोटाला

कलेक्टर के निर्देशन में बीईओ मधु शर्मा ने कराई कई मामलों में संलिप्त संकुल प्राचार्य एमएल गर्ग से जांच..

निजी स्वार्थ के चलते जानबूझकर बचाया आरोपियों को..

भोपाल/श्योपुर 27 दिसंबर 2024। जून माह में श्योपुर के स्थानीय निवासी कुलदीप सिंह की शिकायत के माध्यम से सनसनीखेज मामला सामने आया था जिसमें वार्डन श्रीमती विष्णु शर्मा एवं सहायक शिक्षक मुकेश सिंह कुशवाह द्वारा छात्रावास में दो-तीन करोड़ रुपए के गबन का मामले को युग क्रांति द्वारा दिनांक  26.6. 2024 को उजागर किया गया। मामले को संज्ञान में लेते हुए तत्कालीन कलेक्टर लोकेश जांगिड़ द्वारा जांच के लिए खंड शिक्षा अधिकारी श्योपुर को निर्देशित किया गया।
इस जांच के संदर्भ में खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) मधु शर्मा ने संकुल प्राचार्य एम एल गर्ग सहित दो सदस्यीय प्राचार्यो का दल गठित किया।

जांच दल/समिति द्वारा पत्र क्रमांक/ शिकायत/क्यू/1 दिनांक 02.07. 2024 से जांच प्रतिवेदन में शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत के क्रम में वार्डन शर्मा तथा सहा. शिक्षक कुशवाह के विरुद्ध लगाए गए आरोप सिद्ध न होने से अंतिम निष्कर्ष अनुसार छात्रावास के अभिलेख एवं प्राप्त कथनों के अवलोकन उपरांत शिकायत की सत्यता की पुष्टि न होना प्रतिवेदित किया गया है। साथ ही उल्लेखित किया गया कि म प्र शासन के दिनांक 25.4.2007 के ज्ञापन से जारी निर्देशों की कंडिका अनुसार शिकायती ज्ञापन में शिकायतकर्ता का नाम एवं पत्र व्यवहार का पता न होने पर इसे गुमनाम शिकायत मानते हुए नस्तीबद्ध किया जाए”। इसी प्रतिवेदन के आधार पर खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा अभिमत किया गया कि” उक्त शिकायत के संबंध में गठित जांच समिति द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन के संलग्न अभिलेख एवं कथनों का अवलोकन उपरांत निष्कर्ष अनुसार शिकायत में उल्लेखित बिंदुओं की सत्यता की पुष्टि नहीं हो पाना पाया गया है”। विभागीय सूत्रानुसार तथाकथित यह जांच प्रतिवेदन बीईओ द्वारा कलेक्टर जांगिड़ के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया जिसे कलेक्टर द्वारा राज्य शिक्षा केंद्र को भेजा गया है।

शिकायतकर्ता कुलदीप ने इस जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरोपियों से सांठ-गांठ करके जांच दल ने तथ्यों से परेय शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत बिलों/वाउचरों एवं अन्य आवश्यक दस्तावेजों को नजर अंदाज करके झूठ सबूत के बिनाह पर उन्हें बचाया गया है। कुलदीप ने कहा कि मेरे मोबाइल पर संबंधित का फोन मेरे पास आया था जिसमें उन्होंने पूंछा कि तुम्हारे द्वारा की गई शिकायत पर यदि बुलाया जाएगा तो आना पड़ेगा। जिस पर मेरे द्वारा सहमति दी गई मगर उसके बाद मुझे कभी नहीं बुलाया गया बल्कि इस संदर्भ में मेरे द्वारा इनसे संपर्क करने पर उल्टा डांट कर भगा दिया गया”।

जांच से असंतुष्ट शिकायतकर्ता ने कहा कि हमारे जिला के नए कलेक्टर, भोपाल के बड़े अधिकारी, जांच एजेंसियों एवं न्यायालय पर मुझे पूरा भरोसा है इसलिए मैं कलेक्टर साहब से दोबारा अपने भरोसे को आजमाने की शुरुआत करूंगा।

युग क्रांति द्वारा जून मे उजागर मामला..

वार्डन और सहा.शिक्षक की युगलबंदी ने श्योपुर में किया करोड़ का गवन