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 बॉर्डर पर आरटीओ करा रहे हैं असामाजिक तत्वों एवं प्राइवेट कटरों से अवैध वसूली.

पुलिस की नकली वर्दी में तो कहीं मुंह बांध कर की जा रही है वसूली..
एंट्री के नाम पर लिए जा रहे हैं एक से पांच हजार रुपए..

ब्रजराज एस तोमर, भोपाल। मध्य प्रदेश के ड्राइवरों एवं गाड़ी मालिकों ने सोचा था कि चेक पोस्ट बंद हो जाएंगे तो राहत मिलेगी मगर यह क्या, पहले तो चारदीवारी में वसूली होती थी लेकिन अब तंबू लगाकर काम धड़ल्ले से चल रहा है। अधिकांश आरटीओ एवं कर्मी मार्च में टारगेट पूरा करने के बहाने बेलगाम भूखे भेड़ियों की तरह ड्राइवरों का शिकार करने में जुटे हुए हैं। मार्च का महीना चल रहा है तो क्या ड्राइवर एवं गाड़ी मालिकों के बच्चे भूखे मर जाए?

भले ही मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा जुलाई में परिवहन चेक पोस्टों को बंद कर दिया हो और तथाकथित लागू हुए इस गुजराती मॉडल की केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अनुकरणीय पहल बता रहे हो मगर सच्चाई इससे बिल्कुल परे है। अवैध वसूली के मामले में प्रदेश के हालात अब पहले से भी बद्तर होते नजर आ रहे हैं। ड्राइवरों का कहना है कि बॉर्डर ही अच्छे थे वहां पर 500-600 रु में ये मान जाते थे मगर अब तो हजार-दो हजार भी इनके लिए कम पड़ते हैं जहां तक कि चालान की धमकी देकर 5 हजार तक वसूल लिए जाते हैं।

युग क्रांति की पड़ताल के नतीजे..

युग क्रांति द्वारा की गई पड़ताल एवं खुफिया निरीक्षण के दौरान ये स्थिति उजागर हुई कि रीवा जिला की हनुमना चैक पोस्ट पर मार्च के महीने में तंबू लगाकर अंधाधुंध वसूली करते तथाकथित “कुछ परिवहन कर्मी ₹5000 की एंट्री मांग रहे हैं। वाहन चालक गिड़गड़ा रहा है कि ₹1500 हमेशा देकर जाते हैं तो वह बोलता है कि हजार रुपए तो नॉर्मल का है इसमें सामान बहुत ज्यादा है, चिक चिक मत कर, नहीं तो चालान कटवा”।
सागर जिला के माल्थोन बेरियल पर रास्ता बंद करके दूसरी तरफ कांटे से जवरिया गाड़ी निकली जा रहीं है और बोला जा रहा है कि चेक पोस्ट दोबारा स्टार्ट हो गई। यहां पहले भी यही वसूलीकर्ता तथाकथित परिवहन कर्मियों द्वारा ड्राइवर के सिर फोड़ने की घटना सामने आ चुकी है।                                      बड़वानी जिला के महाराष्ट्र बॉर्डर पर स्थित सेंधवा बॉर्डर पर बेरियल लगा लगाकर प्रत्येक गाड़ी से 2000 एंट्री ली जा रही है। हरेक गाड़ी से यह बोलकर दादागिरी से वसूली की जा रही है कि यदि कोई ड्राइवर बराबर पैसा नहीं देता तो 10-10 हजार रुपए का चालान होगा। इसी तरह चिरूला, सिकंदरा बेरियल सहित अन्य जिलों के बोर्डेरा पर भी इस तरह की छुटपुट वारदातें देखी जा सकती हैं।
युग क्रांति द्वारा की गई गहन पड़ताल से पता चल रहा है कि अधिकांश बॉर्डर अथवा बेरियल पर जो लोग स्वयं को परिवहन विभाग का कर्मचारी बात कर एंट्री ले रहे है वे शासकीय कर्मचारी तक नहीं है सभी के सभी क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी एवं प्रभारी अधिकारी (आरटीआई/टीएसआई) के निजी कटर और दलाल है, चाहे भले ही वह पुलिस की वर्दी में क्यों ना हो। विश्वस्त सूत्रों की माने तो कई चेकिंग पॉइंटों पर अन्य जिलों से जिला बदर के रूप में निष्कासित कुछ असामाजिक एवं आपराधिक तत्व भी इस वसूली अभियान में कार्यरत है। पूंछे जाने पर संबंधित सक्षम परिवहन अधिकारियों की चुप्पी इस अवैध वसूली की पुष्टि करती है।

गुजरात मॉडल पर लागू हुए इस सिस्टम से परिवहन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी शुरुआत में तो निष्प्राण सा महसूस कर रहे थे मगर जैसे-जैसे नए प्रयोग में घुसते जा रहे हैं उतने ही खुद को पहले से अधिक समृद्धिशाली एवं निष्कंटक पा रहे हैं। जहां एक ओर दूर के ढोलों में अथवा नए प्रावधानों में चेक पोस्ट बंद होने का राग अलाप हो रहा है मगर वसूली अभियान जारी है तो वही दूसरी ओर इन चेकिंग पॉइंटों पर औचक निरीक्षण का खतरा भी नहीं रहने से ये और बेलगाम हो गए हैं। क्योंकि चेकिंग के लिए पहले की तरह अब कोई निर्धारित स्थान नहीं है।


कहावत में सच्चाई है कि जिस जानवर के दांतों में खून लग जाता है वह कभी भी शिकार नहीं छोड़ सकता, इसे शिकार छुड़ाना व्यर्थ का प्रयास है। इन हालातों में नितिन गडकरी जी को प्रदेश के इन बेरियलों की जमीनी हकीकत को देखना चाहिए और मोहन सरकार को या तो अवैध वसूली करता हूं के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करनी चहिए अथवा जुलाई में लिए गए अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। क्योंकि इस खोकली आदर्श प्रणाली से जहां एक ओर सरकार को मिलने वाले राजस्व में लगातार कमी आरही है और वही दूसरी ओर ड्राइवरों अथवा वाहन मालिकों को भी दूर-दूर तक राहत मिलती नजर नहीं आ रही है।