अग्रवाल के अभूतपूर्व स्वागत ने ग्वालियर पूर्व की सियासत में नए समीकरणों की सुगबुगाहट तेज..
युगक्रांति का विशेष आलेख
भोपाल, 4 नवंबर 2025। राज्य के राजनीतिक गलियारों में विभिन्न मुद्दों और सामयिक विषयों पर चर्चा होना आम बात है, लेकिन हाल ही में हुए एक आयोजन ने प्रदेश की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल द्वारा पुनः प्रदेश मीडिया प्रभारी नियुक्त किए गए आशीष अग्रवाल के ग्वालियर आगमन पर हुआ भव्य स्वागत अब प्रदेशभर में चर्चा का विषय बन गया है।
परंपरागत रूप से भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी का दायित्व वरिष्ठ पत्रकारों को सौंपती रही है। पूर्व में प्रभात झा और वर्तमान मंत्री लोकेन्द्र पाराशर जैसे नाम इसी परंपरा के उदाहरण रहे हैं। लेकिन इसके विपरीत, वर्तमान प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल पत्रकारिता से अलग एक व्यवसायिक परिवार से संबंध रखते हैं। इसके बावजूद उन्होंने अपने कार्यकाल में पार्टी की मीडिया टीम को नए आयाम दिए और संगठन के प्रचार-प्रसार को प्रभावी दिशा दी — यही कारण है कि पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है।
31 अक्टूबर को पुनर्नियुक्ति के बाद जब आशीष अग्रवाल अपने गृह नगर ग्वालियर पहुँचे, तो शहर की सड़कों पर कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी। बैंड-बाजों की धुन और जगह-जगह लगे स्वागत द्वारों ने इस आयोजन को राजनीतिक और सामाजिक चर्चा का केंद्र बना दिया। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह का उत्साह और जनसमर्थन ग्वालियर की धरती पर किसी बड़े नेता को भी हाल के वर्षों में नसीब नहीं हुआ।
इस भव्य स्वागत को लेकर भाजपा के आंतरिक एवं सियासी गलियारों में भी हलचल तेज है। कहा जा रहा है कि यह रैली ग्वालियर पूर्व विधानसभा के भावी राजनीतिक समीकरणों की दिशा तय कर सकती है। जहां एक ओर मुन्नालाल गोयल अब तक इस क्षेत्र से भाजपा के प्रमुख दावेदार रहे हैं, वे भी अग्रवाल की ही तरह बैश्य समाज से आते हैं, वहीं दूसरी ओर यह माना जा रहा है कि अब इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के लिए आशीष अग्रवाल को नज़रअंदाज़ करना आसान नहीं होगा।
भाजपा की अंदरूनी गुटीय राजनीति के संदर्भ में आशीष
 अग्रवाल मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर गुट से और मुन्नालाल गोयल केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिया खेमे से माने जाते हैं। भले ही ग्वालियर पर्व विधानसभा में कांग्रेस विधायक डॉ सतीश सिकरवार के समक्ष- एक सक्षम और कद्दावर नेता है मगर बदलते समीकरण के साथ करवट लेती सियासत में यदि भाजपा कैंडिडेट परवर्तन और युवा प्रत्याशी पर विचार करती है तो आशीष अग्रवाल का नाम न सिर्फ इन दोनों माइनों में सटीक है बल्कि विधानसभा अध्यक्ष तोमर की दलगत भावना को भी संबल प्रदान करता है।
हालाँकि विधानसभा चुनावों में अभी लगभग दो वर्ष शेष हैं, फिर भी “युगक्रांति” द्वारा कराए गए जनमत सर्वेक्षण में यह स्पष्ट रूप से सामने आया है कि ग्वालियर-पूर्व विधानसभा के भाजपा समर्थकों के बीच आशीष अग्रवाल का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है और संभावित टिकटार्थियों में उनका पलड़ा भारी दिखाई देता है।
