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करवाचौथ व्रत अर्थात पति के चिरायु का संकल्प

समूचे भारतवर्ष की उस नारी शक्ति को नमन करता हूं जो अपने पति के स्वास्थ्य एवं लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला (बिना कुछ खाए पिए) उपवास रखकर कठिन परंपरा का निर्वहन करती आ रही है जिसमें चंद्रोदय के पश्चात चंद्रमा एवं यथाशक्ति देवों की पूजा अर्चना करने के उपरांत पूर्ण किया जाता है। नारी ममता, प्रेम, त्याग बलिदान जैसे अनंत गुणों के भंडार के साथ-साथ स्वयं शक्ति स्वरुपा है। सृजन के असीमित भंडार और शक्ति स्वरूपा देश की इस नारी शक्ति का ध्यान मै वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा एवं भागम- भाग के इस दौर में मानसिक दबाव, तनाव, फ्रस्ट्रेशन आज मानो जिंदगी का एक हिस्सा जैसा बन गया है। यही तीन कारक मनुष्य की अस्वस्थता के प्रमुख कारण बनते जा रहे हैं जिसके चलते व्यक्ति एंजायटी, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर, शुगर, हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज जैसी गंभीर बीमारियों एवं समस्याओं ग्रास बनता चला जा रहा है। जिस जीवन में उक्त तीन कारकों की जितनी कमी अथवा अभाव होगा वो उतना अधिक खुशहाल एवं चिरायु होगा ये वैज्ञानिक तथ्य है जो कि आवश्यक रूप से ध्यान देने योग्य है।

यदि हम वाकई किसी के उत्तम स्वास्थ्य एवं लंबी उम्र की आकांक्षा रखते हैं तो अपनी अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि तमाम बीमारियों के इन तीनों कारकों से कैसे बचा जाए? यही हमारे जीवन को स्वस्थ एवं चिरायु बनाने का असली संकल्प होगा। यह बात स्त्री एवं पुरुष दोनों के लिए महत्वपूर्ण है मगर आज का दिन स्त्री के व्रत का है।

पत्नी द्वारा पति के लिए किए जाने वाले करवा चौथ व्रत में यथाशक्ति देवों की पूजा अर्चना के साथ-साथ इस संकल्प को जोड़ा जाना ही करवा चौथ व्रत की सारगर्भित समग्रता और पूर्णता है। चंद्र देव के समक्ष पति के चिरायु की कामना से भी कहीं अधिक जरूरी है अपने भीतर इस भावना को विकसित करना, तभी बनेगा सुखमय, आनंददायक उत्तम स्वास्थ्यप्रद चिरायु जीवन ।

लेखक: बृजराज सिंह तोमर (पत्रकार)