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परिवहन की सियासत और सत्ता के खेल में राजा और वजीर..!

खलीफा तुमराम सहित अन्य को पूर्व विभागीय मंत्री का संरक्षण..?

भोपाल 27 अप्रैल 2025। पिछले कुछ सालों में तथाकथित जिन दलालों ने अवैध वसूली की खातिर सरकारी कर्मचारियों को डमी बनाकर जमकर लूट-घसोट की और विभाग की चेक पोस्टों पर अवैध वसूली से प्रदेश में हाहाकार मचायी। उनमें मुख्य रूप से आरटीआई वीरेश तुमराम, आरटीआई किशोर सिंह बघेल, पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के नाम शामिल है। गुरु- चेला के अंदरुनी विवाद के चलते इस गोरख धंधे के सिंडिकेट का सदस्य सौरभ शर्मा जरूर शिकंजे में फंसा मगर खलीफा तुमराम की काली सत्ता की बेताज बादशाहत का ताज आज तक निष्कंटक है। इसकी बेनामी संपत्ति का काला साम्राज्य कई बड़े शहरों में फैला हुआ है जिसका आंकलित अनुमान 500 करोड़ से भी अधिक बताया जाता है।
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग की सत्ता पर भले ही राव उदय प्रताप सिंह मंत्री (वजीर) के रूप में सत्तासीन है मगर सूबे की इस सियासत पर असली अधिपत्य आज तक गोविंद राजपूत का ही है। दूसरे माइने में समझे तो राजपूत मध्य प्रदेश सरकार के अन्य विभाग के कैबिनेट मंत्री जरूर हैं लेकिन परिवहन विभाग के आज तलक अधिपति (राजा) बने हुए हैं। विभाग के मंत्री राव उदय प्रताप सिंह आयुक्त विवेक शर्मा के साथ मिलकर नई नई पॉलिसी मेकिंग भले ही कर लेते हैं मगर उस पर अमली जामा पहनाना अथवा उसका माखौल बनाना पूरे तंत्र पर निर्भर करता है जो कि राजपूत के नियंत्रण में अधिक है। और तो और मंत्री के निजी सलाहकार पंडित जी की भी यदा- कदा पूर्व विभागीय मंत्री पर अधिक भरोसा जताते देखा गया है।

दो माह पूर्व नेता प्रतिपक्ष उमर सिंघार ने अपने आरोपों में स्पष्ट किया कि” पूर्व परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने विभाग से करप्शन के माध्यम से 1250 करोड़ की बेनामी संपत्ति अर्जित की है और वे आज भी विभाग के अंतर्गत रैकेट चला रहे हैं”। सिंघार ने अपने आरोपों में किए खुलासों में पूर्व विभागीय मंत्री के रैकेट के प्रमुख सदस्यों में वीरेश तुमराम एवं उसकी पत्नी, दशरथ पटेल, कमलेश बघेल, संजय श्रीवास्तव और उनकी पत्नी स्नेहा श्रीवास्तव, एवं संजय डांडे के नाम की बेनामी संपत्तियों को उजागर किया।

विभाग में सैटर के रूप में पहचाने जाने वाला तुमराम पूर्व विभागीय मंत्री राजपूत का छात्र जीवन में हमजोली होने के नाते तथाकथित इस काले साम्राज्य का बहुत बड़ा राजदार भी बताया जाता है। वर्तमान में कुल 42 चेक पॉइंट में से तुमराम के नियंत्रण में 10 बैरियर (चेकप्वाइंट), आयुक्त के निजी सहायक सत्य प्रकाश के नियंत्रण में 10, टीएसआई रवि मिश्रा के पास 3, आरटीआई किशोर बघेल, डीपी पटेल, आरक्षक ऋतु शुक्ला, आरक्षक विजय सिंह के नियंत्रण में एक अथवा एक से अधिक चेकप्वाइंट है। सूत्रों की माने तो यह सभी राजपूत के प्रमुख सिपेहसालार हैं और तमराम सबसे अहम भूमिका में है। इसी के चलते ये निष्कंटक होकर आज भी काली कमाई का गोरख धंधा चला रहे हैं और विभाग के मंत्री राव उदय प्रताप सिंह मजबूरी अथवा मोह वस इस खेल को धृतराष्ट्र बने देख रहे हैं।

सरकार को यदि वाकई परिवहन विभाग में करप्शन बंद करना है तो पिछले 15 साल के दौरान रहे आयुक्तों की लिस्ट निकाल कर उनकी जांच कराते हुए उनसे वसूली करना चाहिए और जांच एजेंसियों पर भी अपना शिकंजा टाइट रखना चाहिए।

परिवहन मुख्यालय की 700 करोड़ की शख्सियत.. आगामी एपिसोड में 

खबर का पिछला भाग..

मध्य प्रदेश परिवहन का खलीफा है वीरेश तुमराम !