पूरे मामले पर अजय शर्मा ने लिया संज्ञान, अब दागियों को नहीं मिलेगा उच्च समयमान- वेतनमान..
भोपाल 25 जुलाई 2025। आज दिनांक 25 जुलाई को होने वाली समयमान- वेतनमान वाली बैठक स्थगित हो गई है और यह बैठक अब 30 जुलाई को आयोजित होगी जिसमें दागियों को समयमान वेतनमान के लाभ से दर-किनार करने के प्रबल आसार है।
युग क्रांति द्वारा कल प्रकाशित खबर में समयमान -वेतनमान निर्धारित करने वाली समिति पर सवाल उठाते हुए उल्लेख किया कि तमाम काले कारनामों एवं अनियमित्ताओं में संलिप्त प्रभारी मुख्य अभियंता जेपी पस्तोर को समिति का अध्यक्ष एवं परियोजना यंत्री आलोक निगम को सदस्य बनाना पूर्णतया अनुचित है। जिस पर कारपोरेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध संचालक अजय शर्मा ने संज्ञान लेते हुए प्रथम दृष्टया मीटिंग को स्थगित कर दिया और समिति के गठन पर पुनर्विचार कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो उन्होंने पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए गहनता से अध्ययन कर रहे हैं जिसके अंतर्गत माना जा रहा है कि अगली बैठक तक की 5 दिन की अवधि में इस निष्कर्ष पर पहुंचने वाले हैं कि जिन इंजीनियर्स की वजह से आवास ध्वस्त व जमीदोज हुए, वित्तीय घोटाले हुए अथवा पद का दुरुपयोग कर विभाग को क्षतिग्रस्त किया है उन सभी को समयमान में वेतन वृद्धि के लाभ से वंचित किया जाएगा।
इन दागियों को मिलना है उच्चपद का समयमान वेतनमान.
नरेश शर्मा: जिन्होंने कंपू- ग्वालियर में 38 करोड़ प्रशासकीय स्वीकृति के विरुद्ध भवन पर 52 करोड़ का व्यय किया है तथा पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त नहीं की है, शिवपुरी बटालियन के 12-130 आवास जो घटिया निर्माण के चलते आज तक हैंडोवर नहीं हुए, पिछले कुछ सालों में गलत तरीके से 20- 25 लाख रुपए अतिरिक्त वेतन लिया।
आलोक निगम: इनके सहायक यंत्री रहते हुए सिवनी जिले के बरघाट में बने आठ आवास गृह घटिया गुणवत्ता के चलते गिर गए, ध्वस्त कर दिए गए और पस्तोर के द्वारा जमीदोज कर दिए। इसके अलावा इन्होंने वर्ष 2021 से 2024 के बीच में हुए वाहन किराया घोटाला/कांड में पुलिस हाउसिंग को तकरीबन 5 करोड़ का नुकसान पहुंचाया, इनकी शिकायत लोकायुक्तमें हो गई है। इसके बावजूद समिति के अध्यक्ष जेपी पस्तोर ने खुलेआम कह दिया है कि कितने भी प्रकरण हो आलोक निगम मै तुमको समयमान वेतनमान दिलवा कर ही रहूंगा।
जेपी सोना: यह भी सिवनी जिले में बरघाट में घटिया गुणवत्ता के बने आठ आवास गृह में उपयंत्री के पद थे इनकी भी जांच चल रही है। समिति के अध्यक्ष पस्तोर से इन्हें भी पक्का आश्वासन मिल चुका है।
आरके शर्मा: परियोजना यंत्री उज्जैन एवं पस्तोर के द्वारा बनवाया गया मैगजीन भवन रायसेन ध्वस्त हो गया है और इसे जमीदोज कराया गया। पस्तोर ने इसे भी आश्वासन दे दिया है कि तुमको उच्च समयमान वेतनमान दिलवा दूंगा, इस वावत दोनों के बीच रस्म अदायगी वाली मुलाकात हो चुकी है।
