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देश में लोकतंत्र पर राजतंत्र का मंडराता खतरा !

अधिकारियों की चाटुकारिता की पराकाष्ठा या महल की साजिश..?

स्मार्ट सिटी अथवा निगम द्वारा कराया जा रहा है इन चौराहों के सिंधियाकरण/ सौंदर्यीकरण कार्य

ग्वालियर 19 जुलाई 2024। आजादी के 76 साल बाद भी मानसिक तौर पर लोकतंत्र की पूर्ण बहाली नहीं हो पाई बल्कि देश के लोकतंत्र को गिरवी रखकर राजतंत्र को कायम करने की वास्तविक कवायत जरूर शुरू हो गई है। इसकी वानगी ऐतिहासिक शहर ग्वालियर की सड़कों एवं चौराहा पर देखी जा सकती है।
ऐतिहासिक शहर ग्वालियर में चल रहे सौन्दर्यीकरण के कार्य स्मार्ट सिटी एवं नगर निगम द्वारा कराये जा रहे हैं। स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी नीतू माथुर ने इस कार्य को निगम द्वारा किया जाना बताया। इस क्रम में अचलेश्वर चौराहा, फूल बाग चौराहा एवं इंदरगंज चौराहा को मिलाकर तकरीबन 4 करोड़ का टेंडर होकर कार्य प्रारंभ किया जा चुका है यह कार्य नगर निगम की देखरेख में संचालित हो रहा है और ठेकेदार को कार्य का भुगतान भी निगम द्वारा ही किया जा रहा है ना कि सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट द्वारा। चौराहे से गुजरते वक्त युग क्रांति प्रतिनिधि की नजर चौराहे पर लगाई जाने वाली नक्काशी पर पड़ी तो हैरानी में पड़ गया जहां पर नगर निगम द्वारा बनाए जाने वाले चौराहे की नक्काशी के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया के परिवार (प्राचीन राजवंश)/सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट का प्रतीक चिन्ह (मोनो) लगाया जा रहा है। सूत्रों की माने तो बिल्कुल इसी तर्ज पर अन्य दोनों चौराहों का सौंदरीकरण अथवा सिंधियाकरण किया जाना है। इस संबंध में नगर निगम अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं ।

इन चौराहों के सिंधियाकरण/सौंदर्यीकरण के कार्य को निगम अधिकारियों की ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति मक्खनबाजी एवं चाटुकारिता की पराकाष्ठा कहें या सिंधिया का दबाव अथवा अन्य कोई वजह। फिलहाल जनता की राय के नतीजन यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि ग्वालियर के प्रमुख चौराहो एवं सड़कों पर जबरिया लगाई जा रहे प्राचीन राज महल के प्रतीक चिन्हों (सूर्य और दोनों तरफ सांप) के माध्यम से ऐतिहासिक शहर को हथियाने की ये साजिश पूर्ण कवायद अथवा जय विलास पैलेस की सीमाओं के विस्तार की ये सुनियोजित कूट योजना है।

सिंधिया अथवा निगम अधिकारियों के मंशा जो भी हो मगर यह मसला बहुत ही गंभीर है। इस तरह शहर के आम चौराहा पर किसी परिवार के सियासी/राजशाही प्रतीक चिन्हों से नक्काशी सजना लोकतांत्रिक व्यवस्था पर राजतंत्र का कुठारा घात है जो किसी भी मायने और दृष्टिकोणम से लाजमी नहीं है।