नई दिल्ली। कल 5 नवंबर का दिन भारत और विश्व दोनों के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। आज के दिन जहां भारत में गुरु नानक जयंती, कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली जैसे आध्यात्मिक पर्वों की आभा रही, वहीं विश्व पटल पर विश्व सूनामी जागरूकता दिवस तथा भारत के मंगलयान मिशन जैसी वैज्ञानिक उपलब्धियों का स्मरण हुआ।
🇮🇳 भारत में धार्मिक आस्था का उत्सव
आज देशभर में गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई गई। गुरुद्वारों में शबद कीर्तन, लंगर सेवा और नगर कीर्तन का आयोजन हुआ। पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और मध्य प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में विशेष कार्यक्रम हुए।
इसी के साथ कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली के अवसर पर देश के तीर्थ क्षेत्रों — वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार और उज्जैन के घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान और दीपदान किया। वाराणसी के घाटों पर “गंगा महाआरती” के दौरान दीपों की झिलमिल रोशनी से वातावरण दिव्य बन गया।
कई राज्यों में बैंक और सरकारी कार्यालयों की छुट्टी भी रही, जिससे श्रद्धालुओं को पूजा-अर्चना में सुविधा मिली।
🌍 विश्व और इतिहास के प्रमुख घटनाक्रम
विश्व स्तर पर आज World Tsunami Awareness Day मनाया गया।
इसका उद्देश्य सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जन-जागरूकता बढ़ाना और आपदा प्रबंधन के उपायों को सशक्त बनाना है। संयुक्त राष्ट्र और यूनस्को ने इस अवसर पर विभिन्न देशों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए।
इतिहास में भी 5 नवंबर की तिथि विशेष रही
यही वह दिन था जब वर्ष 2013 में भारत ने अपना पहला मंगल मिशन “मंगलयान (Mars Orbiter Mission)” लॉन्च किया था, जिसने विश्व में भारत की वैज्ञानिक प्रतिष्ठा को नई ऊँचाई दी। वहीं 1941 में इसी दिन जापान ने Pearl Harbor पर हमले की तैयारी का आदेश दिया था, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के इतिहास को निर्णायक मोड़ दिया।
5 नवंबर का दिन हमें एक साथ आस्था, विज्ञान और सतर्कता के तीन महत्वपूर्ण संदेश देता है —
जहाँ गुरु नानक देव जी के उपदेश मानवता और समानता का संदेश देते हैं, वहीं मंगलयान मिशन भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
वहीं विश्व सूनामी दिवस हमें प्रकृति के प्रति सजग और संवेदनशील रहने की प्रेरणा देता है।
(रिपोर्ट : युगक्रांति डिजिटल डेस्क)
संपादन : ब्रजराज सिंह तोमर

