17 वर्षों से अवैध प्रतिनियुक्ति पर जमे ‘मैकेनिक सब-इंजीनियर’ को सिंहस्थ में विद्युत व्यवस्था देने की योजना..
महानिदेशक/ अध्यक्ष सह प्रबंध संचालक पर लोक निर्माण विभाग को गुमराह करने के आरोप..
भोपाल/उज्जैन। मध्यप्रदेश पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन में नियमों और प्रक्रियाओं को दरकिनार करके वर्षों से चल रही अनियमितता अब उज्जैन सिंहस्थ-2028 जैसी राष्ट्रीय-स्तरीय धार्मिक और भीड़-भाड़ वाली घटना की सुरक्षा पर सीधा खतरा बनकर खड़ी हो गई है। आधिकारिक दस्तावेज़ों, इंजीनियरिंग नोट और पीडब्ल्यूडी द्वारा जारी हालिया आदेश के आधार पर यह तथ्य सामने आया है कि किशोर कुमार संदल, जो मूलतः मैकेनिकल ट्रेड के डिप्लोमा धारक हैं और विद्युत कार्य में तकनीकी रूप से अयोग्य हैं, उन्हें पिछले 17 वर्षों से अवैध और लंबी प्रतिनियुक्ति पर पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन में बनाए रखा गया है — वह भी विद्युत कार्यों से जुड़े तीन-तीन संभागों में परियोजना यंत्री (Electrical) के पद पर।
यह खुलासा सिर्फ नियमों का उल्लंघन नहीं है बल्कि यह उज्जैन सिंहस्थ-2028 के विद्युत ढाँचे और लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा के साथ अद्भुत खिलवाड़ जैसा है।
कौन हैं के.के. संदल ? दस्तावेज़ कहते हैं: “मैकेनिकल ट्रेड, विद्युत कार्य के लिए शून्य योग्यता”
असंतुष्ट इंजीनियरों द्वारा प्रस्तुत तीन-पेज तकनीकी पत्र में साफ-साफ लिखा है कि “के.के. संदल डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग हैं। उन्हें इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का ज्ञान नहीं है और न ही विद्युत कार्यों की आवश्यक तकनीकी दक्षता”।“इलेक्ट्रिकल विभाग में डिग्रीधारी, सुयोग्य इंजीनियर उपलब्ध हैं, परंतु उन्हें दरकिनार कर संदल को विद्युत दायित्व दिए जा रहे हैं।”
इस पत्र में यह भी लिखा गया है कि ऐसी नियुक्ति से विद्युत दुर्घटनाओं, शॉर्ट-सर्किट, ओवरलोड-फेलियर आदि का भारी जोखिम है। सिंहस्थ जैसे आयोजन में यह जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।
प्राप्त जानकारी अनुसार पुलिस हाउसिंग में नमन गुप्ता, किशोर शर्मा, के के धाकड़, श्रीमती रंजना एवं अन्य बहुत से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर पिछले 10 वर्षों से कार्य कर रहे हैं जिनकी शैक्षणिक योग्यता बीई/ बीटैक- एमटैक (इलेक्ट्रिकल) है , जबकि केके संदल मात्र मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा होल्डर सब इंजीनियर है। जिसको इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की एबीसीडी तक नहीं आती है। इसी पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन ने इलेक्ट्रिकल कार्यों की परीक्षण के लिए प्रतिनियुक्ति पर आए अधीक्षण यंत्री (इलेक्ट्रिकल) पी के गंगेले को अगस्त 2020 में और भार्गव कंसलटेंट जो मप्र हाउसिंग बोर्ड से सेवानिवृत्ति होने के पश्चात आए भार्गव कसलटेंट (बीई इलेक्ट्रिकल) को भी सन 2020 में पुलिस हाउसिंग से कार्य मुक्त कर दिया क्योंकि उनकी दक्षता कारपोरेशन के भ्रष्ट करिंदों बाधक बन रही थी।
जबकि मैकेनिकल में डिप्लोमा होल्डर इंजीनियर के के सैंडल को परियोजना यंत्री भोपाल परियोजना यंत्री इंदौर एवं परियोजना यंत्री उज्जैन का कार्य देकर शासन को लिखा जा रहा है कि सिंहस्थ 2028 के इलेक्ट्रिकल भावनाओं के कार्य हेतु सैंडल ही जरूरी है चाहे शासन की कुछ भी मजबूरी हो हमें संदल ही चाहिए।
बड़ा सवाल है कि 4 वर्ष की अधिकतम प्रतिनियुक्ति के विरुद्ध 17 वर्ष कैसे ?
सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के नियम स्पष्ट हैं —किसी भी कर्मचारी की प्रतिनियुक्ति की अधिकतम अवधि 3–4 वर्ष,आवश्यकता पड़ने पर विशेष अनुमति से थोड़ा विस्तार संभव लेकिन 17 वर्ष रहना किसी भी नियम में संभव नहीं।
> के.के. संदल 17 वर्षों से लगातार प्रतिनियुक्ति पर हैं, जो प्रशासनिक नियम के विरुद्ध है।”ऐसी अनियमितता तब और गंभीर हो जाती है जब यह व्यक्ति तकनीकी रूप से उस पद के योग्य ही न हो जिस पर उसे बैठाया गया है।
पीडब्ल्यूडी ने रिलीव करने का आदेश दिया लेकिन कॉरपोरेशन ने रोक लिया
लोक निर्माण विभाग (PWD) ने संदल के मामले में प्राप्त शिकायतों और दस्तावेज़ीय तथ्यों के आधार पर आदेश क्रमांक-एफ-1/1/8/9/2025/स्था/19, दिनांक 24.10.2025 जारी किया, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि: श्री के.के. संदल को तत्काल प्रभाव से रिलीव किया जाए, उन्हें मूल विभाग पीडब्ल्यूडी में वापस भेजा जाए, लेकिन चौंकाने वाली घटना तब सामने आई जब पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के अध्यक्ष सह-प्रबंध संचालक अजय शर्मा ने ही पीडब्ल्यूडी को एक गुमराह करने वाला पत्र भेज दिया।
शर्मा द्वारा पीडब्ल्यूडी के अपार मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में दावा किया गया – “कॉरपोरेशन में अधिकारियों की कमी है, उज्जैन सिंहस्थ-2028 की तैयारियाँ चल रही हैं, इसलिए संदल को रिलीव करना संभव नहीं”। इस पत्र में जानबूझकर दो बेहद महत्वपूर्ण तथ्य छुपाए गए कि संदल मैकेनिकल ट्रेड के हैं, इलेक्ट्रिकल के नहीं और 17 वर्षों की प्रतिनियुक्ति नियमविरुद्ध जमे है।
वस्तुस्थिति में इंजीनियरों के पत्र अनुसार अध्यक्ष का यह दावा तथ्यहीन है, क्योंकि कॉरपोरेशन में वरिष्ठ विद्युत इंजीनियर मौजूद हैं, उन्हें काम देने के बजाय संदल को विद्युत कार्य देना सुरक्षा को जोखिम में डालना है। अध्यक्ष सह प्रबंध सचालक द्वारा भेजा गया पत्र “सच्चाई को छुपाने” और “पीडब्ल्यूडी को भ्रमित करने” का प्रयास है
सिंहस्थ-2028 की विद्युत सुरक्षा—क्या दांव पर लगा दी गई?
इंजीनियरों ने अपने नोट में चेताया है कि सिंहस्थ जैसे आयोजन में—हाई-टेंशन बिजली लाइनों का संचालन, अस्थायी पंडालों और मार्गों की वायरिंग, अत्यधिक जनसंख्या के बीच विद्युत लोड, सुरक्षा बलों के लिए विशेष विद्युत व्यवस्था, आपदा-प्रबंधन हेतु uninterrupted supply, फायर सेफ्टी, ग्राउंडिंग, अर्थिंग, हाई-मास्ट आदि ये सभी सिर्फ अनुभवी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर ही संभाल सकते हैं।लेकिन जब मैकेनिकल ट्रेड का एक सब-इंजीनियर इन जटिल कार्यों का प्रभारी बना दिया गया तो इससे बड़ा तकनीकी खतरा और क्या होगा?
