सरकार की नेक नियत में पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन की बदनियती
कभी भी हादसे में तब्दील हो सकती है सीएम राइस की ये इमारत
भिंड- गोहद 30 मार्च 2024। शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ एवं प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने वर्ष 2021 में अत्यंत महत्वाकांक्षी योजना “सीएम राइज स्कूल”लॉन्च की जिसके पहले चरण में पूरे प्रदेश में 360 स्कूलों का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2022-23 में पूरी शिक्षा व्यवस्था पर प्रावधानित कुल बजट 27 हजार 792 करोड़ रुपए में से 7000 करोड़ से अधिक राशि का बजट भवन निर्माण लागत के रूप में निर्धारित किया गया।प्रतिभाशाली बच्चों को सही मार्गदर्शन और मूलभूत आवश्यकता उपलब्ध कराने और स्वावलंबी बनाने के लिए इस प्रखर योजना को प्रस्तावित किया गया है। सरकार की मंसा अनुरूप गरीब एवं मध्यम से मध्यम वर्ग के बच्चों के लिए अत्यंत महत्वाकांक्षी साबित होती इस योजना का निजी स्वार्थ के चलते निर्माण एजेंसियां पलीता लगाती नजर आ रही है।
प्रथम चरण में प्रस्तावित अधिकांश सीएम राइज स्कूलों की अधोसंरचना के विकास पर पूरे प्रदेश में जोरों पर निर्माण कार्य चल रहा है जिनमें मुख्य रूप से मप्र पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन एवं पीआईयू निर्माण एजेंसीज के अंतर्गत ठेकेदार/ फर्म /कंपनी कार्य कर रहीं है।
गुणवत्ता रहित और लोकल मटेरियल का हो रहा है उपयोग..
इन्हीं स्कूलों का मुआइना करती हुई जब हमारी टीम भिंड जिला के गोहद तहसील मुख्यालय पर निर्माणाधीन सीएम राइज स्कूल पहुंच कर तहकीकात की तो पता चला कि 28 करोड़ की लागत से 4-5 मंजिला बन रहीं स्कूल की इन बिल्डिंगों के निर्माण में गुणवत्ता के तमाम मापदंडों एवं प्रावधानों को दरकिनारे रखा गया है। धूल मिक्स तथाकथित सिंधु नदी का रेत (चंबल सेंट) इस्तेमाल किया जा रहा है, पिलरों, कलमों और बीमों में सरिया को जिस कांबिनेशन के साथ इस्तेमाल किया जा रहा है वो अधिक से अधिक दो मंजिला तक की इमारत के लिए ही उपयुक्त है ना कि पांच मंजिला के लिए? फ्लाई ऐश ब्रिक के नाम पर लोकल मेड ब्रिक्स इस्तेमाल किया जा रहा है जिसके वजन से ही अंधा भी अनुमान लगा सकता है। इसी तरह फ्लाई ऐश ब्लॉग का इस्तेमाल किया जा रहा है। जब हमारी टीम ने एक्सपर्ट के साथ मिलकर ब्रिक्स और ब्लॉक्स की स्ट्रैंथ की तपतीस की तो देखा कि चट्टे के रूप में रखे रखे ही ये ब्लॉग और ब्रिक टूट रही है तो भला पांच मंजिला इमारत का भार कैसे और कितने समय तक उठा पाएंगे? इसी तरह इस पूरी इमारत में गुणवत्ता रहित अधिकांश मटेरियल का उपयोग किया जा रहा है। जिस इमारत अभी से क्रैक दिख रहे हैं भला इसका भविष्य क्या होगा यह तो अंदाजा लगाया जा सकता है ? एक्सपर्ट की माने तो दो या तीन साल में यह इमारत जगह-जगह से बिखरना प्रारंभ कर देगी।
इस भवन की निर्माण एजेंसी पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन है जिसमें परियोजना यंत्री जेपी सोना, सहायक यंत्री के बृजेश जाटव एवं उप यंत्री श्री पटेल की देखरेख में स्कूल बिल्डिंग का कार्य ग्वालियर की सेंचुरी कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया जा रहा है।
इस निर्माण कार्य में गुणवत्ता का अभाव एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण एवं चिंताजनक सवाल है क्योंकि इस तरह की इमारत के नीचे बैठकर हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ रहे होंगे और खुदा न खास्ता यदि कोई हादसा हो जाए तो भला कितनी भयावह स्थिति होगी ये सोचकर ही रूह कांप जाती है।