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आखिर क्यों टूटा बेटी की पेटी का ताला ?

इसका जिम्मेदार पुलिस प्रशासन अथवा ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय..!

ग्वालियर 29 दिसंबर 2024। ग्वालियर पुलिस की पहल “बेटी की पेटी -यानि अगर बेटियों को पुलिस तक किसी घटना की जानकारी पहुंचानी है या फिर आपके साथ कोई घटना हुई है और आरोपी के बारे में कोई जानकारी देनी हैं तो सीधे एक पर्ची पर अपनी समस्या लिखकर इस पेटी में डाल दें। पुलिस हर रोज इसमें से शिकायत की पर्चियां निकालेगी और इन पर कार्रवाई करेगी”। इसकी शुरुआत पुलिस महानिरीक्षक राजा बाबू सेंगर एवं पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन ने की थी लेकिन यह व्यवस्था कोरोना काल में अस्त व्यस्त हो गई। जिसकी दोबारा शुरुआत 2 साल पहले वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित सांघी के नेतृत्व में मुरार सीएसपी ऋषिकेश मीणा ने की। शुरुआती दौर में मुरार क्षेत्र में पांच पेटियां लगाई गई जिसमें एक हुरावली स्थिति ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय के मुख्य द्वार पर लगाई गई। यहां इस पेटी का लगाने की अहम वजह प्रांगण के भीतर संचालित अनुसूचित जाति/ जनजाति आवासीय विद्यालय में सैकड़ो (युवक एवं युवती) विद्यार्थियों की सुरक्षा एवं सौहार्दता है।

विगत कई दिनों से बेटी की ये पेटी बेजान हालत में बिना ताले के लटकी हुई है। युग क्रांति प्रतिनिधि द्वारा पेटी के पास बैठे हुए आवासीय विद्यालय के गार्ड से पूछो तो उसे इस बारे में कुछ पता नहीं होता, छात्रावास अधीक्षक को भी इससे कोई सरोकार नहीं है और संस्था की प्राचार्य अपनी जवाब देही तय करने के लिए उपलब्ध नहीं है। युग क्रांति प्रतिनिधि ने न सिर्फ बेजान पेटी का वीडियो पुलिस अधिकारी एवं जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त को भेजा गया बल्कि दूसरे दिन मौके (बेजान पेटी) का फोटो खींचकर फोन पर बात करने के उपरांत जनजातीय कार्य विभाग के प्रभारी सहा.आयुक्त एवं संयुक्त कलेक्टर संजीव जैन को भेजा गया मगर फिर भी बेटी की बेटी को किसी ने भी पुनः जीवित करने का प्रयास नहीं किया अथवा जानबूझकर नहीं किया !

जहां एक ओर महिलाओं/बच्चियों की सुरक्षा के लिए पुलिस व प्रशासन सतर्कता और सुरक्षा के तमाम इंतजाम बताती है तो वहीं दूसरी ओर इनकी सुरक्षा के लिए खुद के बनाए प्लान को भूल भी जाती है। बेटी की पेटी पर ताला न लगा होना सुनने में बड़ी बात नहीं लगती मगर जानबूझकर ताला नहीं लगाना अथवा इसका तोड़ दिया जाना एक गंभीर मामला है जो कहीं ना कहीं आवासीय विद्यालय के भीतर अथवा बाहर अराजक एवं संदिग्धत गतिविधियों की ओर संकेत करता है। जिसे पुलिस एवं ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय के प्रशासन को गंभीरता एवं जिम्मेदारी से लेना चाहिए। सुरक्षा से जुड़े इस अहम इंतज़ाम को सजीव रखना एवं सजगता के साथ इसे सुचारु रूप से आगे बढ़ना क्या वर्तमान प्रशासन की जवाब देही नहीं है!