सुप्रीम कोर्ट और सरकार के आदेश की अवहेलना करते ग्वालियर के चौराहे

विशाल स्मारक युक्त बड़े आकार में पसरा निर्माण यातायात को कर रहा है बाधित..

बृजराज एस तोमर ग्वालियर। नागरिकों के निर्वाध रूप से आने-जाने के अधिकार को बाधित होने से बचाने के लिए उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश को आदेशित किया कि रोड पर मूर्ति निर्माण के लिए परमिशन नहीं दी जा सकती, रोड पर किसी भी तरह के कंस्ट्रक्शन के लिए स्ट्रक्चर नहीं किया जा सकता, इतना ही नहीं रोड के साइड में भी किसी भी तरह का निर्माण नहीं हो सकता। साथ ही इसी क्रम में चौराहा पर ऐसे निर्माण पर रोक के क्रम में म प्र सरकार द्वारा बड़ा फैसला लिये जाने के बावजूद ग्वालियर शहर के अधिकांश चौराहे इन आदेशों की अवहेलना करते हुए यातायात को अवरुद्ध करने वाले बनाए जा रहे हैं।
18 जनवरी 2013 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने ट्रैफिक व्यवस्था सुधार के लिए बड़ा फैसला लिया कि अब किसी महापुरुष की प्रतिमा को बीच सड़क तिराहे या चौराहे पर स्थापित करने की अनुमति नहीं मिलेगी। चौराहों पर प्रतिमाओं के कारण पीक ऑवर्स में ट्रैफिक जाम हो जाता है। इससे लोगों का काफी समय बर्बाद होता है। अब तिराहों और चौराहों पर प्रतिमा स्थापना के लिए किसी को भी अनुमति नहीं मिलेगी। प्रतिमा स्थापना को लेकर स्पष्ट कहा गया है कि तिराहों, चौराहों के बीच इन्हें स्थापित करने से ट्रैफिक में समस्या आती है और भविष्य में यदि सड़क का विस्तार करना हो तो इसमें प्रतिमा होने से विवाद की आशंका बनती है।


उच्चतम न्यायालय एवं सरकार के फैसले के बाद एवं विरुद्ध ग्वालियर के अधिकांश चौराहों पर बड़े आकार में ऊंची ऊंची स्मारकों के साथ निर्माण कार्य लगातार जारी है। संपूर्ण भारतवर्ष के इकलौते ग्वालियर में ही इस तरह के चौराहे देखे जा सकते हैं जिसमें चौराहे के किसी भी तरफ की रोड से सामने का दृश्य (विजुअल) देखा नहीं जा सकता। साफ शब्दों में इन्हें अंधे चौराहे बोला जाना मुनासिब होगा। यातायात को पूर्णता अवरुद्ध करने वाले स्मार्ट शहर ग्वालियर के ये चौराहे सौंन्दर्यीकरण नहीं बल्कि दुर्घटना के प्रतीक बने हुए हैं। जिसमें मुख्य रूप से फूलबाग ,अचलेश्वर, इंदरगंज,गोले का मंदिर, पुरानी छावनी,हुरावली,बारादरी आदि चौराहे शामिल है।