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अटैचमेंट समाप्त होने के बावजूद वहीं कार्यरत हैं तमाम लोक सेवक

आयुक्त के आदेश की परिभाषा बदलकर किया जा रहा है उल्लंघन..
बरसों पहले जनजातीय कार्य विभाग द्वारा इजाद हुआ था स्थानांतरण का नायाब विकल्प..

बृजराज एस तोमर* भोपाल । अटैचमेंट अर्थात सलंग्नीकरण एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें किसी लोक सेवक को विशेष परिस्थिति में चंद दिनों के अपने मूल विभाग से अन्यत्र रिक्त पद पर अस्थाई रूप से पदस्थ किया जाता है और उसका वेतन आहरण उसके मूल विभाग से किया जाता है परंतु मध्य प्रदेश के तकरीबन सभी विभागों में अटैचमेंट को स्थानांतरण का प्रचलित विकल्प में हो गया है। इस पर विराम लगाने के क्रम में जनजातिया कार्य विभाग के आयुक्त श्रीमन शुक्ला ने कड़ा कदम उठाया तो वही दूसरी ओर उनके विभाग के अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा भ्रष्टता के चलते आयुक्त के आदेश की धज्जियां उड़ते हुए उनकी मंशा को रोंदने का कार्य भी जारी है।

प्रदेश के जनजातीय कार्य आयुक्त द्वारा दिनांक 10-12- 2024 को जारी पत्र के माध्यम से सभी संभागीय उपायुक्तों एवं सहायक उपायुक्तों आदेशित किया गया कि
” मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग के स्पष्ट निर्देश है कि संभाग/जिला स्तर पर कर्मचारी/अधिकारियों/शिक्षक संवर्ग का संलग्नीकरण नहीं किया जाये । इसी प्रकार प्रतिबंध अवधि में बिना सक्षम अनुमोदन के स्थानांतरण नहीं किये जायें, परन्तु संज्ञान में आया है कि विभागीय संभागीय उपायुक्त / सहायक आयुक्त/जिला संयोजक, जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित जाति विकास द्वारा अपने स्तर पर उपरोक्तानुसार संलग्नीकरण/स्थानांतरण किये गये हैं जो नियमानुसार नहीं हैं।अतः उपरोक्त समस्त संलग्नीकरण/स्थानांतरण तत्काल समाप्त/निरस्त कर संलग्न प्रारूप में दिनांक 16.12.2024 तक प्रमाण-पत्र उपलब्ध करावें । उपरोक्त प्रमाण पत्र प्रेषित करने के उपरांत यदि संभाग/जिलों में उपरोक्त प्रकरण संज्ञान में आते हैं तो संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी”।

आयुक्त के आदेश की परिभाषा बदलकर किया जा रहा है उल्लंघन..

एक तरफ आयुक्त महोदय अटैचमेंट समाप्त कर प्रमाण पत्र मांग रहे हैं जबकि दूसरी तरफ सम्बन्धित आदेश में संलग्नीकरण की व्याख्या धार जिला के प्रभारी सहायक आयुक्त अभिषेक चौधरी इस प्रकार कर रहे हें कि “जिसका रिकार्ड सम्बन्धित विकासखंड शिक्षाधिकारी, संकुल प्राचार्य में आ चुका है वे स्थाई है । सामान्य आदेश पर यदि किसी लोक सेवक का विकासखंड शिक्षाधिककारी/प्राचार्य ने सेवा रिकार्ड नहीं भेजा है एवं वेतन उसी स्थान(मूल संस्था) से आहरण हो रहा है परन्तु वह अन्यत्र कार्य कर रहा है मात्र उसे ही कार्यमुक्त किया जाना है”।
सलंग्नीकरण पद से वेतन आहरण व्यवस्था में अपने मूल विभाग से अन्यत्र में रिक्त पद पर कार्य कर रहे लोक सेवक का वहीं से वेतन आहरण किया जाना पूर्णतया नियम विरुद्ध है जिसे प्रभारी सहायक आयुक्त ‘स्थाई‘ का नाम दे रहे है।

