संबंधित को दी गई टारगेट के साथ जम्मेदारी…
भोपाल 12 सितंबर 2025। म प्र भवन विकास निगम में वर्ष 2022 से 2025 तक कभी भी एक साथ उपमहाप्रबंधक एवं ठेकेदार को मुख्यालय बुलवाकर समीक्षा बैठक नहीं हुई लेकिन अमरकंटक में हुई माननीय की मीटिंग के बाद से ही डीजीएम एवं ठेकेदारों की आपातकाल जैसी बैठक का बुलाना बड़े सवाल खड़ा करता है, कहानी समीक्षा बैठक की आड़ में करोड़ों रुपए के कलेक्शन प्लान की तो नहीं!
प्रमुख अभियंता अनिल श्रीवास्तव की संविदा सेवा 30 सितम्बर तक हैं। निगम में अपना अनुबंध कार्यकाल एक साल बढ़ाने के लिए संभाग के उपमहाप्रबधक और ठेकेदारों को करोड़ो रुपए कलेक्शन का टारगेट दिया जाना सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है। कुछ ठेकेदारों एवं सूत्रों की माने तो मुख्यालय में पदस्थ अधिकारियो एवं कर्मचारियों में भी दबी जुबान पर यह चर्चा है कि अनिल श्रीवास्तव प्रमुख अभियंता द्वारा अपनी संविदा सेवा की अंतिम एक साल बढ़ाने के लिए माननीय एवं मंत्रालय के अधिकारियो को लगभग 8 करोड़ों रुपए का चढ़ावा इसी महीने देना तय हुआ है! श्रीवस्ताव बंधु द्वारा 10 तारीख को अमरकंटक मीटिंग में कुछ चढ़ावा टोकन के रुप में दिया गया और बांकी 25 तारिख तक दिये जाने का वादा किया गया है।
करोड़ो का कलेक्शन करने की योजना को अंजाम देने के लिए इसे शासकीय रूप देकर बाकायदा एक आदेश क्रमांक 6591/एमपीबीडीसी/2025 दिनांक 10/09/2025 जारी किया गया है। जिसमे दिनांक 19/09/2025 से 23/09/2025 तक निगम अंतर्गत प्रदेश के समस्त 13 संभागों में कार्यरत उपमहाप्रबंधक एवं ठेकेदारों को अलग-अलग दिनांकों में बुलाकर समीक्षा बैठक की आड़ में करोड़ों रुपए का कलेक्शन भोपाल में किया जाना तय किया गया है। श्रीवास्तव टीम द्वारा प्रदेशभर में संविदा पर पदस्थ सभी उपमहाप्रबंधकों पर ज्यादा दबाव बनाया गया है क्योंकि जो नहीं सुनेगा उसकी संविदा सेवा समाप्त करना इनके लिए बाए हाथ का काम है। इनके द्वारा एडवांस कार्य एवं फर्जी मेजरमेंट बिल का भुगतान विगत 02 माह से फुल प्लॉनिंग के तहत किया गया है ऐसी चर्चा लगातार हो रही है।
टारगेट के साथ किनको मिली क्या जिम्मेदारी..
सूत्रों, ठेकेदारों एवं कार्यालय चर्चा से प्राप्त जानकारी अनुसार इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाने की मुख्य भूमिका में दोनों महाप्रबंधक अजय श्रीवास्तव व नितिन गोले शामिल है। इन्हीं की जिम्मेदारी में कलेक्ट किया सारा धन इनके रहवास के आलावा अन्य फ्लैट में इन्हीं की जिम्मेदारी में रखा जाएगा और दूसरे दिन सारा माल ठिकाने पर पहुंचा दिया जायेगा। रूपयों को बिस्कुट का नाम भी दिया गया है। निर्धारित टारगेट में संभाग के उप महाप्रबंधको में पहला नंबर निशांत पचौरी उज्जैन व राघवेंद्र सिंह किरार का है। ये 1-1 करोड़ रूपए मेडिकल कालेज उज्जैन एवं मेडिकल कॉलेज बुधनी एवं अन्य निर्माण कार्य से वसूल कर जमा करेंगे और फिर राजकिरण सोलिया बड़वानी से 50 लाख, प्रभारी उप महाप्रबंधको में चंद्रमणि मिश्रा छतरपुर से 1 करोड़, ललित चौधरी खंडवा से 50 लाख, अजय ठाकुर रीवा से 1 करोड़ रुपए एवं शेष संभागों से भी 25 से 50 लाख का टारगेट दिया है, जिसमे से कुछ लगभग पूरा भी किया जा चुका है ! तभी तो महाशय ने अपनी फाइल मंगलवार को मंत्रालय में एक्सटेंशन के लिए पहुंचवा दी है।
देखना यह होगा कि ख़बर के प्रकाशित होने के बाद EOW, लोकायुक्त, एंटी करप्शन ब्यूरो, शासन, प्रशासन क्या कार्यवाही करता है ? क्या इनके मास्टर प्लान पर अंकुश लग पाएगा अथवा ये अपनी योजना में कामयाब हो जाएंगे।