संभाग कमिश्नर के ध्वजारोहण में शिष्टाचार पर उठे सवाल

ग्वालियर संभाग आयुक्त बार-बार जूतों सहित ध्वजारोहण करते देखे गए..

ग्वालियर 16 अगस्त 2025। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ग्वालियर- चंबल संभाग आयुक्त मनोज खत्री द्वारा आयोजित ध्वजारोहण समारोह में एक बार फिर ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने नागरिकों में चर्चा छेड़ दी। आयुक्त महोदय ने इस बार भी राष्ट्रीय ध्वज को जूतों सहित फहराया। यह कोई पहली घटना नहीं है बल्कि इससे पहले भी वे इसी प्रकार ध्वजारोहण करते रहे हैं। 15 अगस्त 2024 एवं 26 जनवरी 2025 को बिना पगड़ी और जूते सहित ध्वजारोहण किया था।

यद्यपि भारतीय ध्वज संहिता (Flag Code of India, 2002) में यह कहीं स्पष्ट नहीं लिखा कि ध्वज फहराते समय व्यक्ति को जूते उतारना अथवा सिर ढकना अनिवार्य है। किंतु भारतीय परंपरा और जनभावना यही कहती है कि तिरंगे के समक्ष अत्यधिक श्रद्धा और सम्मान का भाव प्रदर्शित होना चाहिए। यही कारण है कि सामान्यतः लोग जूते उतारकर और नंगे शिर होकर ही ध्वज के सामने खड़े होना उचित मानते हैं।

नागरिकों का कहना है कि जब देश का ध्वज स्वतंत्रता संग्राम की कुर्बानियों और राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है, तब प्रशासनिक पद पर आसीन किसी भी वरिष्ठ अधिकारी से अपेक्षा रहती है कि वे न केवल कानून की औपचारिकताओं का पालन करें, बल्कि ध्वज के प्रति समाज में प्रचलित सम्मान और श्रद्धा की परंपरा को भी निभाएँ।

विशेषज्ञों का मत है कि ध्वज सम्मान का वास्तविक अर्थ व्यक्ति के आचरण और भावनाओं में निहित है लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि उच्च पदों पर बैठे लोग यदि बार-बार परंपराओं की अनदेखी करेंगे तो यह नागरिकों के मन में ध्वज सम्मान को लेकर भ्रम और असंतोष पैदा करता है।

ग्वालियर संभाग वरिष्ठ अधिकारी आयुक्त खत्री द्वारा ध्वजारोहण के दौरान जूतों सहित और बिना सिर ढके उपस्थित होना यद्यपि कानूनन अपराध नहीं है परंतु यह राष्ट्रीय ध्वज के प्रति श्रद्धा और परंपरा की भावना को ठेस पहुँचाने वाला कदम अवश्य माना जा रहा है जिसकी देखा देखी अन्य अधिकारियों द्वारा भी की जाने लगेगी जैसा कि ग्वालियर जनसंपर्क कार्यालय पर ध्वजारोहण में उपसंचालक मधु सोलापुरकर को भी इसी श्रेणी में देखा गया।