रिक्त पद के चालू प्रभार पर नियम विरुद्ध काबिज हैं तमाम लोकसेवक..
भोपाल 5 दिसंबर2024। मध्य प्रदेश की अधोसंरचना विकास में पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड पर प्रदेश की बड़ी-बड़ी परियोजनाओं को पूर्ण करने का व्यापक स्तर पर जिम्मा है मगर अयोग्य एवं अपात्र इंजीनियरों की वजह से निर्माण कार्यों की दिनों-दिन घटती गुणवत्ता ने प्रदेश की अनेको अधोसंरचनाएं अधम संरचना में तब्दील हो रहीं है।
रिक्त पद का चालू प्रभार दिए जाने के संबंध में मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 4-11-1996 के पत्र क्र.- एफ 11-38/96/9/एक में स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि “कभी-कभी अधिकतर पद का चालू प्रभार समकक्ष अथवा वरिष्ठतम अधीनस्थ को न सौंपते हुए किसी कनिष्ठ अधीनस्थ को सौंप दिया जाता है यह उचित नहीं है क्योंकि एक वरिष्ठ शासकीय सेवक को अपने से कनिष्ठ के मातहत काम करना पड़े यह प्रशासनिक दृष्टि से बिल्कुल ठीक नहीं है। अतः यह निर्णय लिया गया है कि कोई पद रिक्त होने की स्थिति में उसकी पूर्ति यथाशीघ्र नियमित पदस्थापन से कर ली जाना चाहिए और जहां रिक्त पदों का चालू प्रभार देने की स्थिति निर्मित हो वहां पर ऐसा प्रभार नियंत्रितकर्ता अधिकारी की स्थापना में कार्यरत किसी ऐसे शासकीय सेवक को दिया जाना चाहिए जो उस रिक्त पद को समकक्ष अथवा उससे निम्नतर वरिष्ठतम पद पर कार्यरत शासकीय सेवक को सौंपा जाना चाहिए। इस निर्देश को कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाए”। इसी क्रम में पुनः सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पत्र क्र.- एफ 11-41/ 2014/ 1/9, दिनांक 14 -11 -2014 में उक्त आदेश के कड़ाई से पालन कराने हेतु निर्देशित किया गया।
इन सबके बावजूद पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन में वरिष्ठतम अधिकारियों से साठ-गांठ के बलबूते तकरीबन 50 से अधिक संविदा उपयंत्री- प्रभारी सहायक यंत्री, 19 नियमित उपयंत्री- प्रभारी सहायक यंत्री, 5 से 6 नियमित सहायक यंत्री है जो वास्तविक पद पर, तकरीबन पांच सहायक यंत्री- प्रभारी परियोजना यंत्री, एक परियोजना यंत्री- प्रभारी अधीक्षण यंत्री और इकलौते अधीक्षण यंत्री जेपी पस्तोरे साहब तमाम भ्रष्टता की शिकवा- शिकायतों एवं जांचों की लंबी चौड़ी कुंडली के साथ प्रदेश के मुख्य परियोजना यंत्री/मुख्य अभियंता के पद पर प्रभारी के रूप में काबिज है और इनमें से कुछेक अधिकारी जाली सर्टिफिकेट्स के आधार पर परियोजना यंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर लंबे अरसे से काबिज है तो कुछ अपने से वरिष्ठतम अधिकारी के रहते हुए भी नियम विरुद्ध उच्च पद का प्रभार हथियाए हुए हैं।
अब देखना यह होगा कि मध्य प्रदेश के आर्थिक अपराध ब्यूरो के महानिदेशक पद से आए वरिष्ठ आईपीएस अजय कुमार शर्मा आज कॉरपोरेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध संचालक का पदभार ग्रहण करने के बाद अपने तत्कालीन अनुभव से कॉर्पोरेशन में व्याप्त अनियमित्ताओं पर कैसे अंकुश लगाते हैं और सामान्य प्रशासन विभाग के इस आदेश का पालन कराने में किस हद तक सफल हो पाते हैं ?