hacklink al
jojobet girişjojobetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobet girişjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişholiganbetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişholiganbetholiganbet girişpadişahbetpaşacasinograndpashabetjojobetjojobet girişcasibom girişcasibom girişcasibom girişcasibom girişkralbetkingroyalmatbetmatbet girişmatbet güncel girişmatbetmatbet girişmatbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbet girişnakitbahisnakitbahis girişnakitbahisnakitbahis girişnakitbahisnakitbahis girişmatbetmatbet girişcasibomcasibom girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişcasibomcasibom girişjojobetjojobet girişpusulabetpusulabet giriş

विद्युत की शून्य योग्यता वाले उपयंत्री पर पुलिस हाउसिंग में कई संभागों के परियोजना यंत्री (विद्युत) का जिम्मा

मैकेनिकल इंजीनियरिंग से डिप्लोमाधारी उपयंत्री संदल का मूल विभाग पीडब्ल्यूडी..

सामान्य प्रशासन के नियम विरुद्ध 17 वर्षों से पुलिस हाउसिंग में काबिज है..

भोपाल 02 अगस्त 2025। यूं तो मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन को भ्रष्टता एवं तमाम गड़बड़ घोटाला के हैरतंगेज कारनामों के लिए महारत हासिल है जहां एक दैनिक वेतनभोगी महानिदेशक रैंक के पुलिस अधिकारीयों को उंगलियों पर नचाता आया है। यही एक अजूबा विभाग है जहां शून्य योग्यता का पूर्णतया अपात्र व्यक्ति किसी भी पद पर काबिज हो सकता है। यहां अन्य विभाग से प्रतिनियुक्ति पर कोई भी गैर जरूरी व्यक्ति तमाम नियमों को ताक पर रखकर न सिर्फ चिरकालीन सेवा दे सकता है बल्कि बड़ी से बड़ी जिम्मेदारियां से उसे उपकृत भी किया जाता है, बशर्ते वह तमाम तरह की अनियमित्ताओं के लिए तकनीकी विशेषज्ञ हो। जिस पर कारपोरेशन के नए आदेश ने और चार चांद लगा दिए हैं।

यह मामला है लोक निर्माण विभाग से प्रतिनियुक्ति पर पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन में आए मैकेनिकल के डिप्लोमाधारी उपपुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन यंत्री केके संदल का, जो पुलिस हाउसिंग में कई संभागों का परियोजना यंत्री (विद्युत) बन बैठा है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग से डिप्लोमा पास करके यह लोक निर्माण विभाग में भर्ती हुआ और सन् 2008 में प्रतिनियुक्ति पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन में पदस्थ हुआ। सामान्य प्रशासन के सेवा नियमानुसार किसी भी विभाग में प्रतिनियुक्ति पर सेवा की अधिकतम अवधि 4 वर्ष है फिर भी इस शख्स का 17 सालों से यही टिका है। यहां बड़ा सवाल है कि पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन की किस आधोसंरचना के विकास में मैकेनिकल की योग्यता के इंजीनियर की जरूरत थी जो इसे यहां प्रतिनियुक्ति दी गई ? विभाग के वरिष्ठ प्रबंधन की आंखों में धूल झोंकते हुए प्रदेश के तकनीकी प्रमुख जेपी पश्तोर ने सोची समझी योजना के अंतर्गत इसे किराए के वाहनों की देखरेख की जिम्मेदारी दी, जहां इन्होंने अपनी तथाकथित तकनीकी योग्यता का इस्तेमाल कर करोड़ों का किराया घोटाला कर डाला। इस कारनामे के उपरांत संदल को विद्युत कार्यों के पर्यवेक्षण हेतु परियोजना यंत्री (विद्युत) के रूप में नवाजा गया। यहां फिर से एक बड़ा सवाल पैदा होता है कि मैकेनिकल की योग्यता वाला डिप्लोमाधारी व्यक्ति विद्युत संबंधी कार्यों का कैसा पर्यवेक्षण करेगा ?

इसके बावजूद चार दिन पूर्व कारपोरेशन के अध्यक्ष सह-प्रबंध संचालक द्वारा जारी आदेश में केके संदल को भोपाल मुख्यालय के आवंटित कार्यों के अतिरिक्त इंदौर संभाग एक व दो तथा संभाग उज्जैन के परियोजना यंत्री (विद्युत) का प्रभार सौंपा जाना हैरत में डालने वाला निर्णय है। इसी सटीक तारतम्य में कॉर्पोरेशन की मौजूदा अध्यक्ष सह प्रबंध संचालक से सवाल है कि आवश्यकता पड़ने पर क्या वह अपनी किसी बीमारी का इलाज वेटरनरी डॉक्टर से करवाएंगे ? यदि हां तो के के संदल को यह जिम्मेदारी उचित है अन्यथा नहीं।

हम तो डूबेंगे ही सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे..

केके संदल पुलिस हाउसिंग का दूसरा जनार्दन सिंह हो रहा है।

जिसे लोक निर्माण विभाग (मूल विभाग) में कई बार वापस बुलाया था मगर कारपोरेशन के अध्यक्ष/ प्रबंध संचालक की चाहत ने जनार्दन को रोके रखा और जब इसने भ्रष्टता को चरम पर पहुंचा दिया तब अंततः लोकायुक्त ने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए (जनार्दन-हेमा मीना कांड) इसे निलंबित एवं हेमा मीणा की सेवा समाप्त की थी।

नियमों को ताक पर रखते हुए संडल का 17 साल तक प्रतिनियुक्ति पर बना रहना एवं विद्युत की शून्य योग्यता के बावजूद इसे लगातार परियोजना यंत्री (विद्युत) के प्रभारों से नवाजा जाना पस्तोर की गहरी चाहत को तो दर्शाता ही है साथ ही कारपोरेशन के मुखिया को भी चाहत के घेरे में खड़ा करता है। इतने सालों से आखिरकार मूल विभाग (pwd) किस बात के प्रतीक्षा कर रहा है जबकि उनके पास भी इसे स्टैंड रिलीव करने का अधिकार सुरक्षित है। तो डूबेंगे सनम..तुम्हें भी ले डूबेंगे  की तर्ज पर जैसे जनार्दन सिंह हेमा मीणा को ले डूबे, अब यहां संदल किसे लेकर डूबेंगे यह देखने वाली बात है ! फिलहाल यह साफ जाहिर कि पुलिस कॉर्पोरेशन का इंजीनियर कैडर मैनेजमेंट पूर्णतः ध्वस्त हो चुका है इसीलिए इसके इंफ्रास्ट्रक्चर का विध्वंस होता जा रहा है। जिस पर अंकुश लगाने में यदि कारपोरेशन के अध्यक्ष सक्षम नहीं हैं तो प्रदेश के जन मुखिया (मुख्यमंत्री) डॉ मोहन यादव को एक्शन मोड आकर संज्ञान लेना चहिए क्योंकि यह मामला विभाग में किसी की बपौती का नहीं बल्कि आमजन एवं उसकी सरकार के पैसे का है।

संदल के काले कारनामों का खुलासा.. अगले एपिसोड में