अवैध वसूली का ठीकरा परिवहन के वरिष्ठ अधिकारियों के सिर पर..
भोपाल/ ग्वालियर/अनूपपुर। मध्य प्रदेश परिवहन विभाग का सुर्खियों में रहना तो आम बात है मगर युगक्रांति की पड़ताल के बाद जो सनसनीखेज मामला सामने आया है उसमें रामनगर- अनूपपुर में सरेआम अवैध वसूली कर रहे प्रभारी ने इस कार्य के लिए मप्र के आयुक्त एवं उपायुक्त (शिकायत) को जिम्मेदार ठहराया है।
युगक्रांति प्रतिनिधि गुरुवार दिनांक 17.7.2025 एक ट्रक में बैठकर 4:00 बजे जब अनूपपुर के रामनगर चेकप्वाइंट पर पहुंचा तो वहां पर पुलिस की वर्दी एवं सिविल ड्रेस में तैनात कर्मियों ने वाहन क्रमांक RJ 11 3639 को रुकवाया, ड्राइवर/मलिक राजेंद्र सिंह ने बंद मुट्ठी से ₹500 कटर को पकड़ाए मगर कम पैसे देखकर उसने गाड़ी को साइड में लगवा कर ₹2000 की डिमांड की। युगक्रांति टीम के खुफिया कैमरे पर जैसे ही अन्य वसूली कर्ताओं की नजर पड़ी तो तुरंत आनन-फानन में वहां से सभी भाग निकलै। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्होंने अपना नाम तक नहीं बताया लेकिन वहां पूछताछ करने पर लोगों ने उनके नाम राजू, अनिल, दीपू ,कुणाल एवं मनोज बताया जो प्रभारी पंकज जैन के प्राइवेट लोग हैं।
चेकप्वाइंट की जिम्मेदारी निजी हाथों में क्यों..
पड़ताल से प्राप्त जानकारी अनुसार टीएसआई पंकज जैन के कंधो पर अनूपपुर-1, अनूपपुर-2, डिण्डोरी-1 एवं संभागीय सुरक्षा उड़नदस्ता शहडोल की जिम्मेदारी है। इन सभी पाॅइंटो के बीच की दूरी करीब 100 किलोमीटर है। इन पाॅइंटो पर कार्य करने वाले स्टाफ की बात करें तो एक प्रभारी टीएसआई के साथ एक हैड कांस्टेवल, पांच कांस्टेबल व पांच होमगार्ड के जवान के बावजूद यहां लगभग पांच कटर के रूप में प्राइवेट कटर राजू, अनिल, दीपू, मनोज एवं कुनाल को इस अवैध वसूली के खेल का प्रमुख खिलाड़ी बनाया गया है। जहां इनके द्वारा रोजाना तकरीबन 25 से 30 लाख रुपए की अवैध उगाई करना बताया गया है।
अवैध वसूली का ठीकरा वरिष्ठ अधिकारियों के सिर..
दो दिन की पड़ताल के दौरान यहां के प्रभारी पकंज जैन को जानने वालों से ज्ञात हुआ कि इनकी फितरत अजीब है, पता नहीं कब किसके साथ वैटिंग करने को तैयार हो जाए और कब किस पाली में पहुंच जाए इसका कोई भरोसा नहीं। सूत्र अनुसार इनके इसी फितरती रवैये के चलते जैन अक्सर कहते हैं कि यह सब खेल वरिष्ठ अधिकारियों की मंसा अनुरूप ही चल रहा है, उसके वक्तव्य में यह भी सुना गया कि जब भी कोई अवैध वसूली की शिकायत होती है तो मध्य प्रदेश के शिकायत अधिकारी उपायुक्त किरण शर्मा मामले को आयुक्त विवेक शर्मा के संज्ञान में लाकर अथवा अपने स्तर पर ही रफा-दफा कर देते हैं और कोई मामला यदि बड़ा हो जाए तो दिखावे के तौर पर संबंधित दोषी को अल्प समय के लिए इधर-उधर कर दिया जाता है।
फिलहाल प्रभारी जैन की बातों में कितनी सच्चाई है यह तो लांक्षित वरिष्ठ अधिकारी अथवा पंकज जैन ही जाने मगर यह साफ तौर पर देखा जा सकता है कि परिवहन विभाग को बेहतर बनाने के क्रम में आयुक्त की स्वच्छंद पाठशाला में ऐसे उद्दंडों को अनुशासन में रखने की जरूरत है।