भारतीय समाज में वर्ण व्यवस्था, सामाजिक गतिशीलता और जाति की अवधारणा: एक ऐतिहासिक पुनरावलोकन- डॉ जगमोहन द्विवेदी
भारत का सामाजिक इतिहास विविधता, समरसता और योग्यता-आधारित सामाजिक संगठन का द्योतक रहा है। वैदिक काल से लेकर आधुनिक युग तक, भारतीय समाज ने कार्य-आधारित वर्ण व्यवस्था, शिक्षा की सर्वसुलभता और सामाजिक गतिशीलता के सिद्धांतों को अपनाया। तथापि, औपनिवेशिक काल में जाति आधारित वर्गीकरण और भेदभाव का जो रूप उभरा, वह भारत की मूल सनातन…
