ट्विटर पर शिकायत, वेबसाइट पर खबर… लेकिन जमीनी हकीकत आज भी शून्य..
युगक्रांति की एक्सक्लूसिव पड़ताल
ग्वालियर, 8 नवंबर 2025। ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर जनता भोजन/जनता थाली योजना पूरी तरह फेल साबित हो रही है। यह सिर्फ आरोप नहीं बल्कि दो दिन की लगातार पड़ताल, प्रकाशित खबर, यात्रियों के बयान और ट्विटर पर मची हलचल का ठोस नतीजा है। पहले भी मुद्दा उठाया गया- खबर प्रकाशित और संबंधित अधिकारियों को प्रेषित हुई।
युगक्रांति ने 6 नवंबर 2025 को “ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर जनता भोजन (थाली) नदारद — जिम्मेदारी किसकी?” शीर्षक से विस्तृत खबर प्रकाशित की थी। यह खबर ट्विटर (X) सहित संबंधित विभागों को प्रत्यक्ष भेजी गई। जिस पर रेलवे अधिकारियों की प्रतिक्रियाएँ भी आईं, जिसमें नियम पालन का आश्वासन दिया गया। लेकिन दो दिन बाद भी जमीनी स्थिति वही- थाली का नामो निशान तक नहीं। आज 8 नवंबर की शाम 4 से 5 बजे के बीच युग क्रांति टीम ने सभी प्लेटफार्मों पर स्टालों का गहन निरीक्षण किया।
जांच के दौरान के नतीजे..
किसी भी स्टॉल पर जनता भोजन उपलब्ध नहीं मिली, जिसमें ₹15 में सात पूड़ी, एक सब्जी और अचार रहता है। कई स्टॉल वाले एक-दूसरे की तरफ इशारा करते रहे। किसी ने कहा -“दोपहर 12 बजे तक मिलती है।”किसी ने बताया- “शाम को मिलेगी।”
यात्रियों ने साफ कहा —
“आज तक हमने कभी जनता भोजन वाली ये थाली देखी ही नहीं। मांगने पर बहाने ही मिलते हैं।” यानी कि ट्विटर पर आश्वासन, पर जमीन पर स्थिति ZERO।
स्टेशन अधीक्षक राठौर का बड़ा स्वीकार
जब युग क्रांति ने प्रत्यक्ष स्थिति बताई, तो स्टेशन अधीक्षक
गजेंद्र सिंह राठौड़ ने स्पष्ट कहा—
> “यह थाली सस्ती है, इसलिए स्टॉल संचालक इसे देने से बचते हैं। उन्हें इसमें लाभ नहीं दिखता।
लेकिन इसे रखना अनिवार्य है। आपकी खबर के आधार पर तत्काल जांच करवाई जाएगी।”
लिहाजा यह स्पष्ट है कि नियम लागू नहीं- बचत के नाम पर स्कीम को दबाया जा रहा है।
युगक्रांति की दोहरी पड़ताल ने खोला बड़ा सच
एक दिन पहले प्रकाशित खबर, ट्विटर पर अधिकारियों को टैग करके भेजी गई शिकायत, रेलवे की सार्वजनिक प्रतिक्रिया और आज की वास्तविक ग्राउंड रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि ग्वालियर स्टेशन पर जनता भोजन योजना सिर्फ कागजों में है। जमीन पर यह पूरी तरह खत्म हो चुकी है।
यह सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि यात्रियों के अधिकारों का हनन है..
रेलवे बोर्ड की निर्धारित भोजन/थाली को स्टॉल वाले जानबूझकर नहीं दे रहे हैं। स्टेशन प्रशासन की प्रभावहीन निगरानी एवं नियमों का पालन कराने में गंभीर शिथिलता के चलते यात्रियों को ठगा जा रहा है।
युगक्रांति ने जनता की आवाज बन कर रेल मंत्रालय एवं रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से मांग की कि _* हर स्टॉल पर जनता भोजन अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाए। * स्टॉलों पर स्पष्ट डिस्प्ले बोर्ड लगे – कीमत, मेन्यू और उपलब्धता सहित।* प्रति-दिन की निगरानी रिपोर्ट स्टेशन प्रबंधन द्वारा सार्वजनिक की जाए।*नियम का उल्लंघन करने वाले स्टॉलों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। *यात्रियों के लिए त्वरित शिकायत समाधान प्रणाली सक्रिय हो।
साथ ही यह कार्रवाई सिर्फ घोषणा तक नहीं, जमीन पर होनी चाहिए।
2 दिन पूर्व प्रकाशित खबर..
