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एमपीबीडीसी मुख्यालय द्वारा एजीएम डोंगरे के साथ सौतेला व्यवहार ?

खबर के दबाव में दूसरे अधिकारी के कक्ष में बैठने का किया बेतुका आदेश..

डोंगरे ने आदेश को अस्वीकार करते हुए मूलत: वापस किया..

भोपाल- ग्वालियर 18 अगस्त 2025। मध्य प्रदेश भवन विकास निगम भ्रष्टता के साथ-साथ आजकल वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किए जा रहे असंगत एवं दुर्भावनापूर्ण व्यवहार के आरोपों- प्रत्यारोपों के मामले में सुर्खियां बटोर रहा है।

इस क्रम में शनिवार को युगक्रांति द्वारा प्रकाशित खबर “बिना कुर्सी टेबल के चलता है मप्र विकास निगम ग्वालियर का कार्यालय.. जिसके अंतर्गत सहायक प्रबंधक सतीश कुमार डोंगरे ने वरिष्ठ अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए बताया कि पिछले 1 साल से जमीन पर बैठकर ऑफिस का काम कर रहा हूं। साथ ही प्रबंध निदेशक सी वी चक्रवर्ती एवं मुख्य महाप्रबंधक राजकुमार त्रिपाठी इस आरोप को निराधार बताते हुए असंगत तर्क दे रहे हैं।

युगक्रांति द्वारा प्रकाशित खबर एवं संपादक बृजराज एस तोमर द्वारा इन वरिष्ठ अधिकारियों से वार्तालाप के चलते मुख्यालयभवन विकास निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर आज ग्वालियर उप महाप्रबंधक अच्छे लाल अहिरवार ने एक बेतुका आदेश जारी किया है। पत्र क्रमांक 1670/एमपीबीडीसी/ ग्वालियर दिनांक 18. 8.2025 के माध्यम से आदेशित किया है कि संभाग ग्वालियर में पदस्थ सहायक महाप्रबंधक सतीश कुमार डोंगरे को शासकीय कार्य के संपादन हेतु मध्य प्रदेश भवन विकास निगम संभाग ग्वालियर का कक्ष क्रमांक 2 एग्जीक्यूटिव टेबल कुर्सी सहित आवंटित किया जाता है।

जबकि यह कक्ष पहले से ही समकक्ष अधिकारी अक्षय गुप्ता को नामित/आवंटित है। लिहाजा डोंगरे ने इस आदेश को अस्वीकार करते हुए आदेश के प्रत्युत्तर में लिखा है “चूंकि उक्त कक्ष एवं टेबल कुर्सी पूर्व में मेरे साथी समकक्ष अक्षय गुप्ता को आवंटित है। मीडिया में खबर प्रकाशित होने के कारण आनंन-फानन में मेरे साथी का फर्नीचर मुझे दिया जा रहा है, जिसके कारण अब तक जो असुविधा मुझे हुई वहीं अब सहा. महाप्रबंधक गुप्ता को होगी। उक्त कृत्य के जिम्मेदार अमरेश सिंह प्रबंधक (मंसा.एवं प्रशा.) है जिन्होंने मेरे साथ भेदभाव पूर्ण कार्रवाई करते हुए 18 महीने से फर्नीचर उपलब्ध नहीं कराया। इसलिए इस कृत्य के लिए जब तक श्री अमरेश सिंह के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जावेगी तब तक मैं पूर्व की भांति जमीन पर ही बैठकर कार्य करूंगा क्योंकि इससे मेरे मान- सम्मान, जाति, समाज एवं पद की गरिमा की उपेक्षा हुई है”।

इस आदेश से यह साफ जाहिर होता है कि डोंगरे पासपास बैठने के लिए टेबल कुर्सी नहीं थी और कहीं ना कहीं किसी अंदरुनी राजनीति का वह अहम हिस्सा जरूर है। जिसके तह तक जाने के लिए युग क्रांति की पड़ताल जारी है।

इस खबर पर हुआ असर

बिना कुर्सी टेबल के चलता है म प्र विकास निगम ग्वालियर का कार्यालय