गुरु-चेले की सियासत में किसको लगी सै और किसकी होगी मात!

जांच एजेंसियों के निशाने पर सिंडिकेट या शर्मा जी अथवा कोई और..
व्यापम घोटाले से भी बड़ा है परिवहन का ये कांड..!

ग्वालियर/भोपाल। ग्वालियर के विनय नगर सेक्टर 2 के गलियारों में आजकल यही बात सुर्खियों में है कि “पैसा भाई को भाई का दुश्मन बना देता है” इस बात की सार्थकता परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के घर बड़े छापे से साबित होती है। जिसमें गुरु- चेला अथवा चाचा- भतीजे के बीच विवाद इस कदर बढ़ा कि आज ये नौबत आ गई।
सौरभ शर्मा ग्वालियर विनय नगर सेक्टर 2 का निवासी हैं। आरटीओ में पदस्थ होने से पहले यहीं रहता था एवं इसकी पत्नी दिव्या तिवारी (शर्मा) सिटी सेंटर में डांस क्लास चलाती थी जो कि अब भोपाल में बेहतरीन फिटनेस सेंटर की संचालिका है। सौरभ शर्मा कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व मंत्री के काफी नजदीकी माने जाते हैं जिनकी अनुकंपा शर्मा के जीवन में अहमियत रखती है। विनय नगर में ही सौरभ के गरु गुरु /चाचा का मकान भी हुआ करता है, गुरु वर्तमान में परिवहन विभाग के बड़े अधिकारी के पीए हैं। तकरीबन 10 वर्ष पूर्व शैलेंद्र श्रीवास्तव के परिवहन आयुक्त बनने एवं उनके खासम खास होने के वजह से गुरु सत्य प्रकाश शर्मा पावर में आते गए और इसी पावर के दुरुपयोग से अपनी सेवा में समर्पित चेले सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति गलत शपथ पत्र के आधार पर नियम विरुद्ध करवा डाली। क्योंकि सौरभ का बड़ा भाई छत्तीसगढ़ शासन में वित्त विभाग में अधिकारी है और परिवहन विभाग के नियमानुसार सिर्फ उसी व्यक्ति को परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति/ नियुक्ति दी जा सकती है जिसके परिवार का दूसरा भाई/ बहन शासकीय सेवा में न हो। सूत्रों की मांने तो इनकी नियुक्ति में कांग्रेसी नेता की भी अनुकंपा शामिल है।
अपने गुरु की छत्र छाया में फलता फूलता सागिर्द/चेला पूर्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के संपर्क में आता गया और उनकी चापलूसी कर करके मंत्री का खासम खास होता गया। और फिर माया और कई सत्ता का खेल शुरू हआ। जिसके चलते सौरभ ने अपने गुरु सत्य प्रकाश को लात मारना शुरू कर दिया। इसने 8 से 10 बेरियल पर अपने डमी कैंडिडेट के रूप में दतिया के चिलुला बेरियल पर रितु रघुवंशी, माल्थोन बैरियर पर आरटीआई मार्को, कवासा सीरियल पर आरटीआई रत्नाकर उइके, शिवपुरी के करेय परोड़ा पर टीएसआई कृष्णकांत पुरोहित, छतरपुर जिला की पहाड़ी बंदा चेक पोस्ट पर टीएसआई आकाश सितोले एवं अन्य चेक पोस्टों पर आरटीआई एवं टीएसआइ की पोस्टिंग कराई, जिनसे 5 से 10 लाख रुपए प्रत्येक से लिया जाता है।
विभागीय पूर्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के समय से सौरभ शर्मा सहित आरटीआई तुमराम, आरटीआई राकेश सिंह बघेल, आरटीआई डीपी पटेल, मंत्री का खासम खास वकील, अरीम खान ने अत्यंत सक्रिय होते हुए परिवहन विभाग पर पूरा एकाधिकार स्थापित कर लिया। इस सिंडिकेट ने अपने चंगुल में मध्य प्रदेश के सभी आरटीओ सहित आयुक्त एवं अपर आयुक्त को भी ले लिया। मुरैना वाले सिकरवार साहब रिटायरमेंट के बाद भी बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं।
 गुरु- गुड़ रह गए, चेला- शक्कर हो गया..            विश्वस्त सूत्र अनुसार यह बात सत्य प्रकाश को खलने लगी और लगातार कटुता बढ़ती गई। परिवहन की काली सत्ता और माया का सियासी खेल गहमता गया और आखिर कार गुरु की गुरुता फिलहाल चेले पर भारी पड़ गई। गुरु की इस चाल में सौरभ शर्मा फिलहाल फस तो गए हैं मगर देखना यह होगा कि सै और मात के खेल में अगला दाव कौन चलता है! जिसमें किसको लगती है सय और किसकी होती है मात!

लोकायुक्त, ईडी एवं आयकर विभाग की टीमें अपने-अपने तरीके से जांच में जुटी हुई है जिसके तार विभाग के छोटे कर्मचारी से लेकर प्रदेश के मुखिया तक जुड़े होने की प्रबल आशंका है। यदि जांच एजेंसियां स्वतंत्र और निष्पक्षता से जांच करेंगी तो परिवहन विभाग का यह कांड मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले से बड़ा साबित होगा। फिलहाल देखना यह होगा इन एजेंसियों के निशाने पर अगला शिकार तुम राम, किशोर सिंह बघेल, डीपी पटेल अथवा सिंडिकेट के बाहर की नई शक्सियत शर्मा (जिनके पास परिवहन की कमाई की काली फॉर्च्यूनर है, मोबाइल फोन 95% बिजी रहता है मानो पूरा सिंडिकेट अब इनके जिम्में हो और वह मुख्यालय में अहम भूमिका में है) में से कौन होता है !

पड़ताल के बाद जल्द होगा इस नई शख्सियत का बड़ा खुलासा…?