पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन में ठेके पर होती हैं पोस्टिंग् ?

अहम् पदों पर बने रहने की पात्रता है-अधिक से अधिक अनियमितता एवं भ्रष्टाचार..

पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन बना ‘करप्शन हाउस ऑफ़ पुलिस इफ्रा’..

भोपाल 4 जुलाई 2025। मप्र पुलिस हाउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमि.भ्रष्टता और अनियमिताओं का केंद्र बना हुआ है जहां पर चाहे उनकी बनाई बिल्डिंग डूब जाए, छत गिर जाए, करोड़ों की अनियमिताएं हो जाए, बैरक की बैरक दुर्घटनाग्रस्त हो जाए, करोड़ों की आर्थिक अनियमितताऐ हो जाए अथवा फर्जी डिग्री के आधार पर पद हथिया लिया जाए मगर फिर भी विभाग के वरिष्टम अधिकारी गांधीजी के बंदर बने हुए हैं। जिसके चलते पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन अब करप्शन हाउस ऑफ़ पुलिस इंफ्रा बन चुका है।

यहां हम चाहे कारपोरेशन के मुख्य अभियंता जेपी पस्तोर की बात करें अथवा ग्वालियर के पीई नरेश शर्मा की, इस तरह की दास्तानों की दोनों की काफी लंबी फेरिस्त है। इनके बीच भले ही कोई रिश्ता ना हो मगर यहां ये…. मौसेरे भाई हैं। फिलहाल इस महीने सेवानिवृत्त हो रहे नरेश शर्मा की बात करते हैं जिन्होंने जून 2010 में जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ यूनिवर्सिटी उदयपुर (राज.) की बलवंत नगर ग्वालियर स्थित गुमशुदा (ब्रांच) संस्था से बीटेक सिविल की डिग्री प्राप्त करके पीई का पद हथिया लिया और फिर इसे न सिर्फ ग्वालियर की बल्कि कई जिलों की जिम्मेदारी सौंपी गई।

इनके कारनामों की दास्तान..
सूत्रोंस प्राप्त जानकारी अनुसार शुरुआती दौर में नरेश शर्मा ने दैनिक संविदा उपयंत्री के रूप में मुरैना पोस्टिंग के दौरान (अनु.सन् 1989- 90) तत्कालीन ठेकेदार दुबे के साथ मिलकर निर्माण के लिए आवंटित शासकीय कोटे की सीमेंट बेच खाई, जिसमें जांच हुई मगर परिणाम कुछ नहीं निकाला। इसके उपरांत मुरैना डीआरपी लाइन के 96 क्वार्टर निर्माण कार्य में ठेकेदार एम एल गर्ग के साथ मिलकर शर्मा ने प्लिंथ लेवल का कार्य खंडे से करवाया मगर उसमें क्रैक आने की वजह इसकी नींव दोबारा आरसीसी कॉलम के द्वारा कराई गई जिससे इसका ब्यय काफी बढ़ गया। लिहाजा इसकी जिम्मेदारी उपयंत्री शर्मा की बनती थी मगर उससे कोई रिकवरी नहीं हुई।

शिवपुरी में शर्मा के पदस्थ होने के बाद इनके द्वारा बनवाई गई 80 Men बैरक दुर्घटनाग्रस्त हुई इसकी छत गिर गई थी, जिसे जेपी प्रस्तुत द्वारा पूर्ण करवाई गई । सन 2000 में एसएएफ की 18वीं बटालियन शिवपुरी के 12 एनजीओ और 130 कांस्टेबल क्वार्टर का निर्माण ठेकेदार -अवस्थी ब्रदर कंस्ट्रक्शन कं.से उपयंत्री नरेश शर्मा द्वारा करवाया गया। यह निर्माण इतना घटिया स्तर का हुआ कि 25 साल बाद भी आज दिनांक तक बटालियन ने इस कार्य का हैंडोवर नहीं लिया है। जिसकी निंदा तत्कालीन डीजीपी ने भी की थी फिर भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आज तलक लिखा पढ़ी का दौर ही चल रहा है और बिना आधिपत्य लिए एसएएफ के कुछ कर्मचारी व अधिकारी इस बिल्डिंग में रह रहे हैं।
शिवपुरी कांड के बाद शर्मा अपने मौसेरे भाई पश्तोर के पास भोपाल ज्वाइन हो गए। अपने कुख्यात कारनामों की वजह से शर्मा जेपी पोस्टर की पहली पसंद बने तदुपरांत अपनी तथाकथित बीटेक की डिग्री के आधार पर विभागीय सांठगांठ से यह प्रोजेक्ट इंजीनियर बन बैठे। ग्वालियर पीई बनने के बाद इसी तरह साइबर थाना कंपू के पीछे कुछ क्वार्टर साइबर पुलिस के बनवाए गए। जिन्हें घटिया निर्माण की वजह से ग्वालियर साइबर पुलिस ने आज तक अधिपत्य में नहीं लिया है। इसी तरह प्रभारी मुख्य अभियंता पश्तोर के अनवरत कारनामों की फेहरिस्त और भी लंबी है जिस पर चर्चा आगे करेंगे।

पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन बना करप्शन हाउस ऑफ़ पुलिस इफ्रा..

पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन
सूत्रों की माने तो पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों को अनियमितताओं अथवा भ्रष्टाचार से कोई सरोकार इसलिए नहीं रहता क्योंकि पोस्टिंग लेने से लेकर पद पर बने रहने तक की अंदरुनी T&C शुरुआत में ही सक्षम प्राधिकारी से तय हो जाती है। इन्हीं शर्तों में यह अभिनिर्धारित होता है कि यदि संबंधित के कारनामें सुर्खियों में आए और उनकी जांच हुई तो जांच से अधिकारी की आमदनी तो बढ़ेगी मगर भ्रष्टता की जवाबदेही संबंधित पर अधिरोपित नहीं की जाएगी’।

इसके चलते पूरे प्रदेश में अव्वल दर्जे के करप्ट अधिकारी दंडित होने की बजाय लगातार अहम् जिम्मेदारियां से उपकृत किये जा रहे हैं और ईमानदार एवं सुपात्र अधिकारी इधर-उधर पड़े हुए हैं। लिहाजा पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन अब पूर्ण रूप से करप्शन हाउस ऑफ पुलिस इंफ्रा बन चुका है।

हालांकि 6 माह से कारपोरेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध संचालक की दोहरी कमान संभाल रहे वरिष्ठ आईपीएस अजय शर्मा कुछ बदलाव के सार्थक प्रयास कर रहे हैं जिसके अंतर्गत अभी हाल में रिटायर हुए पीई जेएन पांडे की ग्रेज्युअटी (कनकी बालाघाट में आवास डूब में आने के मामले में) रोकी गई है जिसमें प्रभारी सीई पस्तोर भी संलिप्त है। अब देखने वाली बात यह है कि वरिष्ठ आईपीएस अजय शर्मा जेएन पांडे की तरह हाल ही में रिटायर होने वाले पीई शर्मा और नवंबर 26 में रिटायर होने वाले पश्तोर पर समान न्याय संहिता लागू करके पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध संचालक का दायित्व निर्वहन करते हैं अथवा करप्शन हाउस ऑफ पुलिस इंफ्रा का!