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 क्यों नीरस बना रहता है ग्वालियर स्थित परिवहन मुख्यालय में

ऐतिहासिक समृद्धि का प्रतीक एवं पूर्व प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष व कई मंत्रियों के ग्वालियर से परहेज है परिवहन अधिकारियों को

आयुक्त विवेक शर्मा का सफर होगा बड़ी ज़िम्मेदारियों एवं चुनौतियों से भरा!

भोपाल 6 जनवरी 2025। ऐतिहासिक समृद्धि को अपने भीतर समेटे हुए ग्वालियर ने तमाम गौरव गाथाओं के साथ रियासत से सियासत तक न सिर्फ प्रदेश में बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष में अपना स्थान बरकरार रखा है। गालव ऋषि की ये तपोभूमि भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सहित भारत संघ एवं राज्य के तमाम मंत्रियों की जन्मस्थली है। इसी अहमियत के चलते केंद्रीय एवं राज्य सरकार के कई विभागों के मुख्यालय यहां बनाए गए हैं इनमें से एक मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग का मुख्यालय है। इसे आयुक्त के कार्यालय के रूप में भी जाना जाता है।

मुख्यालय में मुख्य रूप से आयुक्त के साथ अपर आयुक्त, संयुक्त आयुक्त, संभागीय उपायुक्त के पद है मगर संयुक्त आयुक्त (प्रशासन) विनोद भार्गव के अतिरिक्त मुख्यालय में अन्य कोई भी अधिकारी अक्सर नजर नहीं आता। इन ऑफिसों के साथ-साथ इनके निजी सहायक के कार्यालय में भी ताले पड़े रहते है। हालांकि अपर आयुक्त का पद उमेश जोगा के स्थानांतरण के बाद कुछ समय से खाली है साथ ही डीपी गुप्ता को हटाकर नए आयुक्त के रूप में विवेक शर्मा को पदस्थ किया है जिन्होंने अपना कार्यभार संभाल लिया है।तकरीबन 11 महीने पदस्थ रहे आयुक्त डीपी गुप्ता सप्ताह में बमुश्किल एक या दो दिन ग्वालियर मुख्यालय पर बैठते थे, यहां तक कि इन्होंने ग्वालियर में आवंटित अपने शासकीय आवास में समान तक शिफ्ट नहीं किया था। आयुक्त सहित तमाम सक्षम प्राधिकारियों एवं उनके निजी सहायकों को मुख्यालय में अपनी सेवा देने से परहेज है। सूत्रों की माने तो इन्हें अपनी ऑफिस में मौजूदगी से ज्यादा अपने काले धन की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की अधिक परवाह रहती है। जिसके चलते विभाग की हालात बद् से बद्तर होती जा रही है जिसका ताजा उदाहरण पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा है।

इन वरिष्ठतम अधिकारियों के गैर जिम्मेदारान रवैये के चलते सिंडिकेट के चंगुल में फंसे विभाग में तमाम आरटीओ, आरटीआई, टीएसआई बंद चेक पोस्टों के बावजूद भी लूट खसोट से बाज नहीं आ रहे। ऐसे कई मामले लगातार सुर्ख़ियों में बने हुए हैं और सूत्रों की माने तो इसी के चलते डीपी गुप्ता को आयुक्त का पद गवाना पड़ गया। इन तमाम सक्षम अधिकारियों एवं कर्मचारियों की अपनी ऑफिस में गैर मौजूदगी एवं अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने अथवा सदुपयोग न करने की वजह से शासकीय स्तर पर परिवहन विभाग की दुर्दशा होती चली जा रही है। यहां ऑफीशियली कुछ भी अपडेट नजर नहीं आता, जिसे परिवहन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर साफ तौर पर देखा जा सकता है। ये साइट 15 अक्टूबर 2024 को अपडेट होना दिख रही है मगर इसमें विभाग के प्रमुख सचिव फ़ैज़ अहमद किदवई, आयुक्त मुकेश कुमार जैन, अपर आयुक्त अरविंद कुमार सक्सेना एवं संभागीय उपायुक्त के अधिकांश पदों पर अरुण कुमार सिंह आदि के नाम उल्लिखित होने से साफ जाहिर है कि इस साइट पर कई वर्षों से कोई काम नहीं हुआ है। बता दें कि मध्य प्रदेश में कुल 52 आरटीओ के पद स्वीकृत है मगर सभी 51 पदों पर एआरटीओ ही प्रभारी आरटीओ के रूप में काबिज हैं जिनमें से कई अपने प्राइवेट कटरों के माध्यम से अवैध वसूली कर रहे हैं इस क्रम में छतरपुर के सात कटरों को एक आरटीओ ने काम पर लगा रखा है। हैरत की बात है कि इस विभाग में प्रशासनिक दृष्टि से एक और रूआबदार व्यक्तित्व राजेश सिंह राठौड़ जो मध्य प्रदेश के सभी संभागीय उपायुक्तों के पद पर काबिज है।
अब देखना यह होगा की परिवहन विभाग के इन हालातो में नवागत आयुक्त विवेक शर्मा अपनी प्रशासनिक क्षमताओं में कितने कारगर साबित होते हैं और विभाग के अंतर्गत छिड़ी शय और मात की इस जंग में विजई अथवा शहीद होते हैं !