भोपाल 19 नवंबर 2025। मध्य प्रदेश की राजनीति में आज पूरा दिन आरोप–प्रत्यारोप और तंज–कटाक्षों की गर्मागर्म बयानों से भरा रहा। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे पर जमकर निशाना साधा, जिसमें विकास कार्यों की जमीन से लेकर भ्रष्टाचार, नियुक्तियों, कानून-व्यवस्था और जनहित योजनाओं तक पर राजनीति गर्माती रही।
सरकार की उपलब्धियों का ढोल या ‘झूठ का पुलिंदा’?—विपक्ष का हमला
कांग्रेस ने आज कई मुद्दों पर प्रदेश सरकार को घेरा और कहा कि “मोदी–मोहन सरकार ने कागजों में विकास दिखाने का नया तरीका खोज लिया है—डिजिटल आंकड़े और जमीनी हकीकत में जीरो रिज़ल्ट।”
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कटाक्ष किया_
“सरकार की योजनाएँ बस विज्ञापनों में चलती हैं, गांव–गांव में तो जनता आज भी पानी, रोजगार और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है”। उन्होंने भाजपा पर यह भी आरोप लगाया कि “भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता खत्म हो चुकी है, और सबसे ज्यादा नुकसान आदिवासी व ग्रामीण युवाओं को हो रहा है।”
भाजपा का पलटवार: ‘कांग्रेस को विकास दिखाई ही नहीं देता’
भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को “हताशा और हवाई बयानबाजी” बताया। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ने जवाब देते हुए कहा कि “15 महीनों की अपनी नाकाम सरकार को भूलकर कांग्रेस आज भी झूठ की राजनीति में व्यस्त है। मोदी–मोहन की जोड़ी ने मध्य प्रदेश को निवेश, सड़क, रोजगार और कानून–व्यवस्था में नए स्तर पर खड़ा कर दिया है।”
भाजपा ने पटवारी के बयान पर निशाना साधते हुए कहा,
“जिन्हें अपने कार्यकाल में एक भी बड़ा उद्योग नहीं ला पाए, वे आज राज्य की विकास गति पर सवाल उठा रहे हैं—यह अपने-आप में हास्यास्पद है।”
भर्ती और रोजगार बड़ा मुद्दा—दोनों दल आमने–सामने
सिविल जज–2022 परिणाम को लेकर उठे विवाद पर भी आज सियासी हलचल रही। कांग्रेस ने इसे “आदिवासी युवाओं के साथ अन्याय” बताया, जबकि भाजपा ने कहा कि “आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है।”
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2026 के चुनावी समीकरणों को देखते हुए रोजगार और भर्ती से जुड़े मुद्दे आने वाले महीनों में और भी गर्माएंगे।
कानून–व्यवस्था पर कलह..
विपक्ष ने अपराध और महिला सुरक्षा के मामलों को लेकर सरकार पर “फेल्योर” का आरोप लगाया।
भाजपा ने इसका खंडन करते हुए कहा कि “कांग्रेस झूठे आंकड़े गढ़कर प्रदेश की छवि खराब कर रही है।”
विश्लेषकों के अनुसार यह बयानबाज़ी आने वाले उपचुनाव और 2026 की बड़ी राजनीतिक तैयारियों का संकेत है। दोनों ही दल अपनी-अपनी राजनीतिक धार तेज़ कर रहे हैं, और जनता के मुद्दों पर एक-दूसरे की कमियां उजागर करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।
