फ्रंट रोड के लेवल से काफी नीचा है भवन का प्लिंथ लेवल..
भोपाल 29 अगस्त 2025। म प्र पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन द्वारा घटिया निर्माण के चलते स्ट्रक्चर अथवा उसके हिस्से का गिरना, भवनों का डूबना कोई नई बात नहीं है। इसी क्रम में एक ताजा मामला सामने आया है जिसके अंतर्गत अब रेलवे का सहयोगी विभाग जीआरपी भी इसके शिकार से अछूता नहीं रहा है।
तकरीबन एक करोड़ की लागत से शिवपुरी में बन रहा जीआरपी थाना अभी से ही पानी में डूबा हुआ है। वीडियो/ फुटेज अथवा मौका मुआयने में साफतौर पर देखा जा सकता है कि निर्माणाधीन थाना के इस भवन का प्लिंथ लेवल फ्रंट रोड से कई फुट नीचे है जबकि नियमानुसार सामने वाली रोड से भवन का प्लिंथ लेवल 20 -36 इंच ऊंचा होना चाहिए। बता दें कि इस भवन की आधारशिला से लेकर वर्तमान स्थिति तक यह पूरा कार्य मुख्य अभियंता जेपी पश्तोर की निगरानी में, हाल में सेवानिवृत हुए परियोजना यंत्री नरेश शर्मा द्वारा ठेकेदार जितेंद्र राजपूत से कराया जा रहा है। मैन्युअल अनुसार फाउंडेशन एवं प्लिंथ लेवल का निर्धारण मुख्य अभियंता का जिम्मा है। सूत्रों की माने तो इस भवन के पानी में डूबने की शिकायत को लेकर मुख्य अभियंता पश्तोर ने जुलाई में साइड का निरीक्षण करते हुए इस लेवल को एक फुट ऊंचा करने के निर्देश दिए हैं।
विशेषज्ञ की माने तो प्लिंथ के लेवल को सिर्फ 30 इंच अर्थात एक फुट ऊंचा करना कोई सॉल्यूशन नहीं है क्योंकि रोड के लेवल से वर्तमान भवन का प्लिंथ कम से कम 2 फीट (24 इंच) नीचे है। जबकि सामने की रोड के लेवल से भी इसका लेवल 20 से 36 इंच ऊंचा रखना चाहिए ताकि सीवर और अन्य ड्रेनेज सिस्टम सुचारू रूप से काम कर सके। लिहाजा प्रारंभिक तौर पर सही सॉल्यूशन तो प्लिंथ के तीन-चार फुट ऊंचा करने पर निकलेगा।
इसमें दूसरा अहम मसला यह है कि अप्रूव्ड ड्राइंग के अनुसार भवन के फ्लोर से छत की हाइट 3.60 मी होनी चाहिए और जब प्लिंथ का लेवल यहां उठाया जाएगा तो इस लेवल के उठने से उतनी ही ग्राउंड फ्लोर की हाइट घट जाएगी। जिससे उसमें लगी खिड़कियां एवं दरवाजा की व्यवस्था भी अस्त-व्यस्त होगी।
अब आखिरकार इसका समाधान क्या निकलेगा यह तो देखने वाली बात है, अथवा खानापूर्ति करके हमेशा की तरह इस थाने को भी अपने हाल पर छोड़ दिया जाएगा और फिर पूरे समय जीआरपी थाने के अधिकारी एवं कर्मचारीगण पुलिस हाउसिंग की इस बेगार को भोगते रहेंगे। फिलहाल यह ममला रेलवे एवं संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाया जा चुका है।