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मोतियाबिंद का मानसून में नहीं कराना चाहिए इलाज जैसे इन मिथ पर भरोसा करते हैं लोग

आई फ्लू ने इस समय लोगों को खासा परेशान किया हुआ है. दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों में आंखों के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. मानसून के दौरान बाढ़ या पानी के भर जाने की वजह से कई समस्याएं आती हैं जिनमें से एक आई फ्लू भी है. वैसे क्या आप जानते हैं कि मानसून के दौरान आंखों से जुड़ी दूसरी बीमारियों के बढ़ जाने का खतरा भी सताता है. आंखों की देखभाल को लेकर आज भी भारत में कई तरह की मिथ यानी धारणा को फॉलो किया जाता है. आंख की बीमारी मोतियाबिंद के साथ भी कुछ ऐसा ही है. लोग आज भी इससे जुड़े कई मिथ पर भरोसा करते हैं.

क्या बारिश के दिनों में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराना सही होता है? ऑपरेशन के बाद कई दिनों तक बाहर नहीं निकलना होता? मोतियाबिंद की सर्जरी से जुड़े ऐसे कई सवाल हैं जो गलतफहमियां पैदा करते हैं. एक्सपर्ट से जानें इसका सही जवाब..

क्या है मोतियाबिंद?
आंखों में होने वाली ये बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है पर ज्यादातर मामलों में ये उम्रदराज लोगों को अपनी चपेट में लेती है. आंखों के लेंस अपने आप धब्बेदार या सफेद पड़ने लगते हैं जिसे आम भाषा में जाला भी कहते हैं. पारदर्शिता पर असर पड़ने की वजह से धुंधला नजर आने लगता है. पहले लोग इसके पकने का इंतजार करते थे, लेकिन अब समस्या होने पर तुरंत सर्जरी कर दी जाती है. पहले ऑपरेशन का प्रोसेस काफी बड़ा होता था. तकनीक की वजह से चीजें अब काफी आसान हो गई हैं.

मोतियाबिंद से जुड़े मिथ या सवाल
मानसून में क्यों नहीं कराना चाहिए मोतियाबिंद का इलाज?

एक समय था जब गर्मी और पसीने की वजह से लोग मानसून में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने से बचते थे. इसके लिए सर्दी का मौसम सही माना जाता है क्योंकि इस दौरान नमी और गर्मी दोनों परेशान नहीं करते. वैसे आज के समय में ये किसी मिथ से कम नहीं है. टेक्नोलॉजी की वजह से चीजें बहुत आसान हो गई हैं. किसी भी सीजन में मोतियाबिंद का इलाज कराया जा सकता है.

दिल्ली में सर गंगाराम हॉस्पिटल में आई डिपार्टमेंट में एचओडी प्रोफेसर डॉ. एके ग्रोवर का कहना है कि आंखों की बीमारी मोतियाबिंद के इलाज का पैटर्न अब काफी मॉर्डन हो गया है. अब लेजर से ऑपरेशन कुछ मिनटों में पूरा जाता है. घाव गहरा नहीं होता है इसलिए रिकवर करने में आसानी भी होता है. खास बात है कि पहले की तरह पानी का आना जैसी दिक्कतें परेशान नहीं करती हैं. डॉ. ग्रोवर कहते हैं कि मोतियाबिंद के लिए सीजन का इंतजार करना जरूरी नहीं है.

मोतियाबिंद का पकना है जरूरी?

आज भी ये माना जाता है कि मोतियाबिंद का पकना जरूरी है और इसके बाद ही ऑपरेशन या सर्जरी की जा सकती है. डॉक्टरों के मुताबिक ज्यादा देर करने से सही आंख पर दबाव बढ़ता है और इससे देखने की क्षमता प्रभावित होती है. समय रहते सर्जरी करा लेना बेहतर है

लंबा रेस्ट है जरूरी?

ये मिथ भी फैली हुई है कि सर्जरी के बाद बिल्कुल बाहर नहीं निकलना चाहिए, जबकि ऐसा नहीं है. मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद डॉक्टर की बताई सावधानियों को ध्यान में रखकर रोजमर्रा के काम किए जा सकते हैं.

इन चीजों का रखें ध्यान

सावधानियों में आपको आंखों को धूल-मिट्टी से बचाना है. व्यायाम, आंखों को मसलना या रगड़ना या फिर इन पर सीधे पानी मारना जैसी गलतियों से बचना है. आप चाहे तो काला चश्मा लगा सकते हैं पर आजकल इसकी जरूरत भी नहीं होती हैं.

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