इंजीनियरों ने लोकायुक्त, अपर मुख्य सचिव- ग्रह, प्रमुख सचिव -पीडब्ल्यूडी भेजे पत्र में लिखा है:> “यदि किसी भी प्रकार की विद्युत दुर्घटना होती है तो इसका कारण अयोग्य व्यक्ति को गलत पद पर बैठाना होगा।”

क्या निजी स्वार्थ या भ्रष्ट गठजोड़ संदल को हर हाल में बचाया जा रहा है ?
पत्रों और घटनाक्रम से तीन सवाल बेहद साफ उभरते हैं- क्यों एक अयोग्य व्यक्ति को 17 साल तक रोका गया ? यह सिर्फ “अनदेखी” नहीं — सोची-समझी व्यवस्था दिखती है।
क्यों इलेक्ट्रिकल डिग्रीधारी इंजीनियरों को दरकिनार किया गया? क्या यह किसी “भीतरखाने की लाबी” या “निजी लाभ” का परिणाम है?
क्यों अध्यक्ष ने विभाग को भेजे पत्र में तथ्य छुपाए? सिंहस्थ जैसी संवेदनशील घटना के लिए यह लापरवाही नहीं बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा से समझौता है।
उज्जैन सिंहस्थ पर खतरे की घंटी- यदि हादसा हुआ तो जिम्मेदार कौन?
सिंहस्थ-2028 में लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन पहुंचेंगे। छोटी सी विद्युत त्रुटि भी—भगदड़, शॉर्ट सर्किट, पंडालों में आग, हाई-मास्ट गिरने, ट्रांसफार्मर फटने जैसी घटनाओं का कारण बन सकती है।
इंजीनियरों ने पत्र में खतरे की आशंका के साथ यह चिंता स्पष्ट शब्दों में दर्ज की है: > “अयोग्य अधिकारी द्वारा किए गए कार्य से बड़ी दुर्घटना होने की पूरी आशंका है।”
कारपोरेशन के वरिष्ठ अधिकारियों के बांग्ला बनवाने, रंगारंग पार्टियों के आयोजन अथवा अन्य कोई अनियमित गठजोड़- क्या पूरी व्यवस्था एवं सुरक्षा को दांव पर लगा सकता है यह एक बड़ा सवाल है ? उज्जैन सिंहस्थ को लेकर जो कार्य चल रहे हैं, उनमें अवैध प्रतिनियुक्ति और तकनीकी अयोग्यता एक “संभावित आपदा” की पूर्व सूचना जैसी हैं।
दस्तावेज़ों के आधार पर विशेषज्ञों और पत्र लिखने वाले असंतुष्ट इंजीनियरों ने मांग की है कि संदल का प्रतिनियुक्ति समाप्त हो, दोषी अधिकारियों की जांच लोकायुक्त/ईओडब्ल्यू से हो, सिंहस्थ-2028 की विद्युत व्यवस्था योग्य डिग्रीधारी इंजीनियरों को सौंपी जाए एवं अध्यक्ष द्वारा भेजे गए पत्र की भी जांच हो।
जनता, शासन और सिंहस्थ की सुरक्षा के लिए यह मुद्दा टाला नहीं जा सकता
त्रुटिपूर्ण प्रतिनियुक्ति, अयोग्य पदस्थापना, विभाग को भ्रमित करना, संवेदनशील आयोजन में सुरक्षा जोखिम – यह मामला अब सामान्य प्रशासनिक गलती नहीं रहा। यह एक संभावित बड़े हादसे की पृष्ठभूमि है।
यदि शासन ने अब भी संज्ञान नहीं लिया तो सिंहस्थ-2028 में एक छोटी सी चूक भी बड़ी घटना का कारण बन सकती है और निश्चित ही जिम्मेदारी उसी तंत्र की होगी जिसने 17 वर्ष की अवैध प्रतिनियुक्ति के बावजूद एक मैकेनिकल सब-इंजीनियर को विद्युत परियोजनाओं पर बिठा रखा है।
