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जिले के सातों ब्लॉकों में “संगठित लूट” का खुलासा

युग क्रांति विशेष पड़ताल -मुरैना मनरेगा घोटाला !

जॉब कार्डधारियों को पता ही नहीं कि उनका कार्ड कब बना, पैसा किस खाते में गया..
नवागत कलेक्टर लोकेश जांगिड़ से उच्च स्तरीय भौतिक सत्यापन जांच की मांग..

भोपाल/मुरैना 9 दिसंबर 2025। युगक्रांति मीडिया टीम द्वारा बीते सप्ताह मुरैना जिले के पोरसा, अंबाह, मुरैना, जोरा, कैलारस, सबलगढ़ और पहाड़गढ़ ब्लॉकों के कई गांवों में की गई जमीनी पड़ताल में जो तस्वीर सामने आई है, वह न केवल चौंकाने वाली है बल्कि जिला-व्यापी “महा मनरेगा घोटाले” की पोल खोलती है।

पिछले सप्ताह की गई जमीनी तहकीकात में बड़ा खुलासा सामने आया है — जिले में मनरेगा केवल कागजों की स्कीम के रूप में जमीन पर संगठित हेराफेरी का गोरख धंधा है !ग्रामवासियों, मजदूरों और विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से यह साफ हुआ है कि मुरैना जिला के अधिकांश ग्राम पंचायतों में बीते वर्षों से मनरेगा मजदूरी के नाम पर संगठित, योजनाबद्ध और निरंतर घोटाला चल रहा है।

सरपंच – पंचायत सचिव – ग्राम रोजगार सहायक का गठजोड़ गांव-गांव में “मजदूरी की लूट” का एक ऐसा नेटवर्क चला रहा है जिसे बिना भौतिक सत्यापन पकड़ा ही नहीं जा सकता।

जॉब कार्डधारी खुद अनजान – न कार्ड बनने की खबर, न बैंक खाते की !

पड़ताल में सामने आया कि बड़ी संख्या में ऐसे मजदूर हैं- जिनका जॉब कार्ड बन चुका है लेकिन उन्हें इसका पता तक नहीं, किस बैंक खाते में मनरेगा की मजदूरी जा रही है—यह भी उन्हें नहीं पता,

बल्कि कई मजदूरों ने यह भी बताया कि वे कभी मनरेगा में काम पर गए ही नहीं, फिर भी उनके नाम पर भुगतान दिखाया गया। कुछ गांवों में यह भी सामने आया कि_ आर्थिक रूप से संपन्न लोग, नौकरपेशा और कई ऐसे लोग जो वर्षों से गांव में रहते भी नहीं,
उनके भी जॉब कार्ड बनाकर “भूतिया मजदूरी” चलाई जाती रही। पोरसा ब्लॉक तो इस बात के लिए सुर्खियों में रहा है कि यहां गांव की जनसंख्या से ज्यादा जॉब कार्ड बने हुए हैं।

मनरेगा का “मनी पंप” मॉडल -पैसा कागज पर मजदूर, असल में गिरोह के खाते में

युग क्रांति की जांच में यह पैटर्न लगभग हर ब्लॉक में एकमनरेगा घोटाला समान पाया गया—

1. फर्जी या अनजान मजदूर का जॉब कार्ड
2. कागज पर काम पूरा दिखाना
3. मनरेगा भुगतान कंट्रोल किए गए बैंक खातों में ट्रांसफर
4. मजदूरों को भनक तक नहीं

यह पूरी व्यवस्था ग्राम पंचायत स्तर पर वर्षों से ऐसे चलाई गई जैसे मनरेगा सरकारी योजना नहीं, बल्कि ‘स्थानीय एटीएम मशीन’ हो।

नवागत कलेक्टर लोकेश जांगिड़ – जिले की नई उम्मीद..

मुरैना में हाल ही में पदस्थ हुए कलेक्टर लोकेश जांगिड़ इन दिनों जिलाधीश के रूप में अत्यंत सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं उनके द्वारा

लगातार निरीक्षण एवं निगरानी,
विभिन्न विभागों में अनुशासन,
जमीनी स्तर की समीक्षा से
जिले में यह विश्वास पैदा हो रहा है कि अगर कोई अधिकारी इस बड़े घोटाले का सच उजागर कर सकता है तो वह लोकेश जांगिड़ ही हैं।

📢  ब्लॉक व ग्राम पंचायत-वार उच्च स्तरीय जांच तुरंत शुरू हो..

पूरे जिला के आमजन् का कहना कि_ यदि मनरेगा एक बड़े स्तर का गोरखधंधा नहीं बनता तो मुरैना जिला के प्रत्येक ब्लॉक की सभी ग्राम पंचायतों में विकास की तस्वीर कुछ और ही होती। उन्होंने युगक्रांति के माध्यम से श्रीमान कलेक्टर से उच्च स्तरीय जांच की मांग पूरे यकीन के साथ की है।

विशेषज्ञ एवं स्थानीय निवासियों का स्पष्ट मत है कि यदि प्रशासन सिर्फ जॉब कार्डधारकों का भौतिक सत्यापन करा दे—कौन मजदूर कहाँ है?
क्या वह गांव में रहता भी है?
क्या उसने मनरेगा में काम किया?
उसका बैंक खाता व भुगतान किसके नियंत्रण में है?

तो घोटाले का पूरा चेहरा बेनकाब हो जाएगा और इसमें करोड़ों रुपये के दुरुपयोग के प्रमाण गांव-गांव से स्वतः उजागर होंगे।

युग क्रांति टीम आने वाले दिनों में इस घोटाले की और तहकीकात करेगी और ब्लॉक-वार डाटा व जमीनी गवाही पाठकों के सामने लाएगी। अब सवाल यह है — क्या मुरैना मनरेगा घोटाले की गूंज जिला कलेक्टर कार्यालय से लेकर भोपाल तक पहुँचेगी ?