कौन है बलराम मीणा? रेलवे में स्वास्थ्य अधिकारी या वसूली मास्टर ?
सफाई की जिम्मेदारी, मगर हकीकत में ‘हफ्ता वसूली नेटवर्क’ का संचालन !
ग्वालियर 26 दिसंबर 2025। रेलवे स्टेशन पर इन दिनों निर्माण कार्य के नाम पर जहां चारों ओर गंदगी का अंबार है, वहीं इसी अव्यवस्था की आड़ में रेलवे के ही एक जिम्मेदार अधिकारी पर गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक (CHI) बलराम मीणा अपनी वैधानिक जिम्मेदारियों से कहीं अधिक अवैध वसूली और दबाव बनाने के खेल में सक्रिय हैं।
₹150 की जगह ₹1000 की अवैध वसूली!
रेलवे नियमों के अनुसार स्टेशन परिसर में स्टॉल, कैटरिंग या वेंडिंग करने वाले कर्मचारियों का स्वास्थ्य परीक्षण रेलवे अस्पताल में निर्धारित शुल्क (₹150–200) में कराया जाना चाहिए। लेकिन सूत्रों का आरोप है कि बलराम मीणा द्वारा प्रति व्यक्ति ₹1000 तक की वसूली की जा रही है, अन्यथा मेडिकल सर्टिफिकेट महीनों तक “लटका” दिया जाता है।
यानी साफ शब्दों में — पैसे दो, तभी काम करो।
सफाई के नाम पर फर्जी बिल, ज़मीनी हकीकत शून्य
रेलवे स्टेशन पर पिछले एक वर्ष से अधिक समय से निर्माण कार्य जारी है। ऐसे में जिन क्षेत्रों में सफाई की जरूरत ही नहीं, वहां भी फर्जी बिल लगाकर सफाई कर्मचारियों का वेतन निकाला जा रहा है, जबकि_न सफाई होती है_न निगरानी_न जवाबदेही, प्लेटफॉर्म गंदगी से पटे हैं, यात्रियों को परेशानी हो रही है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।
हर स्टॉल से ‘हफ्ता’ या ‘मासिक बंदी’!
सूत्रों के मुताबिक मेडिकल सर्टिफिकेट और सफाई के नाम पर हर स्टॉल_हर यूनिट_हर कैटरिंग एजेंसी से हफ्ता वसूली या मासिक बंदी की जा रही है।
इस पूरे खेल में योगेंद्र मीणा की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।
धमकी का खुला खेल: “खाना नहीं चढ़ेगा, ब्लैक लिस्ट कर देंगे”
स्टेशन पर कार्यरत कैटरिंग संचालकों का आरोप है कि उनसे दबाव बनाकर पैसे मांगे जाते हैं। सूत्रों की माने तो धमकियां दी जाती हैं —“तुम्हारा खाना ट्रेन में नहीं चढ़ेगा”
“ब्लैक लिस्ट कर देंगे”
“प्रोजेक्ट रद्द करवा देंगे”
जबकि यह कमर्शियल विभाग का कार्यक्षेत्र है, स्वास्थ्य निरीक्षक का नहीं। इसके बावजूद अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर दबाव बनाना गंभीर सवाल खड़े करता है।
5 साल से ग्वालियर में जमे, ट्रांसफर भी ‘मैनेज’!
बताया जा रहा है कि बलराम मीणा पिछले करीब 5 वर्षों से ग्वालियर में ही पदस्थ हैं।
तीन-चार महीने पहले लगातार शिकायतों के चलते स्थानांतरण की चर्चा चली, लेकिन वह भी “सेटिंग” के जरिए रुकवा लिया गया।
सबसे बड़ा सवाल है _क्या रेलवे प्रशासन को इन गतिविधियों की जानकारी नहीं? या फिर सब कुछ जानकर भी आंखें मूंद ली गई हैं? क्या यात्रियों की सुविधा और स्वच्छता अब सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई है?
Yug Kranti यह सवाल उठाता है कि_ क्या रेलवे में जिम्मेदारी निभाई जा रही है या वसूली का कारोबार चल रहा है? यदि प्रशासन ने इस पर जल्द संज्ञान नहीं लिया तो यह मामला आने वाले दिनों में रेलवे की सबसे बड़ी आंतरिक अनियमितताओं में गिना जाएगा।