सुधीर श्रीवास्तव: कान की परियोजना बालाघाट में 56 आवास गृह डूबने से 14 करोड रुपए का नुकसान हो गया है, इस नुकसान में परियोजना यंत्री सुधीर श्रीवास्तव एवं प्रभारी मुख्य परियोजना यंत्री जेपी पस्तोर शत-प्रतिशत जिम्मेदार एवं जवाबदेय हैं जिसकी लोकायुक्त में शिकायत हो चुकी है। इसके अलावा मुख्यमंत्री योजना जबलपुर के 192 +750 आवास गृहों के निर्माण में बिना एनजीटी की अनुमति के तकनीकी स्वीकृति देने तथा निविदा स्वीकृत कर कार्य करने के लिए सुधीर श्रीवास्तव परियोजना यंत्री और पस्तोर जिम्मेदार हैं। क्योंकि शासन का लगभग 10 करोड रुपए व्यय करने के बाद यह प्रोजेक्ट बंद कर दिया जिससे पूरा व्यय निष्फल एवं निरर्थक रहा। इसके बावजूद पस्तोर का कहना है कि हमने सारी जिम्मेदारी आर्किटेक्ट के ऊपर डाल दी है, मेरा और मेरे सुधीर श्रीवास्तव का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
अभी हाल ही में भोपाल में 90 डिग्री के नाम से जाना वाला रेलवे ओवर ब्रिज की जांच हुई तो 2 चीफ इंजीनियर एवं 8 इंजीनियर्स को निलंबित किया गया और डिजाइनर पर भी कार्रवाई हुई थी। फिर पुलिस हाउसिंग में ऐसा क्या रंग लगा है कि करोड़ों रुपए के मकान डूबने, गलत ग्राउंड लेवल फाइनल करने, गलत तकनीकी स्वीकृति देने इत्यादि पर यहां के चीफ इंजीनियर पर कोई हाथ नहीं लगा रहा है और परियोजना यंत्री सुधीर श्रीवास्तव जैसे को टच नहीं कर रहा है। जबकि जिस दिन 56 मकान डूबे थे उसी दिन जेपी पस्तोर और सुधीर श्रीवास्तव को निलंबित कर विभागीय जांच चालू कर देना चाहिए थी। सूत्रों की माने तो वर्ष 2019 से 2024 में वहां पानी लगातार भर रहा है और पहले के बने 56 आवास गृह एवं बाद में तोड़कर बनाई गई पार्किंग वाली जगह लगातार डूब रही है मगर पुलिस हाउसिंग प्रबंधन के कानों पर जूं नहीं रेंग रहा है। सूत्रों ने बताया है कि सारे प्रकरणों की लोकायुक्त में ढेर सारी शिकायतें हो चुकी हैं इसके बाद भी यदि पस्तोर जैसे भ्रष्टाचारी अक्षम इंजीनियर को समिति का अध्यक्ष बनाकर उक्त दागी इंजीनियर्स को उच्च समयमान- वेतनमान का लाभ दिया गया तो निश्चित रूप से पुलिस हाउसिंग के शीर्ष प्रबंधन को इसके लिए लोकायुक्त का सामना करना पड़ सकता है।
भले ही इस कॉरपोरेशन का खलीफा पस्तोर पूरे मप्र पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन को अपनी जेब में रखते हुए वरिष्ठ प्रबंधन को रबर स्टांप की तरह इस्तेमाल करना बताता हो मगर वरिष्ठ आईपीएस अजय शर्मा के अध्यक्ष एवं प्रबंध संचालक रहते हुए ऐसे गुस्ताखों पर शिकंजा जरूर कसा जाएगा। कैलाश मकवाना की तरह आगामी समय में डीजीपी बागडोर संभालने की ओर अग्रसर निहायती ईमानदार एवं दक्ष कार्य प्रणाली के लिए प्रचलित छवि वाले अजय शर्मा इन तथाकथित संविदा कर्मियों को आईपीएस का पावर जरूर दिखाएंगे !
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