रेलवे नियमों का खुला उल्लंघन, यात्रियों का शोषण !
ग्वालियर, युगक्रांति की विशेष रिपोर्ट । भारतीय रेल के नियमों के अनुसार देश के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को सस्ता और स्वच्छ भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से “जनता थाली” की व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए। इसका संचालन आईआरसीटीसी (IRCTC) या रेलवे द्वारा अधिकृत लाइसेंसधारी वेंडरों के माध्यम से किया जाता है।
युगक्रांति टीम ने पड़ताल में पाया कि ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर यह व्यवस्था नाम मात्र की भी नहीं दिखती। स्टेशन परिसर में वर्षों से संचालित निजी फर्मों जैसे “आर.डी. शर्मा एंड संस” पुरानी फर्मों के पास भी जनता थाली का कोई प्रावधान नहीं है। आरडी शर्मा एंड संस द्वारा प्लेटफार्म -1 पर संचालित भोजनालय के मैनेजर से इस बारे में पूछा तो वह भी जवाब देने से बचता नजर आया। यात्रियों को या तो महंगी थाली खरीदनी पड़ती है या फिर स्टेशन के बाहर सस्ते भोजन की तलाश करनी पड़ती है।
रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुसार जनता थाली का उद्देश्य है कि हर वर्ग का यात्री कम कीमत (₹20–₹50 के भीतर) में पौष्टिक भोजन प्राप्त कर सके। यह सुविधा सभी A, B और C श्रेणी के स्टेशनों पर अनिवार्य मानी गई है। ऐसे में ग्वालियर जैसे बड़े स्टेशन पर इसका न मिलना गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
⚠️ जिम्मेदारी किसकी ?
इस व्यवस्था की प्राथमिक जिम्मेदारी आईआरसीटीसी की होती है, जो स्टेशन पर फूड स्टॉलों का अनुज्ञापन (license) जारी करता है और दर व मेन्यू तय करता है। वहीं स्टेशन प्रबंधक (Station Director/Manager) का दायित्व होता है कि ऐसे स्टॉलों की नियमित जांच कर यह सुनिश्चित करें कि जनता थाली यात्रियों को उपलब्ध हो रही है। मगर यहां तो कुछ और ही चल रहा है? प्राइवेट/अनाधिकृत वेंडर ट्रेनों में खाने के मेनू/पंपलेट सरे आम बताते देखे जा सकते हैं जो स्वयं को आईआरसीटीसी की तरफ से अधिकृत बताते हैं। इन वेंडरों द्वारा वितरित किए जाने वाले आईआरसीटीसी के लोगों लगे मेनू पर थाली की शुरुआती दर ₹120 प्रति थाली अंकित है। इस तरह की पंपलेट को कई ट्रेनों में भी चश्पा हुई देखा जा सकता है। इससे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि कहीं यह प्राइवेट वैंडरों से मिली भगत से इनकी सेल बढ़ाने का तरीका तो नहीं ?
यदि स्टेशन परिसर में जनता थाली जानबूझकर नहीं दी जा रही या स्टॉल संचालक केवल महंगी थालियाँ बेच रहे हैं, तो यह न केवल रेलवे नीति का उल्लंघन है बल्कि यात्रियों के साथ आर्थिक शोषण भी है। हालांकि झांसी डीआरएम अनिरुद्ध कुमार ने इस तरह की अव्यवस्था पर शक्ति भी बरती है, जिसके चलते ग्वालियर स्टेशन पर ओवर चार्जिंग के लिए कुछ स्टालों को शील्ड किया गया है साथ ही कल आगरा और झांसी के बीच में कई अनाधिकृत वेंडर पर कार्रवाई भी की गई।
यात्री बोल रहे हैं_ “हम ठगे जा रहे हैं”
स्टेशन पर ललित तोमर, मनीष शर्मा, फिरोज खान, उपेंद्र अवस्थी हिमांशु राजावत प्रहलाद सिंह तोमर, अरविंद चौहान, अंजली श्रीवास्तव, आनंद त्रिवेदी, योगेंद्र मिश्रा सहित रोज़ाना आने वाले यात्रियों से बातचीत में सामने आया कि
“सस्ती थाली किसी स्टॉल पर नहीं मिलती, सब ₹120-₹150 की थाली ही देते हैं।”
“रेलवे कहता कुछ है, मिलता कुछ और है। हम मज़बूरी में महंगा खाना खरीदते हैं।”
⚖️ क्या यह कार्रवाई होनी चाहिए?
1. आईआरसीटीसी व स्टेशन प्रबंधन से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा जाए कि जनता थाली उपलब्ध क्यों नहीं कराई जा रही।
2. स्टॉल संचालकों के लाइसेंस की समीक्षा की जाए और जिन फर्मों ने प्रावधान का पालन नहीं किया है, उनके अनुज्ञापन नवीनीकरण पर रोक लगे।
3. रेलवे बोर्ड द्वारा जांच टीम गठित कर रिपोर्ट ली जाए कि यह लापरवाही स्थानीय स्तर पर क्यों बरती जा रही है।
4. दोषी अधिकारियों या ठेकेदारों पर वित्तीय दंड व अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही न दोहराई जाए।
युग क्रांति द्वारा तत्काल माँग की गई
जनता थाली सिर्फ एक भोजन योजना नहीं बल्कि यात्रियों के अधिकार से जुड़ा विषय है। यदि रेलवे स्टेशन पर जनता थाली उपलब्ध नहीं है, तो यह सीधे तौर पर आईआरसीटीसी और स्थानीय स्टेशन प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है।
खबर के माध्यम से युगक्रांति भारत सरकार के रेल मंत्रालय से मांग एवं अपील करता है कि वह जिस तरह से “रेलवे” को जनता की सेवा का माध्यम बताता है, उसी के अनुरूप अपनी तत्परता से रेलवे द्वारा अपनी “कथनी को करनी” रूप प्रदान करने के क्रम में इस पर तत्काल एक्शन लिया जाए और जो भी एक्शन हो वह सार्वजनिक किया जाए, ताकि जनता और यात्रियों में रेलवे और मोदी सरकार के प्रति भरोसा कायम बना रहे।
