युग क्रांति की चेतावनी सच साबित हुई..
स्मार्ट सिटी की लापरवाही से ढहा प्रवेश द्वार, किसके इशारे पर दबाई गई जांच ?
ग्वालियर 26 दिसंबर 2025। भिंड रोड पर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 3-4 करोड़ से अधिक लागत से बनाए जा रहे ग्वालियर के भव्य प्रवेश द्वार “किला द्वार” का आज एक बड़ा हिस्सा भरभराकर गिर गया। यह वही निर्माण है, जिसे लेकर युग क्रांति ने 3 अगस्त 2024 को प्रशासन को स्पष्ट रूप से चेताया था कि घटिया गुणवत्ता और कमजोर स्ट्रक्चर के कारण यह द्वार समृद्धि और गौरव का प्रतीक बनने की बजाय किसी बड़े हादसे का कारण बनेगा।
आज हुई यह घटना किसी प्राकृतिक आपदा या आकस्मिक दुर्घटना का परिणाम नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्ट तंत्र और जांच को दबाने की सुनियोजित कोशिशों का प्रत्यक्ष प्रमाण है। क्षतिग्रस्त हुए इस ढांचे का निरीक्षण अभी रात में स्मार्ट सिटी की अध्यक्ष एवं कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान और स्मार्ट सिटी सचिव एवं नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय ने किया।
🛑 अगस्त 2024 में ही उजागर हो गई थी सच्चाई
3 अगस्त 2024 को युग क्रांति ने खबर प्रकाशित कर
तत्कालीन स्मार्ट सिटी सीईओ श्रीमती नीतू माथुर और तत्कालीन स्मार्ट सिटी सचिव एवं नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह को आगाह किया था कि—निर्माण की गुणवत्ता बेहद घटिया है,_सड़क के समानांतर ऊपरी बीम लटक रही है, _स्ट्रक्चर की मजबूती संदिग्ध है..
और फिर खबर के बाद स्वयं सीईओ श्रीमती नीतू माथुर ने युग क्रांति को वीडियो बयान में स्वीकार किया था कि “मामले को गंभीरता से लिया गया है और गुणवत्ता एवं स्ट्रैंथ की टेस्टिंग सीपीडब्ल्यूडी से कराई जा रही है।”
जांच रिपोर्ट कहां गई? किसने दबाई सच्चाई?..
कुछ ही समय बाद तत्कालीन आयुक्त हर्ष सिंह का स्थानांतरण हुआ और नवागत आयुक्त अमन वैष्णव ने इस प्रवेश द्वार का निर्माण करने वाली फर्म “प्रगमेटिक इंटरप्राइजेज” का भुगतान रोक दिया था।
लेकिन इसके बाद बड़ा सवाल खड़ा होता है—सीपीडब्ल्यूडी की जांच रिपोर्ट क्या थी?
रिपोर्ट में क्या खामियां उजागर हुई थीं?
किसके दबाव में रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया?
भुगतान रोके जाने के बावजूद आगे कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
आज जो हुआ, वह उसी दबाई गई रिपोर्ट का परिणाम है।
🚨 लोकार्पण से पहले ही ढह गया ‘स्मार्ट’ प्रवेश द्वार

जिस प्रवेश द्वार का इसी सप्ताह लोकार्पण होने वाला था, उसका एक हिस्सा स्वतः ही ढह गया।
अगस्त 2024 में जहां ऊपरी बीम लटक रही थी, वहीं आज बाजू का पूरा खंभा धंस गया।
यह साफ संकेत है कि यह ढांचा शुरू से ही जनता के लिए जानलेवा था।
पेटी कॉन्ट्रैक्टर, रसूख और दबाव की कहानी
सूत्रों के अनुसार, प्रगमेटिक इंटरप्राइजेज के तहत काम करने वाला पेटी कॉन्ट्रैक्टर कुंवर सिकरवार जय विलास पैलेस में अपनी “पेठ” बताता है।
जय विलास में उसकी पकड़ कितनी गहरी है, इसका अनुमान भले न लगाया जा सके, लेकिन यह तथ्य अब साफ है कि—
हर बार किसी बड़े हस्तक्षेप के जरिए इस मामले को दबाने की कोशिश की गई और प्रशासनिक स्तर पर जानबूझकर आंखें मूंदी गईं।
आखिरकार प्रशासन को किस बड़ी दुर्घटना का इंतजार है
भिंड रोड एक व्यस्त मार्ग है। यहां से रोज़ हजारों वाहन और राहगीर गुजरते हैं। अगर यह ढांचा व्यस्त समय में गिरता, तो जनहानि तय थी।
अब सवाल यह है—क्या प्रशासन किसी मौत के बाद ही जागेगा? क्या इन्हें नर पिशाच के रूप में किसी बलि का इंतजार है? क्या स्मार्ट सिटी परियोजना में जान की कोई कीमत नहीं? क्या जवाबदेही सिर्फ कागजों तक सीमित है?
आम नागरिक का कहना है कि अब केवल एक ही रास्ता है जिसकी आवाज बन कर युग क्रांति स्पष्ट मांग करता है कि—
इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय, स्वतंत्र जांच कराई जाए, स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार सब इंजीनियर, असिस्टेंट इंजीनियर, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर पर तत्काल कार्रवाई हो, ठेकेदार और पेटी कॉन्ट्रैक्टर पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हो, 2024 में कराई गई गुणवत्ता एवं स्ट्रैंथ टेस्टिंग रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए और जैसा कि तत्कालीन आयुक्त अमन वैष्णव ने स्वयं कहा था कि “यदि गुणवत्ता में कमी पाई गई तो इसे तोड़कर दोबारा ठेकेदार से बनवाया जाएगा”
लिहाजा पूरे ‘किला द्वार’ को ध्वस्त कर दोबारा निर्माण कराया जाए।
युग क्रांति फिर चेताता है_ अगर अब भी प्रशासन ने लीपापोती की, अगर दोषियों को बचाने की कोशिश जारी रही तो यह ‘किला द्वार’ ग्वालियर के इतिहास में स्मार्ट सिटी की सबसे बड़ी नाकामी और मौत के प्रतीक के रूप में दर्ज होगा और इससे पहले यदि जरूरत पड़ी तो जनहित में माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा। युग क्रांति ने सच कहा था – और आज सच मलबे में पड़ा है।
3 अगस्त 2024 को प्रकाशित खबर एवं वीडियो
ग्वालियर स्मार्ट सिटी द्वारा किया जा रहा है गुणवत्ता विहीन बोगस निर्माण
