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रिटायरमेंट के बावजूद पूरा शिकंजा है उपमुख्यमंत्री देवड़ा के ओएसडी द्विवेदी का

सिस्टम पर क्यों काबिज है दिलीप राज द्विवेदी जैसे तथाकथित ये शक्स..

भोपाल 29 मार्च 2025। मध्य प्रदेश के वल्लभ भवन में भ्रष्टाचार की यह सनसनीखेज क्रोनोलॉजी समझिए। चेक व ऑडियो सबूत है और शिकायतकर्ता कोई और नहीं बल्कि स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह है। जनता के टैक्स से चलने वाली जांच एजेंसियां भी मौजूद है मगर सालों बीत जाने के बाद भी शिकायत अपनी जगह से हिलती तक नहीं।

कांग्रेस की फेसबुक की पोस्ट में जिक्र किया है कि “वित्त मंत्री के लाडले अधिकारी अजीत केसरी को आराम से रिटायरमेंट की सौगात दे दी जाती है जबकि डेढ़ साल पहले उनके खिलाफ 247 करोड रुपए के टेंडर में 50 करोड़ के लेनदेन की शिकायत ठोस सबूत के साथ दर्ज की गई थी। इस घोटाले में तब के और अब के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा और उनके रिटायर्ड विशेष सहायक दिलीप राज द्विवेदी की भूमिका बेहद संदिग्ध और जांच के दायरे में है। यही वह अधिकारी है जो वित्त मंत्री के निजी वित्त का हिसाब किताब संभालते थे और रिटायरमेंट के बाद भी मंत्री के सारे कामकाज पर काबिज है ।हैरानी की बात यह है कि इनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला ईओडब्ल्यू में दर्ज है फिर भी यह बेखौफ है। सवाल यह उठता है क्या वित्त विभाग में मंत्री की सहमति या जानकारी के बिना कोई अधिकारी अरबों के टेंडर दिलवाने के बदले खुलेआम रिश्वत मांग सकता है? क्या वित्त मंत्री की मंजूरी के बिना इतना बड़ा टेंडर संभव है ? मोहन सरकार में मंत्री और अधिकारी मिलकर भ्रष्टाचार का नया इतिहास रच रहे हैं। जांच एजेंसियां शिकायतों पर कुंडली मारे बैठी हैं और इन भ्रष्टाचार्यों को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। देखते हैं कि मुख्यमंत्री और ईमानदारी का राज बखान करने वाले प्रधानमंत्री कार्यवाही करते हैं या नहीं या फिर यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा”।
ईओडब्ल्यू में मुकदमा दर्ज,पर बने रहे मंत्री के विशेष सहायक..

केमेस्ट्री के असिस्टेंट प्रोफेसर दिलीप राज द्विवेदी पिछली सालों में 9 साल प्रतिनियुक्ति पर परिवहन विभाग में कार्यरत रहे और एक साल से परिवहन मंत्री रहे जगदीश देवड़ा के विशेष सहायक के रूप में काम करने लगे, जबकि आय से अधिक संपत्ति के मामले में ईओडब्ल्यू में द्विवेदी के खिलाफ प्रकरण दर्ज था। इससे पहले ईओडब्ल्यू ने उच्च शिक्षा विभाग से द्विवेदी के संबंध में जानकारी भी मांगी थी। इतना ही नहीं चुनाव के दौरान उन्हें मंत्रालय वापस बुला लिया गया था।

ये दिलीप राज द्विवेदी हैं जो उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के विशेष सहायक थे

साहेबान, रिटायर्ड तो 30 नवंबर 2024 को ही हो गए, पर “सेवा की निष्ठा” देखिए कि 20-21 दिसंबर 2024 को जैसलमेर में केंद्रीय वित्त मंत्री की मौजूदगी में आयोजित GST काउन्सिल में प्रदेश के प्रतिनिधि के रूप में वित्त मंत्री के साथ “अवैध” रूप से नजर आ रहे है! भोपाल के गलियारों में चर्चा है कि उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री का केंद्र से GST लेनदेन का हिसाब होना आसान है किंतु द्विवेदी के साथ का हिसाब इतना कठिन है कि रिटायर्ड होने के बाद भी साथ नहीं छूट रहा!

कहते हैं इनका “जलवा” आज भी उप मुख्यमंत्री के कुनबे में बरकरार है और कई किस्सों में इनका हिस्सा चर्चित है! चर्चाओं में शुमार है कि मलाईदार विभाग के मंत्री के पास ओएसडी के तौर पर पदस्थ रहे द्विवेदी ने दुबई में करोड़ों रुपये का निवेश किया है। इसी सिलसिले में इसने ने कुछ दिन पहले दुबई का दौरा भी किया है। माना जाता है कि इस शख्स ने मंत्री के बेटे को राजशाही शौक और शाही खिदमतगीरी के जरिए जबरदस्त गिरफ्त में ले रखा है। साथ ही उपमुख्यमंत्री की सेवा में कुबेर के खजाने की पेशगी का यह नियमित ख्याल रखना है इसके चलते इस शख्स का रसूख इतना है कि विभाग के पीएस और कमिश्नर भी इसके लिए निर्णय को रोक नहीं पाते हैं।

रिटायरमेंट के बाद तो मानो इसने अधिकारियों से वसूली के नाम पर हाहाकार मचा रखी है। पोस्टिंग अथवा अन्य काम के नाम पर फोन कर करके विभागीय अधिकारियों से डिमांड करने की चर्चा आधिकारिक गलियारों में सुर्खियों पर है। यहां तक कि इससे त्रस्त होकर लोग बीआरएस लेने पर मजबूर है जैसा कि हाल में जीएसटी डिपार्मेंट के एक अधिकारी ने लिया है और एक लेने वाला है। दिल्ली से भवनेश्वर  ट्रेन में होने की वजह से सिग्नल वीक का बहान करते उप मख्यमंत्री जगदीश देवड़ा इस पर जवाब देने से बचते नजर आ रहे हैं।

चाहे आरटीओ विभाग का सौरभ शर्मा हो या दिलीप राज द्विवेदी, हरेक विभाग में कोई ना कोई अजगर पूरे तंत्र को निगलने में लगा हुआ है और मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक गांधी जी के बंदर बने जुमलेबाजी में व्यस्त है।मोहन से लेकर मोदी तक की डबल इंजन वाली भाजपा सरकार ने क्या भ्रष्टाचार की रेलगाड़ी चला रखी है। इन नेताओं द्वारा रामराज्य की जुमलेबाजी फिलहाल तो इसी ओर सार्थक हो रही है कि.. राम नाम की लूट है लूट सके सो लूट। चारों तरफ मची हाहाकार ने हरेक दिलो दिमाग में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि ये सरकार भ्रष्ट है अथवा भ्रष्टाचार के लिए सरकार है?