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जबलपुर फ्लाईओवर निर्माण में सीई ने लगाया शासन को करोड़ों का चूना

अनुबंध की शर्तों के विपरीत ठेकेदार को अनचाहा लाभ दिलाने के लिए दी 16 करोड़ की अतिरिक्त मंजूरी..

भोपाल 11 अगस्त 2025। खुद को मप्र शासन के लोक निर्माण विभाग के मंत्री राकेश सिंह की नाक का बाल बताने वाले जबलपुर सर्कल के लोनिवि के मुख्य अभियंता वर्मा का सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें उन्होंने ठेकेदार कंपनी को अनचाहे लाभ दिलाने के लिए अनुबंध की शर्तों एवं शासन के नियमों को ताक पर रख कर फ्लाई ओवर ब्रिज पर विद्युत सौन्दर्यीकरण के नाम पर 16 करोड़ राशि के अनुपूरक शेड्यूल को मंजूरी दी।

ज्ञात हो कि जबलपुर में फ्लाईओवर निर्माण कार्य 667 करोड़ लागत के साथ स्वीकृत हुआ था जिसे तीन वर्ष में पूरा किया जाना है हालांकि यह काम पूर्णतया की ओर है। लोक निर्माण विभाग मध्यक्षेत्र (जबलपुर सर्कल) के मुख्य अभियंता आरएल वर्मा ने इस कार्य के अंतर्गत अनावश्यक एवं गैर तकनीकी तरीके से ब्रिज पर सौंदर्यीकरण के नाम पर 16 करोड़ रुपए का कार्य अनुबंध अनुपूरक कार्य के रूप में एनसीसी (ठेकेदार फर्म) को स्वीकृत कर दिया। साथ ही प्रस्ताव में यह लिख दिया कि यह स्वीकृति मंत्री जी की इच्छा के अनुसार दी जा रही है, जबकि नियमों के अंतर्गत बिना नोटशीट के किसी भी मंत्री जी की इच्छा बिल्कुल मायने नहीं रखती ।सूत्रों की माने तो अनुबंध की शर्तों के अंतर्गत उल्लिखित है कि “डेकोरेटिव लाइट्स कार्यों के लिए कोई मूल्य नहीं दिया जाएगा, इस कार्य में लगे हुए आइटम्स पर हुए खर्च का समावेश अन्य आइटमों की दरों से किया जावेगा”। आवश्यक एवं न्यूनतम विद्युत सौंदरीकरण का समावेश मूल अनुबंध में “फ्री ऑफ कॉस्ट” करना समाविष्ट था। इसके बावजूद बिना गहन परीक्षण के एनसीसी को उपकृत करने के लिए से ऐसा किया गया।

फ्लाई ओवर का यह कार्य ओपीसी मोड का है जिसके अंतर्गत सप्लीमेंट्री शेड्यूल को मंजूरी देने से पूर्व मूल शेड्यूल आइटम निर्धारित करने वाली टेक्निकल कमेटी की अनुशंसा अनिवार्य है मगर सीई वर्मा ने इस नियम की परवाह न करते हुए निजी स्वार्थ के चलते इसकी खुद ही मंजूरी दे दी। ये कार्य एनसीसी को आवंटित जरूर हुआ है मगर इस कार्य का जिम्मा पेटी कांटेक्ट पर इंदौर की निरा कंपनी को सोपा गया है जबकि कार्य की अहमियत अनुसार पेटी कॉन्टैक्ट पूर्णतया गलत है जो अनुबंध की शर्तों के 100% विपरीत है। क्योंकि निविदा अनुरूप पेट कॉन्टैक्टर की क्षमता न होने की वजह से इसके द्वारा गुणवत्ता के मानदंड बरकरार रखना कतई संभव नहीं है।

इस फ्लाई ओवर की रोशन सज्जा में देसी- विदेशी लाइटों रूप मे 16 करोड रुपए खर्च होना कितना मुनासिब एवं हैरत अंगेज है ! फिर भी यदि इस ब्रिज पर दिवाली मनाने के रूप में फिजूल खर्ची का शौक अनिवार्य था तो इसकी अलग से निविदा आमंत्रित करके प्रतिस्पर्धा कराई जा सकती थी, ऐसी स्थिति में यह कार्य मात्र 5 करोड रुपए में पूर्ण हो जाता। ऐसा माना जा रहा है कि बढ़ाई गई 11 से 15 करोड़ की इस राशि का बड़े स्तर पर बंदर बांट हो रहा है। सूत्रों के हवाले से यह भी ज्ञात हुआ है कि अभी तक जो निर्माण कार्य मात्र 50 लाख रुपए का हुआ है उसके विरुद्ध वर्मा द्वारा 7 करोड रुपए का भुगतान किया जा चुका है।

ध्यान आकर्षण की जवाबदेही से बचने की पुरजोर कोशिश..

सूत्र अनसार विधानसभा के इसी सत्र के दौरान इस मामले पर लगाए गए ध्यान आकर्षण से बौखलाए हुए मुख्य अभियंता वर्मा एवं कार्यपालन यंत्री शिवेंद्र सिंह ने भोपाल में डेरा डाला और लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह एवं मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर से इस ध्यान आकर्षण पर जवाब देने से बचाने की तमाम गुजारिशें की। सूत्रों की माने तो अभियंतागणों की सौजन्यता से भरी इस गुजारिश ने फिलहाल तो इस मामले पर धूल डाल दी है मगर प्रदेश के सजग एवं संवेदनशील मुखिया डॉ मोहन यादव की आंखों में धूल झोंकना बिल्कुल मुनासिब नहीं लगता, जिन्होंने हाल ही में भोपाल ब्रिज के 90 डिग्री एंगल कांड में कई इंजीनियरों को सबक सिखाया है।

जबलपुर फ्लाईओवर परस्पर विरोधाभास में इनका कहना है..

यह कार्य हमारे यहां ई एंड एम के कार्यपालन यंत्री पड़वार देख रहे, इसलिए सब उन्ही की जानकारी में है... आरएल वर्मा, मुख्य अभियंता, जबलपुर

यह कार्य ईपीसी मोड का है इसलिए कार्य संबंधी अनुबंध, वर्क आर्डर, मेजरमेंट, बिलिंग इत्यादि सभी के लिए सीई साहब अधिकृत है, हमारे यहां से किसी तरह का अनुबंध संपादित नहीं किया गया और न ही कोई बिल क्योंकि यह सभी दायित्व सीई के पास हैं। हल्की-फुल्की मॉनिटरिंग का दायित्व हमारे पास है..प्रदीप पडवार, कार्यपालन यंत्री (ईएंडएम) जबलपुर

लोनिवि मंत्री राकेश सिंह से मुलाकात पर चर्चा शेष है।

* एडी के नाम पर करोड़ों के फर्जी भुगतान.., किन-किन सेक्शनों को हासिल है यह महारत… ग्वालियर का सनसनी खेल खुलासा आगामी अंकों में