लाइसेंस की फाइल पर प्रमुख दलाल कुशवाह के कोडवर्ड/ सील चस्पा के बाद ही पूर्ण होती है प्रक्रिया..
एस बी राज, ग्वालियर 15 जनवरी 2025। गौरतलब है कि युग क्रांति द्वारा प्रकाशित पिछली खबर में ग्वालियर के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय से हल्के वाहनों के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की तथाकथित प्रकिया पर रोशनी डाली गई थी। जिसके अंतर्गत लाइसेंस ग्राहता को शासकीय शुल्क के अतिरिक्त सुविघा शुल्क के नाम पर तकरीबन हजार रुपए अदा करने पड़ते हैं और लाइसेंस रिन्यूअल के लिए ग्राहता को दलालों के मुखिया प्रमोद के माध्यम से ₹300 अदा करने पड़ते हैं।
विश्वस्त सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी अनुसार हल्के वाहन (LMV) के परमानेंट लाइसेंस की अवधि 1 वर्ष पूर्ण हो जाने एवं ग्राहता के विरुद्ध कोई अपराध दर्ज ना होने की स्थिति में वह भारी वाहन के ड्राइविंग लाइसेंस के पात्र हो जाता है। नियमानुसार इस पात्रता के व्यक्ति द्वारा 275 रुपए शासकीय शुल्क जमा करने के बाद इसका हैवी का लर्निंग लाइसेंस बनना चाहिए और एक महीना पूर्ण होने के बाद परमानेंट लाइसेंस के लिए जमा शुल्क ₹1200 की रसीद के साथ संबंधित थाने के वेरिफिकेशन उपरांत ग्राहता को हैवी का परमानेंट लाइसेंस जारी होने का प्रावधान है मगर आरटीओ ऑफिस के तथाकथित घूसखोरी सिस्टम में लाइसेंस ग्राहता को हैवी के लर्निंग लाइसेंस के लिए आरटीओ के नाम पर ₹300 एवं अन्य खर्च के रूप में ₹200 की रिश्वत देनी पड़ती है। लर्निंग के बाद इसके परमानेंट की प्रक्रिया जब शुरू होती है तो पुलिस वेरिफिकेशन के नाम पर प्रमुख एजेंट द्वारा ₹400 लिए जाते हैं और हैवी के इस परमानेंट लाइसेंस को पास करवाने के लिए आरटीओ साहब के नाम से ₹1500 एवं अन्य खर्च के रूप में ₹300 की राशि रिश्वत के नाम पर एजेंट के मेहंताना के अतिरिक्त ग्राहता को चुकानी पड़ती है।तदुपरांत शाखा के तथाकथित मुखिया प्रमोद कुशवाह के कोडवर्डनुमा साइन अथवा सील के चस्पा से अनुमोदित फाइल आरटीओ विक्रमजीत सिंह के पास पहुंचेगी और सभी हिसाब-किताब एवं भूल- चूक व लेनी- देनी के बाद लाइसेंस जारी हो जाता है।
पूर्व आरटीओ एमपी सिंह की छत्रछाया में पला, बढ़ा एवं एजेंट के रूप में सक्रिय हुए प्रमोद कुशवाह की संप्रभुता लगातार इस कार्यालय में बढ़ती गई जो वर्तमान प्रभारी आरटीओ कंग की मेहरबानी से चरम पर है। सूत्रों की माने तो लाइसेंस के लिए अधिकृत एजेंट के रूप में प्रमोद कुशवाह को दलालों का हेड माना जाता है। भले ही किसी भी एजेंट के माध्यम से लाइसेंस की बुकिंग हो जाए मगर इन सभी माध्यमों से एकत्रित दलाली एवं रिश्वत की कुल राशि इसी के द्वारा आरटीओ तक पहुंचाई जाती है।
हर शाम 6:00 बजे शिरोल पहाड़ी स्थित मुख्यालय से दिन भर की काली कमाई के कलेक्शन के बाद पूर्व आरटीओ कार्यालयों पड़ाव एवं कंपू से विभिन्न दलालों से हर दिन एकत्रित डेढ़ से पौने दो लाख रुपए की रकम दूसरे दिन सुबह 9 बजे तक साहब के पास पहुचानी होती है यही इनका रोज का क्रम है। आरटीओ की इसी मेहरबानी के चलते कुशवाह करोड़ की शख्सियत के रूप में शुमार है।
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