छात्रावास में निवासरत है मात्र 70 छात्राएं जबकि कागजों मे दर्ज यह संख्या 200..
वार्डन के दबाव में सहा. रसोईया अर्चना ने लगाए झूठे आरोप..
भोपाल- भिंड 5 फरवरी 2025। जहां एक ओर सरकार बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए नए-नए आयामों के साथ विद्यालयों एवं छात्रावासों की सुविधा मुहैया करा रही है वहीं दूसरी ओर छात्रावास के तथाकथित कुछ वार्डनों के लिए ये अनियमिताओं एवं हैवानियत के अड्डे बनते जा रहे हैं और इस पर नियंत्रिण की छुटपुट सफलता के साथ प्रशासन मूक दर्शक की भूमिका में ज्यादा नजर आता है।
इंदौर के गर्ल्स हॉस्टल में छात्राओं द्वारा बॉर्डन के दुष्कृत्यों का भंडाफोड़, नीमच के बालिका छात्रावास में फूड प्वाइजनिंग की घटना, अलीराजपुर के बालक छात्रावास में 22 छात्रों के बीमार होने की घटना, वार्डन द्वारा शराब पीकर छात्राओं के साथ मारपीट की घटना, बैतूल में वार्डन द्वारा बच्चियों की बंधक बनाने की घटना, राजधानी भोपाल में छात्राओं के अवैध छात्रावास में धर्मांतरण की घटना, श्योपुर के बालिका छात्रावास में वार्डन द्वारा करोड़ों के गवन की घटना के रूप में ये सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। कहीं कहीं यह वार्डन अपने दुष्कृत्यों के दम पर इतनी पावरफुल है कि समूचा विभाग एवं जिला प्रशासन इनके सामने बौना प्रतीत होता है।
ऐसा ही एक मामला भिंड जिला की गोहद तहसील अंतर्गत ऐंडोरी गांव में स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास का सामने आया है। जिसमें छात्रावास अधीक्षिका द्वारा छात्रावास के भीतर चल रहीं अनियमिताओं को छुपाने के लिए निरीक्षण पर आए अपने ही विभाग के डीपीसी को साजिश का शिकार करने की कोशिश की गई। इसी क्रम में हाल ही में एक वीडियो शिकायती दस्तावेज के रूप में प्रयोग में लाया गया है। युग क्रांति टीम द्वारा एंडोरी गांव से लेकर जिला मुख्यालय तक की गई अपनी पड़ताल से पाया कि इस छात्रावास में वास्तविक तौर पर मात्र 70 बच्चियों रहती हैं जबकि कागजों में यह संख्या 200 से अधिक बताई जाती है, मुख्य रसोईया सीमा द्वारा भी 70 बच्चियों के खाना बनाने की पुष्टि की गई। छात्रावास के अंदर तमाम लापरवाहियों की औपचारिक /अनौपचारिक शिकायतों के चलते जिला परियोजना समन्वयक (डीसीपी) व्योमेश शर्मा द्वारा किए गए निरीक्षण में इसकी पुष्टि होना पाया गया। कार्यवाही के भय के चलते वार्डन रुचि भदोरिया ने एक साजिश रची जिसमें इसके द्वारा सहायक रसोईया अर्चना जाटव द्वारा किसी सहयोगी के माध्यम से शिखा पढ़ाकर एक वीडियो जारी कराया गया। जिसमें सहा.रसोईया द्वारा डीसीपी शर्मा को तमाम झूठे आरोपों में फंसाने की साजिश को साफ तौर पर देखा जा सकता है। वीडियो को गौर से देखने पर साफ नजर आ रहा है कि पास में खड़ा कोई व्यक्ति उस महिला को मिसगाइड कर रहा है । खुद के साथ दुराचरण की घटना के अंदाज ए वयां के साथ-साथ वक्तव्यों को अदल- बदल कर बोलना इस घटना
की सच्चाई नहीं बल्कि झूठ और फरेब को बयां कर रही है। सूत्रों की माने तो यह वीडियो विद्वेष/स्वार्थ वस किसी के द्वारा बनाया गया है जिसमें एक तरफा आरोप को दिखाया गया है न कि पूरी सच्चाई। सच्चाई जानने के लिए जरूरी था कि शर्मा के साथ गए उनके ड्राइवर एवं अन्य सहायक के साथ उस छात्रावास के चौकीदार के कथनों को भी दिखाया जाता। युग क्रांति टीम ने डीपीसी शर्मा के व्यक्तित्व की पड़ताल भी की जिसमें पाया कि साइंस कॉलेज के छात्र जीवन से शा. पदमाराजे विद्यालय के वाइस प्रिंसिपलस से अब तक वह सनातनी आचार्य जैसे सर्वगुण संपन्न है।
व्योमेश शर्मा के रूप में वरिष्ठ अधकारी को तिरिया चरित्र में फसाने की यह घटना कोई नई बात नहीं है। ऐसा ही एक अनुभव कलेक्टर लोकेश जांगिड़ के साथ हुआ था जब वह एसडीएम के रूप में पदस्थ थे। तदुपरांत वह जब भी लड़कियों के छात्रावास में निरीक्षण करते हैं तो महिला स्टॉफ एवं कैमरा मैन को साथ ले जाते हैं। कितने हैरत की बात है कि इन अदने से कर्मचारियों द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारियों को साजिश का शिकार बनाने का दुस्साहसपूर्ण ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा बल्कि संक्रमण की तरह फैल रहा है। ये क्रत्य न सिर्फ सिविल सेवा नियम की धज्जियां उड़ाने की पराकाष्ठा है बल्कि छात्रावास में निवासरत छात्र-छात्राओं के चरित्र, व्यक्तित्व एवं भविष्य की हत्या है। इन हालातो में छात्रावास के अंदर फैल रहे इस कैंसर को नियंत्रित करने के लिए शासन को बड़े स्तर पर पूरे प्रदेश में सख्त अभियान चलाने किया आवश्यकता है।