परीक्षा के दौरान रतलाम के स्कूलों में चल रहा है चंदा वसूली अभियान

प्रभारी बीआरसी द्विवेदी करवा रहे हैं जनशिक्षकों एवं साक्षरता समन्वयकों से जबरिया चंदा वसूली.. 

जनशिक्षकों को इस तरह कार्य मुक्त करना दुर्भाग्यपूर्ण..

रतलाम। हाल ही में शहरी ब्लॉक रतलाम के विकासखंड स्त्रोत केंद्र समन्वयक (BRC) के पद पर प्रभारी नियुक्त हुए प्रणव द्विवेदी ने विद्यालयीन कार्य एवं परीक्षाओं को महत्व न देते हुए तथाकथित राजनीतिक/ सामाजिक संगठन के नाम पर चंदा उगाही का कार्य शुरू कर दिया है।
ज्ञात हो कि इनसे पूर्व रतलाम में पदस्थ बीआरसीसी विवेक नागर को झूठी रिपोर्ट के आधार पर फंसने एवं पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने की वजह से निलंबित किया गया था उसके स्थान पर नियमित वरिष्ठ बीएसी अजय बक्शी को बीआरसीसी का प्रभार दे दिया गया था मगर तीन माह पश्चात ही तथाकथित संगठनों के द्वारा अधिकारियों पर दबाव बना कर नियम विरुद्ध रतलाम तहसील अंतर्गत पलसोढी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ उच्च माध्यमिक शिक्षक प्रणव द्विवेदी को बीआरसीसी का यह प्रभार दिलवा दिया गया । सूत्रों की माने तो द्विवेदी तथाकथित जिस सामाजिक/ राजनीतिक संगठन में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं उसी संगठन के एक कार्यक्रम के लिए चंदा जुटाने में समस्त ब्लॉक के जनशिक्षकों एवं साक्षरता समन्वयको से उगाही का कार्य करवा रहे हैं। चंदा वसूली का यह कार्य विद्यालयीन समय में जनशिक्षकों, साक्षरता समन्वयको एवं संगठन के पदाधिकारी शिक्षकों द्वारा प्रतिदिन किया जा रहा है। चंदा लेने के लिए शिक्षकों पर बीआरसी के नाम पर दबाव बना कर प्रत्येक से 500-500 रुपए वसूले जा रहे हैं। बीआरसी सी रतलाम के इस क्रत्य से सभी शिक्षक परेशान है किंतु उनके डर से कुछ शिकवा- शिकायत तक नहीं कर पा रहे हैं। कई दिन से चल रहे वसूली अभियान के चलते छात्रों की पढ़ाई और अर्धवार्षिक परीक्षा भी प्रभावित हो रही है।

जनशिक्षकों को इस तरह कार्य मुक्त करना दुर्भाग्यपूर्ण.

इस दुष्कृत की खबर जनशिक्षण संयुक्त संचालक श्रीमती रमा नहाटे के कानों तक पहुंची तो उन्होंने इस पर संज्ञान लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से पुष्टि करनी चाही। डीईओ ने बैठक के दौरान उपस्थित जन शिक्षकों से जानकारी ली जिसमें उन्हें जनशिक्षकों द्वारा वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया। तदुउपरांत सच बोलने पर उन्हें सबक सिखाने एवं अपने गुनाह को छुपाने का एक कुचक्र रचा गया, जिसमें उच्च न्यायालय के एक वकील के नोटिस/पत्र को ही विभागीय आदेश/ नियम मानकर बीआरसी द्विवेदी ने नंदिनी उपाध्याय एवं प्रीति गोठवाल को 2 दिन पूर्व 7 दिसंबर को जनशिक्षक के कार्य से मुक्त कर दिया। द्विवेदी के निराधार इस तुगलकी फरमान ने न सिर्फ वरिष्ठ अधिकारियों की नाफरमानी की है बल्कि जेडी नहटा एवं शिक्षा-व्यवस्था के मुंह पर तमाचा मारा है।