hacklink al
jojobet girişjojobetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobet girişjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişholiganbetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişjojobetjojobetjojobet girişjojobetjojobet girişholiganbetholiganbet girişpadişahbetpaşacasinograndpashabetjojobetjojobet girişcasibom girişcasibom girişcasibom girişcasibom girişkralbetkingroyalmatbetmatbet girişmatbet güncel girişmatbetmatbet girişmatbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbet girişnakitbahisnakitbahis girişnakitbahisnakitbahis girişnakitbahisnakitbahis girişmatbetmatbet girişcasibomcasibom girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişholiganbetholiganbet girişholiganbet güncel girişcasibomcasibom girişjojobetjojobet girişpusulabetpusulabet giriş

पीडब्ल्यूडी के रिटायर ईएनसी ने प्रमुख अभियंता के शासकीय बंगले को बनाया खानदानी आशियाना

पद का दुरुपयोग कर अपनी पत्नी के नाम कराया एलॉटमेंट..

लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अधिकारी के लिए आरक्षित आवास नियम विरुद्ध संविदा कर्मी को किया आवंटित..

भोपाल 26 जुलाई 2025। पूर्व प्रमुख अभियंता अखिलेश अग्रवाल के लोक निर्माण विभाग एवं सड़क विकास निगम में भ्रष्ट कारनामों की फेहरिस्त इतनी इतनी लंबी है कि वे आए दिन सुर्खियों में बने रहते हैं। इसी क्रम में नया खुलासा सामने आया है जिसके अंतर्गत इन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद प्रमुख अभियंता के ईयरमार्क आवास को अपनी पत्नी के नाम करवाया जो कि वर्तमान में रेरा की अस्थाई सदस्य हैं।

लोक निर्माण विभाग की मिल्कियत से सन 1990 के आसपास निर्मित एवं प्रमुख अभियंता के लिए आरक्षित चार इमली स्थित यह आवास क्रमांक: E-9/7A सन् 2010 में प्रमुख अभियंता अखिलेश अग्रवाल को आवंटित हुआ। 31 दिसंबर 2021 में पीडब्ल्यूडी से सेवानिवृत्ति उपरांत अग्रवाल 2022 में सड़क विकास निगम में तकनीकी सलाहकार के रूप में 2 वर्ष के लिए संविदा पर नियुक्त हुए और इसी दौरान उनकी पत्नी रश्मि अग्रवाल जिला न्यायाधीश से सेवानिवृत्त होकर रैरा में 5 साल के लिए सदस्य के तौर पर अस्थाई नियुक्त हुई। इन परिस्थितियों में श्रीमान अग्रवाल ने खुरापति दिमाग का इस्तेमाल करते हुए विचार किया कि यदि नियमानुसार इस बंगले का पुनरावंटन अपने नाम करवाया तो मात्र 2 साल के लिए होगा और यदि पत्नी के नाम करवाया जाए तो 5 वर्ष अथवा इससे अधिक का समय इस बंगले में रहने को मिलेगा, भले ही यह नियम विरुद्ध क्यों ना हो।

इस षड्यंत्रकारी पृष्ठभूमि पर आधारित दंपति अग्रवाल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पत्नी श्रीमती रश्मि अग्रवाल के नाम से प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग को चिन्हित/आरक्षित बांग्ला E 9/7 ए के आवंटिन हेतु आवेदन कराया और स्वयं के रूतबे एवं सांठ- गांठ से यह आवास हथिया लिया। जबकि रिजर्वेशन श्रेणी का विभागीय मिल्कियत से बना ये विशिष्ट आवास किसी अन्य विभाग अथवा संस्थान से संबंधित को किसी भी परिस्थिति में अलाट नहीं किया जा सकता। तकरीबन 1990 में निर्मित इस आवास में रश्मि अग्रवाल से पहले अधिकतर पीडब्ल्यूडी विभाग के प्रमुख अभियंता/मुख्य अभियंता ही रहे हैं।

सूत्रों की माने तो 15 वर्षों में इस बंगले से इनका इतना मोह हो गया है कि अपनी पत्नी के बाद इस बंगले को “ऐन कैन प्रकार्णेन” अपने बेटे के नाम आवंटित करवाएंगे। विभागीय सीनियर/जूनियर की मर्यादा का लिहाज कहें अथवा अखिलेश अग्रवाल का रुतबा, जिसके चलते वर्तमान प्रमुख अभियंता केपीएस राणा चार इमली पर आवंटित किसी निम्न टाइप के आवास में गुजारा कर रहे हैं और पूछे जाने पर भी अपनी आधिकारिक बात को कहने से भी झिझक रहे हैं‌, साथ ही राजधानी परिक्षेत्र के मुख्य अभियंता संजय मस्के इस पर गलत बयानी कर रहे हैं। हालांकि इसकी शिकायत मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के रजिस्ट्रार को भी की गई है।

इनका कहना है..

यह ईयर मार्क नहीं बल्कि ई टाइप बंग्ला है इसलिए लोक सेवक श्रेणी के किसी को भी यह आवंटित हो सकता है, रश्मि अगवाल रेरा में भले ही संविदा कर्मी अथवा अस्थाई सदस्य हैं मगर वह पात्र हैं।       *संजय मस्के, मुख्य अभियंता लोनिवि. राजधानी परिक्षेत्र- भोपाल

मैं E 9/7A बंगले में नहीं रह रहा, मुझे अलग से चार इमली पर आवास अलाट है।    *केपीएस राणा, प्रमुख अभियंता लोनिवि. मध्य प्रदेश, भोपाल 

इस शख्सियत के बारे में विस्तार से चर्चा आगामी अकों में..