रेलवे की आंतरिक समीक्षा के बाद अधिकारी बदले, ठेकेदार KPC को कार्य में तेजी लाने के निर्देश
ग्वालियर। ग्वालियर रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास प्रोजेक्ट की प्रगति एक बार फिर चर्चा में है। उपलब्ध विभागीय जानकारी, निरीक्षणों में दर्ज टिप्पणियों और रेलवे की आंतरिक समीक्षा बैठकों के आधार पर यह सामने आया है कि प्रोजेक्ट की रफ्तार अपेक्षा के अनुरूप नहीं रही है।
प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन मुख्य रूप से ठेकेदार कंपनी KPC द्वारा किया जा रहा है, जबकि समग्र जिम्मेदारी रेलवे की है। सूत्रों के अनुसार पिछली प्रगति रिपोर्टों और समीक्षा नोट्स में कार्य गति और गुणवत्ता संबंधी कई बिंदुओं पर टिप्पणी की गई थी लेकिन फिर भी मौजूदा स्थिति में खामियों के दुरुस्त होने की पुष्टि नहीं दिख रही है !
कार्य गुणवत्ता पर उठे सवाल, निरीक्षणों में दर्ज टिप्पणियाँ बनी आधार
रेलवे द्वारा किए गए हालिया निरीक्षणों में, कुछ निर्माण हिस्सों में गुणवत्ता मानकों का अनुरूप न होना, समय-सीमा के पीछे चल रही प्रगति, कार्यस्थल पर प्रबंधन और सुरक्षा उपायों में सुधार की आवश्यकता जैसी टिप्पणियाँ दर्ज की गई थीं।
इन्हीं बिंदुओं के आधार पर यात्रियों की शिकायतें भी लगातार सामने आती रही हैं_अधूरे मार्ग, भीड़भाड़, अस्थायी व्यवस्थाओं की दिक्कतें और ट्रेनों के संचालन पर दबाव।
आंतरिक समीक्षा के बाद यह माना जा रहा है कि प्रोजेक्ट प्रगति को लेकर असंतोषजनक स्थितियों के चलते डिप्टी चीफ इंजीनियर आकाश यादव को हटाकर सुधीर पटेल को नई जिम्मेदारी सौंपी गई है मगर फिर भी यहां का मंजर “जस का तस” है। हालांकि यादव को स्थानांतरित करने का कारण ग्वालियर में लंबे समय से पदस्थ होना भी बताया गया है।
यह बदलाव संकेत देता है कि रेलवे अब प्रोजेक्ट की धीमी गति को हल्के में नहीं ले रहा और उच्च स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
KPC को रेलवे का स्पष्ट निर्देश – प्रगति और गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं
रेलवे के सूत्रों के अनुसार समीक्षा बैठकों में ठेकेदार कंपनी KPC को यह स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि कार्य की गति तत्काल बढ़ाई जाए, निर्धारित गुणवत्ता मानकों का कड़ाई से पालन हो, प्रोजेक्ट टाइमलाइन को प्राथमिकता दी जाए और कार्यस्थल प्रबंधन में सुधार किया जाए
रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया है कि आगे की प्रगति की नियमित मॉनिटरिंग होगी और देरी या कमियों पर जल्द कार्रवाई की जा सकती है।
ग्वालियर की जनता का बड़ा सवाल – वादा किया गया नया स्टेशन कब मिलेगा?
लंबे समय से चल रहे निर्माण और बार-बार बढ़ती समय-सीमाओं से शहर के लोग स्वाभाविक रूप से सवाल उठा रहे हैं। यात्रियों का कहना है कि करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट में इतनी लंबी देरी समझ से परे है। सभी प्लेटफार्म उजड़े पड़े हुए हैं, छाया के रूप में कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं है, पूरे 4 महीने हम लोगों ने बारिश में भीगते हुए ट्रेनों में चढ़ना पड़ा और अभी ना जाने कितनी मौसमों की मार हमें यात्रियों को झेलनी पड़ेगी जबकि हम अपनी सुविधा के लिए पूरा किराया देकर सफर करते हैं। क्या रेलवे हमारे साथ हो रही इस अशुविधा के लिए कोई रियायत बरत रहा है ? यात्रियों के साथ हो रही लगातार असुविधा के लिए किसी को कोई फर्क अथवा खेद नहीं है!
रेलवे के हालिया कदमों से यह उम्मीद जरूर बनी है कि प्रोजेक्ट की गति अब सुधार की ओर जाएगी और ग्वालियर को जल्द ही उसका वादा किया गया आधुनिक स्टेशन मिलने के आसार हैं !
