नकल की छूट देने के पीछे प्रशासन की क्या मंसा अथवा मजबूरी..
ग्वालियर 5 मार्च 2025। नकल का गढ़ बना ग्वालियर का चार शहर का नाका क्षेत्र के संदर्भ में युग क्रांति द्वारा 27 फरवरी को प्रकाशित खबर के उपरांत जिला प्रशासन हरकत में आया। नकल किंग परीक्षा केंद्र केएसपी हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रति नरमी बरतते हुए अन्य केंद्रों के विरुद्ध प्रशासन ने कड़ा रुख अपना रखा है।
बोर्ड परीक्षा में हो रही धड़ल्ले से नकल के मामले ग्वालियर के चार शहर के नाका क्षेत्र के परीक्षा केंद्रों के रूप में केएसपी हायर सेकेंडरी स्कूल इंदिरा नगर चार शहर का नाका,विद्या विहार सेकेंडरी स्कूल चार शहर का नाका, पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल न्यू कॉलोनी हजीरा,सीबीएस हायर सेकेंडरी स्कूल पी एच ई कॉलोनी हजीरा,एक्सीलेंट कान्वेंट स्कूल चार शहर का नाका, शा.कन्या उ मा विद्यालय फोर्ट रोड हजीरा के नामों का उल्लेख खबर में किया गया था।
खबर पर एक्शन में जहां एक ओर अन्य सभी पांचों परीक्षा केंद्रों पर इतना सख्त रुख अपनाया हुआ है कि परीक्षार्थी को दाएं- बाएं देखने पर सीएस को निलंबित करने की हिदायत दी गई तो वहीं दूसरी ओर केएसपी हायर सेकंडरी स्कूल के साथ प्रशासन ने बिल्कुल ही नरम रुख अपना रखा है जो बड़ा सवाल है! इस केंद्र पर नकल विरोधी प्रशासनिक अमला निरीक्षण के नाम पर मात्र खाना पूर्ति करता नजर आता है।
बता दें कि केएसपी परीक्षा केंद्र में व्यवस्थित तरीके से 250 परीक्षार्थियों की बैठने की क्षमता के विपरीत तकरीबन 400 परीक्षार्थियों को बिठाकर हौच- पौच का माहौल रखना ये नकल कराने का एक पूर्व नियोजित साजिशाना तरीका है जो जिला प्रशासन एवं बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों को क्यों नजर नहीं आता ? परीक्षा देकर लौट रहे बच्चों एवं सूत्रों की माने तो कल संपन्न हुई परीक्षा में न सिर्फ ओटी हल कराई गई बल्कि भौतिकी का पूरा पेपर तक सॉल्व कराया गया। इस केंद्र पर सीसीटीवी कैमरा में रिकॉर्डिंग से बचने के लिए परीक्षा के दौरान 10 से 15 मिनट को लाइट गुल होती है और इसी दरमियान ओटी करा दी जाती है। तदुपरांत काम पूरा होने के बाद केंद्र पर मौजूद जिला प्रतिनिधि को लाइट चली जाने एवं सही करने की सूचना देने का नाटक किया जाता है जैसा कि कल भी हुआ।
जिस एसडीएम को यहां की जिम्मेदारी सौंपी गई है वह प्रॉपर जवाब देने से बचते हुए नजर आते हैं। केएसपी को इस कदर नकल करने की खुली छूट देने के पीछे आखिरकार प्रशासन की क्या मनसा अथवा मजबूरी है यह एक बड़ा सवाल है ?
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