बरसों पहले जनजातीय कार्य विभाग द्वारा ईजाद हुआ था स्थानांतरण का नायाब विकल्प..                  संलग्नीकरण पद से वेतन आहरण व्यवस्था की खोज तकरीबन 20 वर्ष से अधिक समय पूर्व धार जिले के बहुचर्चित तत्कालीन प्रभारी सहा. आयुक्त संतोष शुक्ला ने की थी जो कि वर्तमान में मंडला जिले में सहायक आयुक्त के रूप में पदस्थ है और इस व्यवस्था में सहयोगी की भूमिका में संभागीय उपायुक्त बीजी मेहता रहे। स्थानांतरण के विकल्प के रूप में यही व्यवस्था अब सभी विभागों में बहु प्रचलित है। जिसमें सरकार /शासन से बिना प्रशासकीय अनुमोदन अथवा संज्ञान के पिछले दरवाजे से तयशुदा सुविधा शुल्क के आधार पर निचले स्तर पर ही प्रक्रिया पूरी हो जाती है। प्रदेश भर में फल फूल रहे इस गोरखधंधे में विभाग के मंत्री के अधिकारों का दुरुपयोग तोड़ मरोड़ कर संकुल प्राचार्य से लेकर वरिष्ठ अधिकारी कर रहे हैं।

शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब तपके के हरिजन, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग के बच्चों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए शासन द्वारा चपरासियों, लिपिकों ,कंप्यूटर ऑपरेटरों, शिक्षकों एवं प्राचार्य की नियुक्ति की जाती है लेकिन जब यही लिपिक निर्वाचन शाखा में, वही शिक्षक बीएलओ में, वही ऑपरेटर निर्वाचन में या जिला शिक्षा अधिकारी अथवा अन्यत्र में और प्राचार्य को सहायक संचालक अथवा अन्य पद पर नियुक्त कर दिए जाएंगे तो संस्था के बच्चों को ही नुकसान उठाना पड़ता है। जब इनका वेतन इस रिक्त पद पर कार्यरत स्थान से आहरण होने लगता है तो इस रिक्त पद पर कोई अतिथि शिक्षक भी नियुक्त नहीं हो सकता जिसके भयंकर दुष्परिणा स्पष्ट दिख रहें है। चपरासी के अन्यत्र अटैचमेंट से स्कूल में बच्चे झाड़ू लगाते हैं, शिक्षक अथवा प्राचार्य के अन्यत्र अटैचमेंट से बचे हुए स्टाफ को पूरी जिम्मेदारी संभालती पड़ती है और कभी-कभी जिम्मेदारी का यह दबाव संस्था अथवा लोक सेवक की क्षमता से परेय हो जाता है जिसके चलते ब्रेन हेमरेज तक हो रहे है जिसका ज्वलंत और ताजा उदाहरण रतलाम की शिक्षिका भारती परमार है जो कि इसी मंगलवार को शिक्षा विभाग की शापित तथाकथित व्यवस्था की बली चढ़ गई।
आयुक्त के शख्त आदेश के बावजूद अटैच है यह..
अवध बिहारी गुप्ता प्राचार्य बालक मण्डलेश्वर से सहा. आयुक्त कार्यालय में सहायक संचालक, के पी सिंह तोमर
व्याख्याता शा. बालक उमावि मण्डलेश्वर से प्रभारी प्राचार्य शा. उमावि महेतवाडा जिला खरगोन,जिला रतलाम में वीरेन्द्र सिंह, बबीता एवं यशवंत वर्मा कन्या शिक्षा परिसर सांगोद रोड में, प्रीती जैन मूल संस्था सरवन से जिला में प्रभारी सहायक संचालक के पद पर एवं प्रत्येक जिला में बहुत बडी संख्या में अधीक्षक पद पर अटेचमेंट पर कार्यरत हैं। जिला खरगोन में स्कूल शिक्षा विभाग के अध्यापक का जनजातीय कार्य में छात्रावास अधीक्षक पद पर अटेचमेंट किया गया है।

अटैचमेंट के भयंकर दुष्परिणाम का ताजा उदाहरण 

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